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Makar Sankranti 2024: लीप वर्ष में मकर संक्रांति का देश-दुनिया पर क्या पड़ेगा प्रभाव? जाने इस पर्व से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

India News (इंडिया न्यूज़), Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति का पर्व पूरे देश में बड़ी ही श्रद्धाभाव और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लेकिन इस बार मकर संक्रांति की डेट को लेकर कुछ लोगों में कन्फ्यूजन भी है। मकर संक्रांति कब है, मकर संक्रांति क्या महत्व है, सूर्य गोचर का देश-दुनिया पर क्या प्रभाव […]

BY: Nishika Shrivastava • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज़), Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति का पर्व पूरे देश में बड़ी ही श्रद्धाभाव और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लेकिन इस बार मकर संक्रांति की डेट को लेकर कुछ लोगों में कन्फ्यूजन भी है। मकर संक्रांति कब है, मकर संक्रांति क्या महत्व है, सूर्य गोचर का देश-दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा? तो यहां जानिए मकर संक्रांति पर्व से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी।

लीप वर्ष में इस दिन मनाया जाएगा मकर संक्रांति पर्व

आपको बता दें कि अंग्रेजी साल 2024 में इस बार लीप वर्ष का संयोग बन रहा है। यह वर्ष 365 दिनों के बजाय 366 दिनों का होगा। फरवरी 28 दिनों का होता है, लेकिन लीप वर्ष में फरवरी 29 दिनों का रहेगा। इस महीने सप्ताह के सात वारों में से छह वार चार-चार बार पड़ रहें हैं। केवल गुरुवार पांच बार पड़ेगा। प्रत्येक वर्ष के पहले महीने में मकर संक्रांति पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है।

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Makar Sankranti 2024

इस साल लीप वर्ष के संयोग में सूर्य 15 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश कर रहा है, इसलिए मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाएंगे। ऐसे में सूर्यास्त के बाद राशि परिवर्तन करने से इस साल मकर संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को रहेगा। इस वर्ष मकर संक्रांति अश्व पर बैठकर आएगी यानी उनका वाहन अश्व और उपवाहन सिंह होगा। मकर संक्रांति के आगमन के साथ ही एक माह का खरमास भी समाप्त हो जाएगा।

संक्रांति का वाहन

अश्व
उपवाहन शेर
आगमन दिशा दक्षिण दिशा से संक्रांति का आगमन
प्रस्थान दिशा उत्तर दिशा में संक्रांति का प्रस्थान
प्रभाव

गेहूं, दूध के उत्पादों में वृद्धि, भारत का पराक्रम बढ़ेगा

सूर्य का मकर राशि में प्रवेश

सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी की रात्रि 2:42 बजे हो रहा है। उदया काल को महत्व दिए जाने से 15 जनवरी को सूर्य के उदय होने पर मकर संक्रांति मनाना शुभ होगा। पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, शतभिषा नक्षत्र होने से सुबह से ही पुण्यकाल प्रारंभ हो जाएगा।

रवि योग

इस साल मकर संक्रांति पौष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 15 जनवरी को रवि योग, शतभिषा नक्षत्र में मनाई जाएगी। इस दिन वारियांन योग पूरे दिन रहेगा। रवि योग सुबह 7:15 से 8:07 बजे तक रहेगा।

मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति का महा पुण्य काल सुबह 07:15 मिनट से सुबह 09:00 बजे तक है। इस समय में आपको मकर संक्रांति का स्नान और दान करना चाहिए। उस दिन महा पुण्य काल 1 घंटा 45 मिनट तक है। हालांकि पुण्य काल में भी मकर संक्रांति का स्नान दान होगा।

मकर संक्रांति का वाहन अश्व, उपवाहन शेर

मकर संक्रांति का वाहन इस बार अश्व है और उपवाहन शेर है। दोनों ही तेज दौड़ते हैं और गति के प्रतीक हैं। संक्रांति के प्रभाव से गेहूं, अनाज दूध और दूध से निर्मित पदार्थों के उत्पादन में वृद्धि होगी। वहीं, भारत देश का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पराक्रम बढ़ेगा। अन्य देशों से संबंध मजबूत होंगे।

देश के लिए मकर संक्रांति शुभ

मकर संक्रांति पर सूर्य की पूजा, नदियों में स्नान, देव दर्शन और दान से विशेष पुण्य फल मिलेगा। इस संक्रांति का वाहन अश्व और उपवाहन सिंह होने से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का पराक्रम बढ़ेगा। दूसरे देशों से संबंध मजबूत होंगे। विद्वान और शिक्षित लोगों के लिए ये संक्रांति शुभ रहेगी। लेकिन अन्य कुछ लोगों में डर बढ़ सकता है। अनाज बढ़ेगा और महंगाई पर नियंत्रण भी रहेगा। चीजों की कीमतें सामान्य रहेंगी।

नदी में स्नान, दान का महत्व

मकर संक्रांति पर सूर्य, धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना शुभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके तिल, गुड़, वस्त्र का दान करने से पुण्य में वृद्धि होती है।

भीष्म ने किया था उत्तरायण काल का इंतजार

मान्यता है कि संक्रांति के दिन सूर्य, उत्तरायण में प्रवेश करता है। भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्यागने के लिए इस दिन का चयन किया था।

पतंग उड़ाने की परंपरा

मकर संक्रांति पर्व को उत्तर भारत में स्नान पर्व के रूप में मनाया जाता है। पवित्र नदियों में स्नान करके खिचड़ी खिलाने, तिल, गुड़ का दान करने की मान्यता है। जीवन में खुशियां, उत्साह, उमंग के लिए आकाश में पतंग उड़ाने की परंपरा निभाई जाती है। इसी तरह दक्षिण भारत में पोंगल पर्व के रूप में मनाते हैं। गुजरात में उत्तरायण, पंजाब में लोहड़ी के रूप में मनाते हैं।

 

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