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(ईंडिया न्यूज़, On the third day of Navratri, know which of the 9 goddesses is worshiped on this day): शारदीय नवरात्रि सभी नवरात्रियों में से सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण मानी जाती है। नवरात्रि पर्व चल रहा है, लोग श्रद्धापूर्वक और हर्ष-उल्लास के साथ नवरात्रि पर्व माना रहे है। नवरात्रि में 9 देवियों का विशिष्ट स्थान होता है, हम सभी 9 दिन देवी माँ के 9 रूपों की पूजा करते है।
आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा होती है। नवरात्रि के तीसरे दिन भक्त 28 सितंबर को शुक्ल तृतीया में देवी चंद्रघंटा की पूजा करेंगे। वह देवी दुर्गा का तीसरा रूप हैं। उन्हें मां चंद्रघंटा के रूप में जाना जाता है क्योंकि वह अपने माथे को आधे चंद्रमा से सजाती हैं जो घंटी की तरह दिखता है।
देवी चंद्रघंटा मां पार्वती का रूप
देवी चंद्रघंटा बाघिन पर सवार होती हैं और उनके चार बाएं हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार और कमंडल और उनके चार दाहिने हाथों में कमल, तीर, धनुष और जप माला होती है। ऐसा कहा जाता है कि उनका पांचवां बायां हाथ वरद मुद्रा में है, और उनका पांचवां दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है। देवी पार्वती का तीसरा रूप शांतिपूर्ण है। इस रूप में देवी अपने सभी हथियारों के साथ युद्ध के लिए तैयार हैं। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि उनके माथे पर चंद्रमा की घंटी बजने से उनके भक्तों से सभी बुरी आत्माएं दूर हो जाती हैं।
चंद्रघंटा मां की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती
चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटूं महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।
मां चंद्रघंटा की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार दानवों का स्वामी महिषासुर ने इंद्रलोक और स्वर्गलोक में अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए देवताओं पर आक्रमण कर दिया था। कई दिनों तक देवाओं और देत्यों के बीच युद्ध चला। युद्ध में खुद को पराजित होता देख सभी देवता त्रिमूर्ति यानी कि भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास पहुंचे. तीनों के क्रोध से मां चंद्रघंटा की उत्पत्ति हुई.
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