संबंधित खबरें
नए साल पर गलती से भी न करें ये काम, अगर कर दिया ऐसा तो मां लक्ष्मी देंगी ऐसी सजा जो सोच भी नहीं पाएंगे आप
दान में जो दे दिए इतने मुट्ठी चावल तो दुनिया की कोई ताकत नहीं जो रोक दे आपके अच्छे दिन, जानें सही तरीका और नियम?
सुबह उठते ही इन मंत्रों का जाप पलट के रख देगा आपकी किस्मत, जानें जपने का सही तरीका
Today Horoscope: इन 5 राशियों के लिए आज बनेंगे कई नए अवसर, तो वही इन 3 जातकों को होगी संभलकर रहे की जरुरत, जानें आज का राशिफल
साल के आखरी सप्ताह में इन राशियों की चमकने वाली है किस्मत, होगा इतना धन लाभ की संभाले नही संभाल पाएंगे आप!
अंधविश्वास या हकीकत? बिल्ली रास्ता काटे तो क्या सच में रुक जाना होता है सही, वजह जान चौंक उठेंगे आप!
India News(इंडिया न्यूज), Kurukshetra Yuddh: धार्मिक और ऐतिहासिक ग्रंथ महाभारत के पीछे केवल एक युद्ध नहीं, बल्कि कई गहरी प्रतिज्ञाओं की कहानियाँ छिपी हैं। ये प्रतिज्ञाएँ ही थीं जिन्होंने कौरवों और पांडवों के बीच के संघर्ष को जन्म दिया और अंततः एक भीषण युद्ध की ओर ले गईं। आइए, इन प्रतिज्ञाओं की कहानी को विस्तार से जानते हैं।
बहुत समय पहले, हस्तिनापुर की भूमि पर एक ऐसा वचन हुआ जिसने राजवंश की दिशा बदल दी। भीष्म, जो राजा शांतनु के बेटे थे, ने अपने पिता के लिए एक महत्वपूर्ण प्रतिज्ञा की। उनकी सौतेली मां, सत्यवती, की इच्छाओं को सम्मान देने के लिए भीष्म ने यह प्रतिज्ञा की कि वे आजीवन ब्रह्मचारी रहेंगे। इस प्रतिज्ञा ने उन्हें किसी भी राजकुमारी से विवाह करने से रोका और उनके जीवन को तपस्वि बना दिया। यह प्रतिज्ञा राजगद्दी के भविष्य पर गहरा प्रभाव डालने वाली थी, क्योंकि इसके कारण हस्तिनापुर का उत्तराधिकारी भीष्म के परिवार से नहीं बल्कि सत्यवती के पुत्रों से निर्धारित होने लगा।
मरते समय क्यों दुर्योधन ने श्री कृष्णा की ओर देख की थी तीन उंगलियां? क्या था वो संकेत!
भीष्म की दूसरी प्रतिज्ञा ने राजगद्दी की दिशा और भी स्पष्ट कर दी। उन्होंने यह भी ठान लिया कि वे सत्यवती के पुत्रों को ही हस्तिनापुर की राजगद्दी पर बिठाएंगे। यह निर्णय उनके अपने छोटे भाई, विचित्रवीर्य, और उनके पुत्र दुर्योधन के लिए एक सटीक भविष्यवाणी बन गई। इसके परिणामस्वरूप, भीष्म ने कभी भी स्वयं को गद्दी पर नहीं बैठाया और परिवार के भीतर उत्तराधिकार की जटिलताओं का सामना करना पड़ा।
दूसरी ओर, शकुनि नामक एक और पात्र ने अपने जीवन की दिशा बदल दी। वह प्रतिशोध की आग में जल रहा था। उसके पूरे कुनबे को भीष्म द्वारा एक भयानक सजा दी गई थी, जिससे उसका परिवार समाप्त हो गया। जीवित बचे शकुनि ने ठान लिया कि वह कौरवों का नाश करेगा और कभी भी कौरवों और पांडवों के बीच सुलह नहीं होने देगा। उसकी यह प्रतिज्ञा महाभारत के युद्ध की एक प्रमुख वजह बन गई, क्योंकि उसकी चालों और षड्यंत्रों ने युद्ध को और भी उग्र बना दिया।
भगवान Ram को 14 साल का ही क्यों हुआ वनवास,10 या 15 क्यों नहीं? रहस्य जान उड़ जाएंगे होश!
महाभारत के युद्ध की जड़ों में भीम की प्रतिज्ञा भी गहराई से समाई हुई थी। जब द्रौपदी का चीरहरण हुआ और उसे जुए में हार के बाद अपमानित किया गया, तो भीम ने दुर्योधन और दुशासन को मारने की प्रतिज्ञा की। यह प्रतिज्ञा महाभारत के संघर्ष को व्यक्तिगत प्रतिशोध में बदल दिया और यह प्रतिज्ञा युद्ध की ज्वाला को और भी प्रज्वलित कर गई।
इन चार प्रमुख प्रतिज्ञाओं ने मिलकर महाभारत के युद्ध को जन्म दिया। यदि भीष्म ने ब्रह्मचर्य का वचन नहीं लिया होता, यदि भीष्म ने सत्यवती के पुत्रों को राजगद्दी पर बिठाने की प्रतिज्ञा नहीं की होती, यदि शकुनि ने प्रतिशोध की प्रतिज्ञा नहीं की होती, और यदि भीम ने द्रौपदी के अपमान का बदला नहीं लिया होता, तो शायद हस्तिनापुर की भूमि पर वह भीषण युद्ध कभी न हुआ होता। महाभारत की कहानी उन प्रतिज्ञाओं की गूंज है, जिन्होंने एक पूरे युग की दिशा बदल दी और इतिहास को नया मोड़ दिया।
क्या रावण ने महाभारत काल में लिया था जन्म? श्रीकृष्ण से था ये रिश्ता!
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.