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India News (इंडिया न्यूज), Navel of Lord Govardhan: इस साल गोवर्धन पूजा 2 नवंबर, शनिवार को है। गोवर्धन पूजा के दिन गाय के गोबर से भगवान गिरिराज की मूर्ति बनाई जाती है और फिर उसकी पूजा की जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने की भी परंपरा है। मान्यता है कि घर में गोवर्धन पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। गोवर्धन पूजा के दौरान कई काम किए जाते हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण काम गिरिराज जी की नाभि पर दीपक रखना होता है। आइए जानते हैं गोवर्धन पूजा के दौरान गिरिराज जी की नाभि पर दीपक क्यों रखा जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब बाल कृष्ण ने इंद्र के अहंकार को चूर करने के लिए अपनी सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाया था, तो जिस स्थान से उन्होंने गोवर्धन को उठाया था, वह उसका मध्य भाग था। यही कारण है कि गोवर्धन पूजा के दिन गिरिराज जी की गोबर से बनी मूर्ति की नाभि पर दीया रखा जाता है, क्योंकि नाभि शरीर का मध्य भाग है। दीये के अलावा घी, तेल और शहद रखने के भी विकल्प हैं।
Navel of Lord Govardhan: आखिर क्यों गोवर्धन भगवान की नाभी पर रखा जाता है दीपक?
इससे जुड़ी कथा के अनुसार जब बृजवासियों ने गोवर्धन उठाते समय कान्हा की उंगली पर लालिमा देखी तो उन्होंने उंगली पर घी, मक्खन, शहद, तेल आदि लगाना शुरू कर दिया। जब बृजवासियों द्वारा कान्हा की उंगलियों पर यह सब लगाया जा रहा था तो यह सब भगवान गोवर्धन के मध्य भाग पर लग रहा था। तभी से भगवान गोवर्धन की नाभि की पूजा करते समय इन सभी को सुरक्षित रखने की परंपरा बन गई। शास्त्रों में कहा गया है कि गोवर्धन पूजा के समय तेल, घी और शहद लगाने और गिरिराज भगवान की नाभि पर दीपक रखने से घर में धन की कमी नहीं होती और घर में सुख-समृद्धि आकर वास करती है।
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कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 01 नवंबर, 06:16 PM कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि समाप्त: 02 नवंबर, 08:21 PM ऐसे में गोवर्धन पूजा का त्योहार 02 नवंबर को मनाया जाएगा।
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