India News (इंडिया न्यूज), Kinnaro Ke Devta: भारत विविधताओं का देश है, जहां हर समुदाय की अपनी अनोखी संस्कृति और परंपराएं हैं। इनमें किन्नर समाज अपनी विशेष परंपराओं और रीति-रिवाजों के लिए जाना जाता है। किन्नरों की धार्मिक मान्यताओं में ‘अरावन देवता’ का एक महत्वपूर्ण स्थान है। तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के कूवगम गांव में स्थित अरावन देवता का मंदिर, किन्नर समुदाय की आस्था का केंद्र है। इस लेख में हम अरावन देवता, उनकी पूजा और किन्नर समाज के विशेष धार्मिक रीति-रिवाजों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
महाभारत की कथा के अनुसार, अरावन पांडवों के वीर पुत्र अर्जुन और नागकन्या उलुपी के बेटे थे। कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान, जीत सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष यज्ञ में एक योद्धा की बलि देने की आवश्यकता थी। अरावन ने स्वयं को इस बलि के लिए प्रस्तुत किया। उनकी यह बलिदानी भावना किन्नर समाज में विशेष श्रद्धा का कारण बनी।
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तमिलनाडु में कूवगम गांव स्थित अरावन देवता का मंदिर, किन्नरों की भक्ति का प्रमुख केंद्र है। यहां हर वर्ष एक भव्य उत्सव आयोजित होता है, जिसमें देशभर के किन्नर हिस्सा लेते हैं। अरावन देवता को दक्षिण भारत में ‘अरावनी’ के नाम से भी जाना जाता है।
हर साल चैत्र मास (अप्रैल-मई) में कूवगम गांव में एक विशाल मेले का आयोजन होता है। इस दौरान किन्नर समुदाय अरावन देवता से विवाह करने की परंपरा निभाता है। इस विवाह को समाज और धर्म के दृष्टिकोण से बहुत पवित्र माना जाता है। विवाह की रात अरावन देवता की मूर्ति के साथ विवाह रस्में निभाई जाती हैं।
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विवाह के अगले दिन, अरावन देवता की प्रतीकात्मक मृत्यु होती है। यह घटना किन्नर समुदाय के लिए गहरे भावनात्मक महत्व की होती है। अरावन देवता की मृत्यु के बाद, किन्नर विधवा का रूप धारण करते हैं और शोक मनाते हैं। इस प्रक्रिया में समाज के प्रति उनकी समर्पण और बलिदान की भावना झलकती है।
कूवगम का अरावन मंदिर न केवल किन्नर समुदाय बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है जो भक्ति और बलिदान की भावना को समझता है। यह मंदिर मानवता के लिए एक प्रेरणा है कि प्रेम, श्रद्धा और बलिदान किसी भी भेदभाव से ऊपर हैं।
अरावन देवता की पूजा किन्नर समुदाय की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को सुदृढ़ करती है। यह परंपरा न केवल उनके आध्यात्मिक जीवन का हिस्सा है, बल्कि समाज में उनके अधिकार और स्थान के प्रति जागरूकता फैलाने का माध्यम भी है।
अरावन देवता की पूजा और उनके साथ जुड़ी परंपराएं किन्नर समुदाय की अनूठी धार्मिक आस्थाओं को दर्शाती हैं। यह त्योहार न केवल उनकी संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि समाज के अन्य वर्गों को भी समानता, प्रेम और बलिदान का संदेश देता है। कूवगम का यह उत्सव भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि का एक अद्वितीय उदाहरण है।