India News (इंडिया न्यूज़), Mahashivratri 2024, दिल्ली: देवों के देव महादेव ऐसे देवता है जो अपने भक्तों की थोड़ी सी पूजा अर्चना से ही प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें मनचाहा फल देते हैं। शास्त्र के अनुसार भगवान शिव इस संपूर्ण जगत के आधार है। ऐसे में महाशिवरात्रि भी काफी करीब आ गई है और इस महाशिवरात्रि पर हम आपको महादेव से जुड़े कथा सुनने वाले हैं। जिसमें उनके शीश पर विराजमान चंद्रमा को लेकर हम उल्लेख करेंगे।
शिव पुराण में दिखाई गई कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन किया जा रहा था। तो उसमें विष की उत्पत्ति हुई थी। जिसे पूरा जगत घबरा गया था। ऐसे में स्वयं भगवान शिव ने समुद्र मंथन से विष का पान करने का निर्णय किया और विष पीने के बाद उनका पूरा शरीर अत्यधिक गर्म हो गया। यह देखकर सभी देवता काफी ज्यादा चिंतित हुए इसके बाद चंद्रमा ने उनसे प्रार्थना की कि वह उन्हें माथे पर धारण कर ले।
Mahashivratri 2024
जिससे उनके शरीर को ठंडक मिलेगी। इसके साथ ही विष का प्रभाव ही कुछ काम हो जाएगा। पहले सुझाव के लिए भगवान शिव ने इनकार किया लेकिन चंद्रमा के शीतल होने के कारण वह तीव्रता संभाल नहीं पाती लेकिन अन्य देवताओं की निवेदन करने के बाद उन्होंने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण कर लिया। ऐसी लोक मान्यता है कि तभी से चंद्रमा भगवान शिव की मस्तक पर विराजमान है और उन्हें अपनी शीतलता प्रदान कर रहे हैं। Mahashivratri
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एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि चंद्रमा को पूर्ण जीवित करने के लिए भगवान शिव ने उन्हें अपने मस्तक पर धारण किया था। कहा जाता है कि चंद्रमा का विवाह दक्ष प्रजापति की 27वीं नक्षत्र कन्याओं के साथ संपन्न हुआ। जिसमें रोहिणी उनकी सबसे समीप थी।
यह देखा जाता है की कन्याओं ने अपने पिता दक्ष से उनका दुख प्रकट किया राजा दक्ष के समझाने पर भी वह चंद्रमा नहीं माने। तब उन्होंने चंद्र देव को श्राप दे दिया जिसके बाद वह रोग से ग्रस्त हो गए और धीरे-धीरे काला पड़ने लगे।
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तब इंद्र और बाकी देवताओं में उन्हें ब्रह्मा जी की शरण में जाने का सुझाव दिया। ब्रह्मा जी ने चंद्रमा से कहा कि तुम देवताओं के साथ प्रभास नमक शुभ क्षेत्र में जाकर महामृत्युंजय मंत्र का अनुष्ठान करो। इससे भगवान शिव की आराधना पूरी होगी। अपने सामने शिवलिंग की स्थापना करना जिसके बाद चंद्र देव नेत्र तपस्या करने लगे।
वही चंद्रमा के भक्ति भाव से भगवान शंकर प्रसन्न हुए इसके बाद उन्होंने सकारात्मक रूप से उनके दोषो का निवारण किया। वही उन्हें वरदान दिया गया कि एक पक्ष में उनकी कल श्रेणी चलेगी तो दूसरे पक्ष में वह निरंतर बढ़ते रहेंगे। जिससे चंद्रमा मृत्यु को प्राप्त नहीं कर पाएंगे धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य ठीक हुआ। पूर्णमासी पर पूर्ण चंद के रूप में प्रकट होने के बाद शिव ने प्रसन्न होकर चंद्रमा को अपने शीश पर सुशोभित कर लिया।
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