Hindi News / Dharam / Naga Sadhus Eat This Kind Of Food Not Only Different From The Human World It Is So Strange That You Wont Believe Your Eyes After Seeing It

इस तरह का खाना खाते है नागा साधु…इंसानी दुनिया से अलग ही नहीं, इतना है अजीब कि देखकर आंखों को नहीं होगा यकीन

Naga Sadhu: इस तरह का खाना खाते है नागा साधु

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Naga Sadhu: भारत की संस्कृति और अध्यात्म में नागा साधुओं का एक विशेष स्थान है। उनका अनोखा रूप, शरीर पर भभूति, माथे पर चंदन का तिलक, और गले में माला देखकर कोई भी उनके प्रति आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता। कुंभ मेले में नागा साधुओं की उपस्थिति हमेशा ही मुख्य आकर्षण का केंद्र होती है। उनकी कठोर तपस्या, साधना, और रहस्यमय जीवनशैली ने सदैव लोगों का ध्यान खींचा है। हालांकि, उनके जीवन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण और रोचक बात यह भी है कि वे क्या खाते हैं और उनके भोजन की आदतें कैसी होती हैं। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।

नागा साधुओं का सात्विक और प्राकृतिक आहार

नागा साधु शुद्ध शाकाहारी होते हैं और उनका आहार सात्विक तथा प्राकृतिक होता है। वे दिनभर में केवल एक बार भोजन करते हैं, जिसे वे अपनी तपस्या और साधना का अभिन्न हिस्सा मानते हैं। उनका आहार अत्यंत साधारण होता है, जिसमें मुख्य रूप से कंदमूल, जड़ी-बूटियां, फूल, फल, और पत्तियां शामिल होती हैं। यह साधु अपने शरीर और मन को शुद्ध रखने के लिए अत्यंत प्राकृतिक आहार का सेवन करते हैं।

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भिक्षा से प्राप्त भोजन

नागा साधु भोजन के लिए भिक्षा मांगते हैं। वे केवल सात घरों तक ही भिक्षा मांग सकते हैं और जो कुछ भी उन्हें मिलता है, वही उनका भोजन होता है। इस प्रक्रिया को वे अपने तपस्वी जीवन का हिस्सा मानते हैं, जो त्याग और संतोष की भावना को प्रकट करता है। भिक्षा मांगना उनके साधु जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो उन्हें सांसारिक मोह-माया से दूर रखता है।

आहार और तपस्या का संबंध

नागा साधु अपने आहार को तपस्या का हिस्सा मानते हैं। उनका यह विश्वास है कि साधारण और प्राकृतिक भोजन से शरीर और मन शुद्ध रहता है, जिससे आत्मिक उन्नति में सहायता मिलती है। उनके आहार का हर तत्व प्रकृति के करीब होता है, जो उनकी आध्यात्मिक साधना को और भी गहन बनाता है।

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नागा साधुओं का संदेश

नागा साधु हमें सिखाते हैं कि सादगी और संयम के साथ जीवन जीने से मन और आत्मा को शांति मिलती है। उनका तपस्वी जीवन और शुद्ध आहार न केवल उनके आध्यात्मिक लक्ष्य को पाने में मदद करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रकृति के करीब रहकर भी जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है।

नागा साधुओं का जीवन त्याग, तपस्या और प्रकृति के प्रति गहन जुड़ाव का प्रतीक है। उनका आहार, जो पूर्णत: प्राकृतिक और सात्विक होता है, उनकी साधना और जीवनशैली का अहम हिस्सा है। कुंभ मेले में उनकी उपस्थिति जहां एक ओर आस्था का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर उनके जीवन की सादगी और तपस्वी स्वभाव हमें प्रेरणा देता है कि कैसे संयम और संतोष के साथ जीवन को सफल बनाया जा सकता है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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