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प्रभजीत सिंह लक्की / मोहित कुमार, यमुनानगर/ बिलासुपर :
Kapal Mochan Mela 2021 : डीसी एवं कपाल मोचन तीर्थ श्राईन बोर्ड के मुख्य प्रशासक पार्थ गुप्ता के दिशा-निर्देशन में मेला कपाल मोचन से जुड़े आला अधिकारी व विभिन्न विभागों के अधिकारी पूरे लाव-लश्कर सहित मेला क्षेत्र में पूरी मुस्तैदी से डटे हुए हैं।
ताकि तीर्थ राज कपाल मोचन में लाखों की संख्या में विभिन्न प्रांतों से पहुंचने वाले विभिन्न धर्मों के लाखों यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो। उपायुक्त पार्थ गुप्ता स्वयं भी समय-समय पर और उनके दिशा-निदेर्शानुसार बिलासपुर के उपमण्डलाधीश एवं मेला प्रशासक जसपाल सिंह गिल व बीडीपीओ एवं मेला अधिकारी बलराम गुप्ता समय-समय पर पूरे मेला क्षेत्र का दौरा कर जायजा ले रहे हैं।
एसडीएम जसपाल सिंह गिल यात्रियों की सुविधा के लिए किए गए प्रबंधों में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ऩा चाहते ताकि श्रद्धालुओं को हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध हो और वह मेला कपाल मोचन से वापिस जाते हुए अपने साथ मीठी यादें लेकर जाएं। मेला अधिकारी बलराम गुप्ता अन्य विभागों के अधिकारी मेला प्रबन्धों में एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।
तीनों पवित्र सरोवरों-कपाल मोचन सरोवर, ऋण मोचन सरोवर व सूरज कुंड सरोवर के घाटों पर सफाई व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा जा रहा है और श्रद्धालु क्रमवार तीनों सरोवरों में स्नान कर दीप जलाकर पूजा अर्चना कर रहे हैं। प्रदर्शनी में विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालु अलग-अलग विभागों के अधिकारियों से ज्ञानवर्धक जानकारियां ले रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा मेला क्षेत्र में पेयजल की चेकिंग व फोगिंग का विशेष प्रबंध किया गया है और दिन में कई-कई बार मेला क्षेत्र में फोगिंग करवाई जा रही है तथा यात्रियों को नि:शुल्क दवाईयां उपलब्ध करवाई जा रही हैं और इस नेक काम में आयुर्वेदिक विभाग व अन्य स्वयं सेवी संस्थाएं भी पूरा सहयोग दे रही हैं। Kapal Mochan Mela 2021
राज्य स्तरीय कपाल मोचन मेला के दूसरे दिन उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने प्रशासन के अधिकारियों के साथ पूरे मेला क्षेत्र का दौरा किया और यात्रियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए मेला प्रशासन के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने तीनों सरोवरों कपाल मोचन सरोवर, ऋण मोचन सरोवर तथा सूरजकुंड सरोवर व गुरूद्वारा साहिब पातशाही पहली एवं दसवीं सहित मेला स्थल के आदि स्थानों का दौरा किया। Kapal Mochan Mela 2021
गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों द्वारा उपायुक्त पार्थ गुप्ता, पुलिस अधीक्षक कमलदीप गोयल, एसडीएम बिलासपुर जसपाल सिंह गिल व डीएसपी आशीष चौधरी सहित अन्य अधिकारियों को सरोपा भेंट कर सम्मानित किया। मेले के दौरे के दौरान उनके साथ पुलिस अधीक्षक कमलदीप गोयल ने भी उपायुक्त के साथ मिलकर मेला स्थल का निरीक्षण किया और यात्रियों की सुरक्षा का जायजा लिया और यात्रियों की सुरक्षा में तैनात पुलिस जवानों को दिशा-निर्देश दिए।
इस अवसर पर बिलासपुर के एसडीएम जसपाल सिंह गिल, एसडीएम जगाधरी सुशील कुमार, बिलासपुर के डीएसपी आशीष चौधरी, तहसीलदार तरुण सहोता, एसडीओ सुनील कुमार के अतिरिक्त मेला प्रशासन के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। Kapal Mochan Mela 2021
कपालमोचन में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाले राज्य स्तरीय मेले का शुभारंभ साधु प्रवेश शाही स्नान के साथ सोमवार से शुरू हो गया। मेले में हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, दिल्ली, चंडीगढ़, सहित कई राज्यों से श्रदालु पहुंचते है। उत्तरी भारत का सबसे बड़ा सुप्रसिद्ध प्राचीन ऐतिहासिक एवं पौराणिक पवित्र तीर्थ राज कपालमोचन मेला विभिन्न धर्मों,जातियों और समुदायों की एकता और भाईचारे का प्रतीक है। Kapal Mochan Mela 2021
ग्रंथों में इस स्थान को विश्व के महानत्म ग्रंथ की रचना करने वाले महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास की तपो व कर्म स्थली तथा सिन्धु वन के नाम से जाना जाता है। इसके दक्षिण में ब्यासपुर जिसे आज बिलासपुर के नाम से जाना जाता है। बिलासपुर में वेद व्यास सरोवर व सरस्वती सरोवर तट पर महर्षि वेद व्यास जी का सरोवर है।
इसके साथ ही पश्चिम दिशा में सरस्वती नदी प्रवाहित होती है कहते हैं कि इसी स्थान पर बैठकर महर्षि वेद ब्यास जी ने सरस्वती जी के तट पर महाभारत की रचना की थी। कपालमोचन से उत्तर की दिशा में हिमाचल की पहाडिय़ों से सटा हुआ ज्ञान की देवी पवित्र सरस्वती नदी का उद्गम स्थल आदिबद्री है। Kapal Mochan Mela 2021
यहां पर केदारनाथ और माता मंत्रा देवी का भव्य मन्दिर विराजमान है। कपाल मोचन मेले में आने वाले श्रद्धालु आदिबद्री, केदारनाथ और माता मंत्रा देवी जी व पंचमुखी हनुमान मंदिर ढाका बसातियावाला, शिव बाड़ी मिलक खास के दर्शनों के लिए भी जाते हैं। यह स्थान धार्मिक आस्था से जुड़ा होने के कारण तो पूजनीय है ही,पर्यटन की दृष्टि से भी यह स्थान काफी सुन्दर,मनोहारी और शोभनीय है,यहां आने वाले श्रदालुओं को बरबस ही शांति की अनुभूति होती है।
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