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India News (इंडिया न्यूज़), Karna & Arjun Mahabharat: हम बचपन से महाभारत की कहानियां सुनते हुए आ रहे हैं। कभी हमारी दादी से तो कभी हमारी नानी से। लेकिन आज भी कई ऐसे किस्से बाकि हैं जो हमारी नज़रो से दूर हैं छिपे बैठे हैं। महाभारत की कहानी का सार ही कौरवो और पांडवो की लड़ाई हैं। लेकिन फिर भी ऐसे कई राज़ किस्से कहानिया हैं जो हमसे आज भी छिपे हुए ही हैं। महाभारत के युद्ध में विभिन्न योद्धाओं के पास कई प्रकार के शक्तिशाली धनुष थे, परंतु कर्ण और अर्जुन के धनुष विशेष रूप से प्रसिद्ध और प्रभावशाली थे।
कर्ण के पास “विजय धनुष” था, जिसे स्वंय भगवान परशुराम ने उन्हें दिया था। यह धनुष अत्यंत शक्तिशाली और अभेद्य था। कहा जाता है कि इस धनुष को धारण करने वाला योद्धा अजेय हो जाता है। कर्ण की युद्ध कौशल और विजय धनुष के बल पर वह महाभारत के युद्ध में एक प्रमुख योद्धा बना रहा। कर्ण के वीरता और उसके धनुष की ताकत के कारण उसे अनेक युद्धों में विजय प्राप्त हुई।
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अर्जुन के पास “गाण्डीव धनुष” था, जिसे भगवान अग्नि ने भगवान श्रीकृष्ण के माध्यम से अर्जुन को दिया था। गाण्डीव धनुष का भी अपना विशेष महत्व और प्रभाव था। यह धनुष बहुत ही शक्तिशाली और दिव्य था, और अर्जुन की अद्वितीय धनुर्विद्या के साथ मिलकर यह अजेय माना जाता था। महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने इस धनुष का उपयोग करके अनेक महत्वपूर्ण युद्ध जीते और कई प्रमुख योद्धाओं को परास्त किया।
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अगर दोनों धनुषों की तुलना की जाए, तो यह कहना कठिन है कि कौन सा धनुष अधिक शक्तिशाली था, क्योंकि दोनों के पास दिव्य शक्तियां और विशेषताएं थीं। विजय धनुष की विशेषता और कर्ण की वीरता उसे विशेष बनाती है, वहीं गाण्डीव धनुष की दिव्यता और अर्जुन की उत्कृष्ट धनुर्विद्या उसे अद्वितीय बनाती है। अंततः, यह अर्जुन की रणनीति, श्रीकृष्ण की सहायता और पांडवों की संयुक्त शक्ति थी जिसने कौरवों पर विजय प्राप्त की।
महाभारत के युद्ध में दोनों धनुषों की भूमिका और महत्व को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि दोनों ही धनुष अपनी-अपनी विशेषताओं के कारण महत्त्वपूर्ण थे और इनकी शक्तियों का उपयोग अपने-अपने योद्धाओं द्वारा उत्कृष्ट तरीके से किया गया।
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