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India News (इंडिया न्यूज), Saint Siyaram Baba Last Rites: निमाड़ के संत सियाराम बाबा का अंतिम संस्कार बुधवार को हिंदू रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ। बाबा के अंतिम दर्शन के लिए निमाड़ और मध्य प्रदेश सहित देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु खरगोन के तेली भट्टयान आश्रम पहुंचे। संत सियाराम बाबा ने बुधवार सुबह 6:10 बजे अपने आश्रम में अंतिम सांस ली। बाबा के पार्थिव शरीर को ओटले पर रखा गया था, जहाँ सुबह 9 बजे से लेकर अंतिम संस्कार तक लाखों भक्तों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
बाबा का अंतिम संस्कार तेली भट्टयान बुजुर्ग आश्रम में किया गया। दोपहर 3 बजे संत परंपरा के अनुसार बाबा को पालकी में बिठाकर अंतिम यात्रा निकाली गई, जो 3:30 बजे नर्मदा तट स्थित घाट पर पहुंची। चंदन की लकड़ी और गाय के गोबर से सजी चिता पर पंचामृत से बाबा का अभिषेक किया गया। संतों की उपस्थिति में ठीक 4 बजे बाबा को मुखाग्नि दी गई।
महादेव को तो साक्षात् मोक्ष का देवता ही कहा जाता है फिर कैसे वो अपने इतने बड़े भक्त को लेने ना आते अब आप सोच रहे होंगे आये भी तो भला हमें कहा ही दिखेंगे तो चलिए आप ये भी देख लीजिये संत सियाराम बाबा की जलती चिता में साक्षात् महादेव दिखाई दिए जिसके बाद से ही इस वीडियो ने आग की तरह फैलना शुरू कर दिया बाबा के भक्त इस दर्शन को पाकर मंत्रमुग्ध ही हो गए मानो। आप भी देखें तस्वीर…
बाबा के निधन की खबर सुनते ही लाखों भक्त तेली भट्टयान आश्रम की ओर उमड़ पड़े। आश्रम तक पहुंचने के लिए भक्तों को 5 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करनी पड़ी। आश्रम के आसपास वाहनों की पार्किंग व्यवस्था ग्राम पिपलगोन में की गई, जहाँ से भक्त पैदल ही आश्रम पहुंचे।
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नर्मदा तट पर भी हजारों श्रद्धालु बाबा के अंतिम दर्शन के लिए उपस्थित थे। आसपास के ग्राम मोगावा और धरगांव में बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई गई, जहां से लाइव प्रसारण दिखाया गया।
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संत सियाराम बाबा पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। 29 नवंबर को उन्हें निमोनिया होने की पुष्टि हुई थी। डॉक्टरों की निगरानी में उनका उपचार आश्रम में ही चल रहा था। अंतिम दिनों में उन्होंने भोजन करना लगभग बंद कर दिया था और केवल तरल पदार्थ ही ग्रहण कर रहे थे।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आश्रम पहुंचकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए और बाबा के योगदान को सराहा। मुख्यमंत्री ने बाबा की कर्मभूमि तेली भट्टयान आश्रम को पवित्र क्षेत्र बनाने की घोषणा की।
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सियाराम बाबा केवल संत नहीं थे, बल्कि निमाड़ और आसपास के क्षेत्र में सामाजिक और आध्यात्मिक सुधार के प्रतीक थे। उनके विचार और शिक्षाएं भक्तों के जीवन का मार्गदर्शन करती रहीं। बाबा का आश्रम न केवल ध्यान और साधना का केंद्र था, बल्कि गरीब और जरूरतमंदों की सेवा का भी स्थल था।
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बाबा के अंतिम संस्कार में उमड़ी भीड़ उनकी लोकप्रियता और भक्तों के मन में उनके प्रति गहरी श्रद्धा का प्रमाण है। संत सियाराम बाबा का निधन एक युग के अंत जैसा है, लेकिन उनकी शिक्षाएं और आदर्श हमेशा प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
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