संबंधित खबरें
बुध की चाल में बड़ा बदलाव! इन 5 राशियों की खुलेगी किस्मत, तगड़ा मुनाफा और सफलता के बनेंगे योग, अभी से बड़ी कर लें अपनी झोली
इस दिन भूलकर भी तुलसी पर न चढ़ाएं जल! वरना हो सकते हैं कंगाल, घर में आ जाएगी तंगी, जानिए क्यों नाराज होती हैं मां लक्ष्मी?
इन मूलांक वालों की चमकेगी किस्मत, रुका पैसा मिलेगा और सफलता के बनेंगे योग! जानें आज का मुलांक
क्या है चंद्रमा और चौघड़िया योग? जिसमें Delhi CM की होगी ताजपोशी, 27 साल का सूखा ऐसे टखत्म करेगी BJP
ऋषि पराशर का अद्भुत वरदान, जब मछुआरे की बेटी को बना दिया सुगंधित, फिर भी रह गई कुंवारी!
जब पत्नी बनी थी पालनहार और राक्षस बना दुश्मन, वो योद्धा जिसने लिखी थी प्रेम-पुनर्जन्म की गाथा!
India News (इंडिया न्यूज), End Of Kaliyug: हमारे शास्त्रों में मानव जीवन से जुड़ी अनेक घटनाओं और युगों का उल्लेख मिलता है। उनमें से एक है कलियुग, जो वर्तमान युग है। आजकल की दुनिया में जब हम चारों ओर बढ़ते पाप और कष्टों को देखते हैं, तो यह सवाल स्वाभाविक रूप से उठता है कि क्या यह सब कलियुग का परिणाम है? और यदि हां, तो कलियुग का अंत कब और कैसे होगा? इन प्रश्नों के उत्तर विष्णु पुराण, श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य शास्त्रों में विस्तार से दिए गए हैं। आइए, इन रहस्यों को समझने का प्रयास करें।
शास्त्रों के अनुसार, कलियुग का अर्थ है “काला युग” या “पाप का युग”। यह वह समय है जब धर्म और सत्य का क्षय होगा और अधर्म का बोलबाला होगा। यह युग द्वापर युग के बाद शुरू हुआ। इस युग में झूठ, कपट, पाप, और कलह अपने चरम पर होते हैं। मानवता शर्मसार होती है और सत्य, झूठ जैसा प्रतीत होने लगता है। लोग बिना किसी कारण एक-दूसरे से घृणा करेंगे और स्वार्थी प्रवृत्तियां प्रबल होंगी।
End Of Kaliyug: महाभारत में कलियुग का ऐसा किया गया है उल्लेख
शास्त्रों के अनुसार, कलियुग का आरंभ महाभारत के युद्ध के बाद हुआ। जब भगवान श्रीकृष्ण ने अपना मानव शरीर त्यागकर बैकुंठ धाम प्रस्थान किया, पांडवों ने स्वर्गारोहण किया, और यदुवंश का नाश हुआ, तब कलियुग का आगमन हुआ। यह समय 3102 ईसा पूर्व का था। आज तक 5126 वर्ष बीत चुके हैं।
शास्त्रों के अनुसार, कलियुग की कुल अवधि 4,32,000 वर्ष है। इसमें से 5126 वर्ष बीत चुके हैं और अभी 4,26,882 वर्ष शेष हैं। इसका मतलब यह है कि हम केवल प्रारंभिक चरण में हैं।
जब कलियुग अपनी चरम सीमा पर पहुंचेगा, तब:
शास्त्रों में उल्लेख है कि जब अधर्म अपने चरम पर होगा, तब भगवान विष्णु कल्कि अवतार धारण करेंगे। वे पृथ्वी पर अवतार लेकर पापियों का नाश करेंगे और धर्म की पुनः स्थापना करेंगे। यह समय सतयुग की शुरुआत का संकेत होगा।
हालांकि कलियुग को पाप का युग कहा गया है, लेकिन इसमें एक विशेषता भी है: इस युग में भक्ति मार्ग सबसे सरल और प्रभावी है। भगवान के नाम का स्मरण, सत्य और धर्म का पालन, और परोपकार से जीवन को संतुलित और सुखद बनाया जा सकता है।
कलियुग मानवता के लिए एक चुनौतीपूर्ण युग है, लेकिन यह भी सिखाता है कि हर संकट में भक्ति, सत्य, और धर्म का अनुसरण ही उद्धार का मार्ग है। शास्त्रों के अनुसार, कलियुग का अंत अभी हजारों वर्षों दूर है, लेकिन हर इंसान अपने आचरण से इस युग में भी सुख और शांति प्राप्त कर सकता है। भगवान विष्णु के कल्कि अवतार में विश्वास और उनकी भक्ति इस युग के दुखों से उबरने का सबसे सरल उपाय है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.