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India News (इंडिया न्यूज), Mahashivratri 2025: भारतीय धर्म और संस्कृति में फूलों का अत्यधिक महत्व है, विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा में। कहा जाता है कि हर देवता के लिए कुछ विशेष फूल होते हैं, जो उनके पूजन में अर्पित किए जाते हैं, और कुछ फूलों का प्रयोग निषिद्ध माना जाता है। भगवान विष्णु का प्रिय फूल केतकी को जहाँ पूजा में स्वीकार किया जाता है, वहीं भगवान शिव की पूजा में इसे निषिद्ध माना गया है। इसके पीछे एक गहरी पौराणिक कथा है, जो भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच हुए श्रेष्ठता विवाद से जुड़ी हुई है।
केतकी का फूल भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है, लेकिन इसे भगवान शिव की पूजा में अर्पित नहीं किया जाता। इसके पीछे एक पुरानी कथा है, जो भगवान शिव के क्रोध और उनके द्वारा ब्रह्मा जी को श्राप देने से जुड़ी है। महाशिवरात्रि जैसे महत्वपूर्ण पर्व पर केतकी के फूल का शिवलिंग पर अर्पण न केवल निषेध है, बल्कि इससे पूजा भी निष्फल मानी जाती है।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच यह विवाद छिड़ गया था कि इनमें से कौन श्रेष्ठ है। दोनों ने अपनी-अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए तर्क प्रस्तुत किए और इस विवाद को बढ़ाने लगे। इस स्थिति को शांत करने के लिए भगवान शिव ने एक विशाल ज्योतिर्लिंग का निर्माण किया, जो आकाश से लेकर पाताल तक फैलने वाला था।
भगवान शिव ने घोषणा की कि जो इस ज्योतिर्लिंग का आदि और अंत खोज लेगा, वही सबसे श्रेष्ठ माना जाएगा। भगवान विष्णु ने नीचे की ओर यात्रा शुरू की, जबकि ब्रह्मा जी ने ऊपर की ओर यात्रा शुरू की। विष्णु जी ने कई वर्षों तक प्रयास किया, लेकिन अंततः यह स्वीकार कर लिया कि वे इसका अंत नहीं खोज पाए।
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जब ब्रह्मा जी को ज्योतिर्लिंग का आदि नहीं मिला, तो उन्होंने केतकी के फूल को अपनी झूठी गवाही के रूप में प्रस्तुत किया। ब्रह्मा जी ने भगवान शिव से कहा कि उन्होंने ज्योतिर्लिंग का आदि देख लिया है और केतकी के फूल को गवाह के रूप में पेश किया। भगवान शिव इस झूठी गवाही से क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रह्मा जी का पांचवां सिर काट दिया। साथ ही, भगवान शिव ने केतकी के फूल को श्रापित कर दिया कि अब से यह फूल उनकी पूजा में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
महाशिवरात्रि भगवान शिव का सबसे प्रमुख पर्व है, जो फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त विशेष रूप से रात्रि जागरण, व्रत और रुद्राभिषेक करते हैं। मान्यता है कि इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, दही, घी और बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
लेकिन इस दिन केतकी का फूल शिवलिंग पर भूलकर भी अर्पित नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह भगवान शिव के कोप का कारण बन सकता है। इसके स्थान पर बेल पत्र, धतूरा, सफेद और नीला अपराजिता और आक के फूल चढ़ाए जाते हैं।
केतकी के फूल का शिव पूजा में निषेध होना एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा पर आधारित है, जो भगवान शिव के क्रोध और ब्रह्मा जी द्वारा किए गए असत्य भाषण से जुड़ी हुई है। महाशिवरात्रि के दिन विशेष ध्यान रखना चाहिए कि पूजा विधि का पालन सही ढंग से किया जाए, ताकि भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो सके और पूजा सफल हो। केतकी का फूल शिवलिंग पर न चढ़ाकर, बेल पत्र, धतूरा और अन्य स्वीकृत फूलों का अर्पण करना चाहिए। इस प्रकार, भगवान शिव की पूजा का सही तरीके से पालन करके भक्त अपने जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं।