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Maa Durga: मानव जाति के लिए घातक बन चुके असुरों की संहारक बनी मां दुर्गा

India News Editor • LAST UPDATED : October 7, 2021, 10:39 am IST

Maa Durga: जब-जब धरती पर पाप बढ़ने लगा है तब-तब इस धरती पर रक्षा के लिए भगवान ने जन्म लिया है। ऐसे ही मानवता की रक्षा और देवताओं के लिए भय का कारण बन चुके महिषासुर के आतंक का सफाया करने के लिए मां दुर्गा (Maa Durga) को देवताओं ने प्रकट किया। आदि शक्ति मां दुर्गा (Maa Durga) का युद्ध महिषासुर के साथ नौं दिन चला, दसवें दिन शक्ति ने असुर को हरा दिया, जिसके बाद नवरात्रि और विजय दशमी की शुरूआत हुई।

मानवता व देवताओं के लिए सिरदर्द बन चुके असुरों का प्रकोप समय के साथ-साथ बढ़ता ही जा रहा था। जिसके बाद देवताओं के तेज से प्रकट हुई शक्ति ने न सिर्फ असुरों का संहार किया बल्कि मानवता की रक्षा करते हुए नौ रूप धारण किए।

पुराणों में मौजूद हैं Maa Durga के स्वरूपों की कथाएं 

मां दुर्गा (Maa Durga) की दसमहाविद्या, तीन महादेवियां जैसी कई स्वरूपों की कथाएं पुराणों में मौजूद हैं। देवी पुराण व देवी भागवत में वर्णित है कि पहली बार दुनिया ने मां दुर्गा को कब और कैसे देखा देखा व जाना गया है। मां शक्ति का उल्लेख शिव पुराण व देवी भागवत ग्रंथ में मौजूद है। इसमें बताया गया है कि महिषासुर असुरों के राजा रंभ का बेटा था, वहीं इसने भगवान ब्रहमा की घोर तपस्या करते हुए वरदान हासिल किया हुआ था कि उसे कोई भी दानव व देवता न तो हरा सके न ही मार सके।

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वहीं वह किसी भी परिस्थिति में भैंसे का रूप धारण कर सकता है। वरदान प्राप्त होते ही महिषासुर ने स्वर्ग पर धावा बोलते हुए कब्जा कर लिया, ब्रह्म जी के आर्शीवाद के चलते भगवान शिव समेत विष्णु भी इसे हराने में असमर्थ रहे। जिसके बाद महिषासुर पर काबू पाना मुश्किल हो गया।

देवताओं के तेज से उत्पन्न हुईं Maa Durga 

असुर के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए त्रिलोकी नाथ व भगवान विष्णु ने सभी देवताओं के साथ मंत्रणा कर ऐसी शक्ति उत्पन्न करने की योजना बनाई जो इस दानव को हरा सके। इसके बाद भगवान शिव के तेज से मुख बना, विष्णु के तेज से भुजाएं, यमराज के तेज से केश बने, चंद्रमा के तेज से वक्षस्थल, सूर्य के तेज से पैरों की अंगुलियां बनीं, कुबेर के तेज से बनी नाक, प्रजापति के तेज से दांत बने, अग्नि के तेज से तीन आंखें वहीं वायु देवता के तेज से कानों की उत्पति हुई। इस प्रकार सभी देवताओं ने अपने-अपने तेज का अंश देकर अष्ट भुजाधारी शक्ति को प्रकट किया।

इसके बाद असुर को मारने के लिए शंकर जी ने त्रिशुल, विष्णु ने सुदर्शन चक्र, वरूणदेव ने शंख, पवनदेव ने धनुष बाण, देवराज इंद्र ने वज्र, ब्रह जी ने कमंडल, अग्निदेव ने दुश्मन को भस्म करने की शक्ति प्रदान की। वहीं सुर्यदेव ने तेज दिया, समुद्र ने आभूषण, सरोवर ने सदाबहार रहने वाले फूलों की माला, कुबेर ने शहद से भरा पात्र दिया और हिमालय ने मां दुर्गा को उनका वाहन दे दिया।

सभी देवताओं का तेज और शस्त्र मिलने के बाद देवी का युद्ध महिषासुर से नौ दिनों तक चला और दसवें दिन राक्षस का वध कर दिया। जिसके बाद विजय दशमी का त्योहार मनाया जाने लगा। वहीं तीनों लोकों में देवी अजेय व दुर्गम हो गई। और फिर देवी को मां दुर्गा के नाम से पुकारा जाने लगा।

 

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1st navratri maa shailputri

2nd Navratri Maa Brahmacharini

3rd Navratri Maa Chandraghanta

4th Navratri Maa Kushmanda

5th Navratri Maa Skandamata

6th Navratri Maa Katyayani

7th Navratri Maa Kalratri

8th Navratri Maa Mahagauri

9th Navratri Maa Siddhidatri

 

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