Hindi News / Dharam / Mahabharats 4 Vows Became The Reason For Indias Biggest War

ये 4 प्रतिज्ञाएं बनी थी भारत के सबसे बड़े युद्ध की वजह? इतना घातक था अंत!

Kurukshetra Yuddh यदि भीष्म ने ब्रह्मचर्य का वचन नहीं लिया होता, यदि भीष्म ने सत्यवती के पुत्रों को राजगद्दी पर बिठाने की प्रतिज्ञा नहीं की होती

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News(इंडिया न्यूज), Kurukshetra Yuddh: धार्मिक और ऐतिहासिक ग्रंथ महाभारत के पीछे केवल एक युद्ध नहीं, बल्कि कई गहरी प्रतिज्ञाओं की कहानियाँ छिपी हैं। ये प्रतिज्ञाएँ ही थीं जिन्होंने कौरवों और पांडवों के बीच के संघर्ष को जन्म दिया और अंततः एक भीषण युद्ध की ओर ले गईं। आइए, इन प्रतिज्ञाओं की कहानी को विस्तार से जानते हैं।

भीष्म की पहली प्रतिज्ञा

बहुत समय पहले, हस्तिनापुर की भूमि पर एक ऐसा वचन हुआ जिसने राजवंश की दिशा बदल दी। भीष्म, जो राजा शांतनु के बेटे थे, ने अपने पिता के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतिज्ञा की। उनकी सौतेली मां, सत्यवती, की इच्छाओं को सम्मान देने के लिए भीष्म ने यह प्रतिज्ञा की कि वे आजीवन ब्रह्मचारी रहेंगे। इस प्रतिज्ञा ने उन्हें किसी भी राजकुमारी से विवाह करने से रोका और उनके जीवन को तपस्वि बना दिया। यह प्रतिज्ञा राजगद्दी के भविष्य पर गहरा प्रभाव डालने वाली थी, क्योंकि इसके कारण हस्तिनापुर का उत्तराधिकारी भीष्म के परिवार से नहीं बल्कि सत्यवती के पुत्रों से निर्धारित होने लगा।

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भीष्म की दूसरी प्रतिज्ञा

भीष्म की दूसरी प्रतिज्ञा ने राजगद्दी की दिशा और भी स्पष्ट कर दी। उन्होंने यह भी ठान लिया कि वे सत्यवती के पुत्रों को ही हस्तिनापुर की राजगद्दी पर बिठाएंगे। यह निर्णय उनके अपने छोटे भाई, विचित्रवीर्य, और उनके पुत्र दुर्योधन के लिए एक सटीक भविष्यवाणी बन गई। इसके परिणामस्वरूप, भीष्म ने कभी भी स्वयं को गद्दी पर नहीं बैठाया और परिवार के भीतर उत्तराधिकार की जटिलताओं का सामना करना पड़ा।

शकुनि की प्रतिज्ञा

दूसरी ओर, शकुनि नामक एक और पात्र ने अपने जीवन की दिशा बदल दी। वह प्रतिशोध की आग में जल रहा था। उसके पूरे कुनबे को भीष्म द्वारा एक भयानक सजा दी गई थी, जिससे उसका परिवार समाप्त हो गया। जीवित बचे शकुनि ने ठान लिया कि वह कौरवों का नाश करेगा और कभी भी कौरवों और पांडवों के बीच सुलह नहीं होने देगा। उसकी यह प्रतिज्ञा महाभारत के युद्ध की एक प्रमुख वजह बन गई, क्योंकि उसकी चालों और षड्यंत्रों ने युद्ध को और भी उग्र बना दिया।

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भीम की प्रतिज्ञा

महाभारत के युद्ध की जड़ों में भीम की प्रतिज्ञा भी गहराई से समाई हुई थी। जब द्रौपदी का चीरहरण हुआ और उसे जुए में हार के बाद अपमानित किया गया, तो भीम ने दुर्योधन और दुशासन को मारने की प्रतिज्ञा की। यह प्रतिज्ञा महाभारत के संघर्ष को व्यक्तिगत प्रतिशोध में बदल दिया और यह प्रतिज्ञा युद्ध की ज्वाला को और भी प्रज्वलित कर गई।

महाभारत के युद्ध को दिया था जन्म

इन चार प्रमुख प्रतिज्ञाओं ने मिलकर महाभारत के युद्ध को जन्म दिया। यदि भीष्म ने ब्रह्मचर्य का वचन नहीं लिया होता, यदि भीष्म ने सत्यवती के पुत्रों को राजगद्दी पर बिठाने की प्रतिज्ञा नहीं की होती, यदि शकुनि ने प्रतिशोध की प्रतिज्ञा नहीं की होती, और यदि भीम ने द्रौपदी के अपमान का बदला नहीं लिया होता, तो शायद हस्तिनापुर की भूमि पर वह भीषण युद्ध कभी न हुआ होता। महाभारत की कहानी उन प्रतिज्ञाओं की गूंज है, जिन्होंने एक पूरे युग की दिशा बदल दी और इतिहास को नया मोड़ दिया।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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