संबंधित खबरें
पर्स में ये एक चीज रखते ही खींची आती है मां लक्ष्मी…पैसों के साथ-साथ जीवन में भी भर देती है सुख-समृद्धि
2025 में राहु-केतु करेंगे इन 3 राशियों का बंटा धार, राजा से फ़कीर बनाने में नहीं छोड़ेंगे कोई कसर, जानें नाम
शिव की नगरी काशी से कभी नहीं लानी चाहिए ये 2 चीजें घर, पाप नहीं महापाप बन जाएगी आपकी ये भूल?
पूरे 9 साल के बाद इन 5 राशियों पर शांत हुआ मां काली का गुस्सा, अब जिंदगी में दिखेंगे दो बड़े बदलाव
शुक्र-शनि मिलकर बना रहे ऐसा भयंकर योग, 3 राशी वाले बनेंगे राजा, जानें क्या-क्या बदल जाएगा
इस विशेष समय में बेहद प्रबल रहता है राहु…बस इस प्रकार करनी होती है पूजा और भर देता है धन-धान्य से तिजोरी
तरूण सागर जी महाराज
राष्टसंत
राष्ट्र संत तरुण सागर महाराज के कड़वे वचन आज भी हमारे जीवन में मिठास घोल देते हैं। यही कारण है कि किसी भी धर्म का व्यक्ति हो या किसी भी ओहदे पर बैठा व्यक्ति, सभी उनके आगे नतमस्तक रहते हैं। यहां तक कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके मुरीद हैं। तरुण सागर जी महाराज के कड़वे वचन जो हमारे जीवन में मिठास घोल देते हैं…। मध्यप्रदेश के दमोह जिले के गुंहची गांव में 26 जून 1967 में जन्मे मुनिश्री तरुण सागर महाराज का बचपन का नाम पवन कुमार जैन था। माता का नाम शांतिबाई जैन और पिता का नाम प्रताप चंद्र जैन था। तरुण सागर 4 भाई व 3 बहनों में सबसे छोटे थे। नटखट स्वभाव के होने के कारण वे पूरे परिवार, गांव और यहां तक कि विद्यालय में भी सबके चहेते बन गए थे। माध्यमिक शाला तक पढ़े तरुण सागर ने 8 मार्च 1981 को अपना घर त्याग दिया था। 1 सितंबर 2018 को दिल्ली में राष्ट्र संत का निधन हो गया था। तरुण सागरजी ने कड़वे प्रवचन नाम से बुक सिरीज भी शुरू की थी, जिसकी वजह से वे दुनियाभर में चर्चित हुए।
संघ प्रमुख से लेकर मोदी भी रहे भक्त: तरुण सागरजी महाराज के चाहने वालों की फेहरिस्त लंबी है। संघ प्रमुख से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके विचारों के कायल हैं। जब भी मौका मिलता था तो मोदी तरुण सागरजी महाराज का आशीर्वाद लेने पहुंच जाते थे। जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब भी विभिन्न अवसरों पर तरुण सागरजी के काफी निकट रहते थे। यही कारण है कि जब तरुण सागरजी महाराज का निधन हुआ तो नरेंद्र मोदी भी बेहद दुखी थे। मोदी ने 29 जुलाई 2012 को गुजरात मुख्यमंत्री रहते हुए उन्हें तरुण क्रांति पुरस्कार से सम्मानित किया था।
जलेबी खाते-खाते बने जैन मुनि: मुनिश्री के बारे में कहा जाता है कि उन्हें पहली बार संन्यासी बनने का विचार जलेबी खाते-खाते आया था। यह किस्सा वे साक्षात्कार में सुना चुके हैं। उन्होंने कहा था कि वे एक दिन स्कूल से घर जा रहे थे। इस दौरान रास्ते में जलेबी खाने के लिए रुके। जलेबी खाते-खाते मुझे पास में चल रहे आचार्य पुष्पधनसागरजी महाराज का प्रवचन सुनाई दिया। वे कह रहे थे कि तुम भी भगवान बन सकते हो। जब मैंने यह बात सुनी तो मैंने संत परंपरा अपना ली। तब तरुण सागरजी की उम्र महज 12 वर्ष के आसपास थी। उन्होंने अपना घर त्याग दिया था।
जब करणी सेना को कह दिया था कायर सेना: मध्यप्रदेश में जब फिल्म पद्मावत की रिलीज पर विवाद चल रहा था और करणी सेना हंगामे पर उतारू हो गई थी। इसी बीच तरुण सागर जी ने करणी सेना पर बड़ा हमला बोला था। कई जगह तोड़फोड़ और आगजनी करने वाली करणी सेना के इस काम को कायराना बताते हुए मुनिश्री ने कहा था कि विरोध करना हो तो शांतिपूर्ण करो, मासूम बच्चों पर अत्याचार मत करो। हिम्मत है तो सेना पर हमला करके दिखाओ। राष्ट्र की संपत्ति को क्षति पहुंचाना देश के साथ खिलवाड़ है। और देश के साथ खिलवाड़ स्वयं के साथ खिलवाड़।
नोटबंदी पर दिया था ऐसा बयान: जैन मुनि तरुण सागर ने देश में नोटबंदी के बाद एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने बोला था कि संत हमेशा से ही अपने प्रवचनों में बोलते आ रहे हैं कि नोट केवल कागज के टुकड़े हैं। इस माया से दूर रहना चाहिए। लेकिन, पीएम नरेंद्र मोदी ने साबित कर दिया कि नोट केवल कागज के ही टुकड़े हैं। मुनिश्री ने नोटबंदी को मोदी का एक क्रांतिकारी कदम बताया था। चोट खाकर ही आदमी चोटी पर पहुंचता है। मतलब ठोकर सहकर ही आदमी ठाकुर बनता है।
कपड़े नहीं पहनने की बताते थे ऐसी वजह: एक बार राजस्थान के सीकर में उन्होंने अपने कपड़े नहीं पहनने पहने के सवाल पर बेबाकी से उत्तर दिया। उनसे पूछा गया था कि दिगम्बर जैन मुनि के तन पर लंगोट (कपड़े) क्यों नहीं होते हैं, इस पर मुनिश्री ने कहा था कि जब मन में कोई खोट नहीं, इसलिए उनके तन पर कोई लंगोट भी नहीं। शरीर पर वस्त्र तो विकारों को ढंकने के लिए होते हैं, जो विकारों से परे हैं, जैसे शिशु और मुनि, इन्हें वस्त्रों की क्या जरूरत है।
जिंदगी में अच्छे लोगों की तलाश मत करो, खुद अच्छे बन जाओ। आपसे मिलकर शायद किसी की तलाश पूरी हो जाए।
याद रखना कि जिंदा आदमी ही मुस्कुराएगा, मुर्दा कभी नहीं मुस्कुराता और कुत्ता चाहे तो भी मुस्कुरा नहीं सकता, हंसना तो सिर्फ मनुष्य के भाग्य में ही है। इसलिए जीवन में सुख आए तो हंस लेना, लेकिन दुख आए तो हंसी में उड़ा देना।
लक्ष्मी पूजा के काबिल तो है लेकिन भरोसे के काबिल कतई नहीं। लक्ष्मी की पूजा तो करना मगर लक्ष्मी पर भरोसा मत करना, क्योंकि लक्ष्मी स्थिर नहीं है। और भगवान की पूजा भले ही मत करना, लेकिन भगवान पर भरोसा हर हाल में रखना। क्योंकि वो सदैव अपने भक्त का ध्यान रखते हैं।
तुम्हारी वजह से जीते जी किसी की आंखों में आंसू आए तो यह सबसे बड़ा पाप है। लोग मरने के बाद तुम्हारे लिए रोए, यह सबसे बड़ा पुण्य है।
तरुण सागरजी कहते हैं कि बातचीत जरूरी है, लेकिन ग्रहस्थ जीवन में कभी तर्क नहीं करने चाहिए। क्योंकि जहां तर्क है, वहां नर्क है। जहां समर्पण है, वहां स्वर्ग।
विनर्मता में जीने की आदत डालो। हाथ जोड़कर रहो, हाथ बांधकर नहीं। यही खुशहाल जीवन का रहस्य है। क्योंकि समर्पण जीवन में खुशहाली लाता है।
तरुण सागरजी कहते थे- हर सवाल का जवाब देना जरूरी नहीं। कोई चिल्ला रहा है, गुस्सा कर रहा है, तो आप शांत रहें। वह आपे में नहीं है तो आप तो अपना रिमोट अपने हाथ में रखिएं।
आप सीधे रास्ते चलोगे तो लोग कुछ कहेंगे, बेवजह कहेंगे, बेकार की बातें कहेंगे और बार-बार बोलेंगे। इसलिए आवश्यक है कि सुनने की आदत डालिए और अपने काम सहज भाव से करते रहें।
Read More : 3000 किलो हेरोइन मामले में एनआईए ने अमृतसर में पूर्व अकाली नेता के घर ली तलाशी
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.