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साल के इन दो महीनो में कभी नहीं करवाना चाहिए पहली संतान का मुंडन, जानें क्या हैं कारण!

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : July 16, 2024, 8:00 pm IST
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साल के इन दो महीनो में कभी नहीं करवाना चाहिए पहली संतान का मुंडन, जानें क्या हैं कारण!

India News(इंडिया न्यूज), Bachche ka Mundan: संतान का मुंडन संस्कार हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण रीति है जो बच्चे के जन्म के बाद किया जाता है। इस संस्कार में बच्चे के सिर के बाल को शेवधारण करने के साथ ही उसके भविष्य के लिए शुभ कार्यों की कामना की जाती है। हिंदू परंपरा में, कुछ ग्रंथों और पुराणों में यह उल्लेख है कि संतान का मुंडन पहली दो महीनों में नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस समय में बच्चे की स्थिति अधिक कमजोर होती है और वे संक्रमणों से आसानी से प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए, इस संस्कार को बच्चे के देह की स्थिति के अनुसार समयित करना उचित माना जाता है।

संतान का मुंडन हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण संस्कार है जो बच्चे के जन्म के कुछ महीने बाद किया जाता है। इस संस्कार में बच्चे के सिर के बालों को शेवधारण कर उन्हें धार्मिक और सामाजिक संस्कार का हिस्सा बनाया जाता है।

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क्या कहता हैं हिंदू धर्म

हिंदू धर्म में, पुराणों और शास्त्रों में वर्णित है कि पहले दो महीनों में बच्चे का मुंडन नहीं करना चाहिए। इसका कारण है कि इस समय में बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता अधिक कमजोर होती है और वे संक्रमणों का शिकार हो सकते हैं। इसलिए, समाज ने इस संस्कार को बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्थिति के अनुसार समयित करने की सलाह दी है।

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पहली संतान का मुंडन संस्कार

संतान का मुंडन संस्कार उस विशिष्ट समय पर किया जाता है जब बच्चे के बाल उगने शुरू होते हैं और उनका मासिक शरीरिक विकास संगठित हो रहा हो। इस समय पर बच्चे को संस्कार के माध्यम से समाजीक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी प्रेरित किया जाता है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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