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Janak Jayanti 2024: जनक जयंती, जानें क्यों की जाती यह पूजा; शुभ मुहूर्त और पूजन विधि  

Reepu kumari • LAST UPDATED : March 4, 2024, 10:43 am IST
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Janak Jayanti 2024: जनक जयंती, जानें क्यों की जाती यह पूजा; शुभ मुहूर्त और पूजन विधि  

Janak Jayanti 2024

India News(इंडिया न्यूज़), Janak Jayanti 2024: साल का सबसे प्रतीक्षित दिन आ गया है। वार्षिक रूप से, जनक जयंती को पूरे देश में बड़े उत्साह और भव्यता के साथ मनाया जाता है। माता सीता की जयंती के उपलक्ष्य में, जनक जयंती महत्वपूर्ण सांस्कृतिक महत्व रखती है। इस शुभ अवसर पर भक्त दीप जलाकर और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करके देवी सीता का सम्मान करते हैं। मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र और भारत के अन्य दक्षिणी क्षेत्रों में मनाई जाने वाली जनक जयंती चंद्र कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन महीने में चंद्रमा के घटते चरण के आठवें दिन आती है। यहां जनक जयंती 2024 की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व और अनुष्ठान हैं।

आज फाल्गुन महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जानकी जयंती है। इस दिन को सीता अष्टमी भी कहा जाता है। जानकी जयंती का व्रत आज सोमवार को रखा जाएगा। यह कहा जाता है कि इस दिन माता सीता और भगवान श्रीराम की विधिवत पूजा हो जाती है। इस पूजा को करने से भक्तों के सारे सकंट दूर हो जाते है। आइए आपको बताते है कि जानकी जयंती पर पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि क्या है

पूजा करने के फायदे

हिन्दू धर्म में माता सीता को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, जानकी जयंती के दिन व्रत करने से माता सीता मनोवांछित फल देती हैं। इस दिन विवाहित महिलाएं ये व्रत रखती है तो उनकी पति को दीर्घायु का वरदान मिलता है। निसंतान दम्पत्तियों के लिए भी व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मान्यता है कि इस व्रत करने से दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है।

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शुभ मुहूर्त 

जानकी जयंती का शुभ मुहूर्त फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 3 मार्च को सुबह 08 बजकर 44 मिनट से लेकर 4 मार्च को सुबह 08 बजकर 49 मिनट तक है। इस दिन देवी सीता की पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 09 बजकर 38 मिनट से लेकर सुबह 11 बजकर 05 मिनट तक रहने वाला है।

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पूजन विधि जानें

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। उसके बाद साफ-सुथरे कपड़े पहने। माता सीता को खुश करने के लिए व्रत और पूजा का संकल्प लें। जमीन पर एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र डालकर माता सीता और प्रभु राम की मूर्ति या प्रतिमा को स्थापित करें। उसके बाद रोली, अक्षत, सफेद फूल अर्पित करें। राजा जनक और मात सुनयना की भी पूजा करें। इस दिन अपनी श्रदा अनुसार दान करें। अगर संभव हो तो शाम के समय में कन्‍याभोज या ब्राह्मण को खाना खिलाएं।

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माता सीता के ये दिव्य मंत्र –

श्री सीतायै नम:।

श्रीरामचन्द्राय नम:।

श्री रामाय नम:। –

ॐ जानकीवल्लभाय नमः।

श्रीसीता-रामाय नम:।

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