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India News (इंडिया न्यूज़), Mahabharat Story: कृष्ण विराट रूप, महाभारत, अर्जुन, दुर्योधन, महाभारत युद्ध, भगवान कृष्ण कहते हैं कि नियति को कोई नहीं टाल सकता। महाभारत काल में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। एक समय ऐसा आया जब ऐसा लगा कि युद्ध किसी भी हालत में टाला नहीं जा सकता, तब श्री कृष्ण ने इसे टालने का प्रयास शुरू कर दिया। भगवान कृष्ण युद्ध टालने और संधि करने का प्रस्ताव लेकर धृतराष्ट्र के दरबार में पहुंचे। जब उन्होंने वहां पहुंचकर संधि का प्रस्ताव रखा तो दुर्योधन आगबबूला हो गया।
क्रोध में आकर दुर्योधन ने भगवान कृष्ण को अपशब्द कहे लेकिन कृष्ण मुस्कुराते रहे और अपना प्रस्ताव रखते रहे। हद तो तब हो गई जब दुर्योधन ने न सिर्फ श्री कृष्ण के प्रस्ताव पर असहमति जताई बल्कि उन्हें बांधकर रखने का आदेश भी दे दिया। दुर्योधन के इस व्यवहार से सभा में मौजूद हर कोई हैरान रह गया।
किसी को समझ नहीं आ रहा था कि दुर्योधन ऐसा क्यों कर रहा है। जब मुख्यमंत्री विदुर और पितामह ने दुर्योधन को टोका तो उसने गुस्से में उन्हें गालियाँ दीं। दुर्योधन इस बात पर अड़ा था कि कृष्ण को बाँध दिया जाना चाहिए। उसे किसी भी तरह से सभा से बाहर नहीं जाने दिया जाना चाहिए।
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दुर्योधन का आदेश सुनते ही वहां मौजूद द्वारपाल कृष्ण को बांधने के लिए दौड़ पड़े। लीलाधर कृष्ण समझ गए कि अब दुर्योधन को अपना विशाल रूप दिखाने का समय आ गया है। इसके बाद श्रीकृष्ण ने तेज प्रकाश वाला विशाल रूप धारण कर लिया। इस दौरान प्रकाश इतना तेज था कि मुख्यमंत्री विदुर और भीष्म पितामह के अलावा किसी को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।
कृष्ण के तेज प्रकाश के सामने दुर्योधन समेत सभी की आंखें चौंधिया गईं। नतीजा यह हुआ कि दुर्योधन चाहकर भी कृष्ण को बांध नहीं सका। कृष्ण के इस रूप के बाद भी दुर्योधन उन्हें समझ नहीं पाया और उन्हें एक साधारण इंसान समझने की भूल करता रहा।
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