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India News (इंडिया न्यूज), Pitru Paksh Upay: सर्वपितृ अमावस्या, पितृ पक्ष की अंतिम तिथि होती है, जिसे महालया अमावस्या भी कहा जाता है। यह दिन उन सभी पितरों के लिए समर्पित होता है, जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती या जिनका किसी कारणवश श्राद्ध नहीं किया गया हो। इस दिन किए गए तर्पण और श्राद्ध से पितर संतुष्ट होते हैं और उनका आशीर्वाद परिवार के लिए विशेष फलदायी होता है।
2024 में, सर्वपितृ अमावस्या 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह दिन आश्विन माह की अमावस्या तिथि के अनुसार आता है, जो 1 अक्टूबर रात 9:39 बजे से शुरू होकर 2 अक्टूबर को रात 12:18 बजे समाप्त होगी। इसलिए, श्राद्ध और तर्पण के लिए 2 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या मनाने का विधान है।
सर्वपितृ अमावस्या के दिन 16 पूड़ियां बनाने की एक विशेष परंपरा है। यह 16 पितरों की संख्या का प्रतीक मानी जाती है। श्राद्ध के दौरान, पूड़ियों के साथ चावल की खीर रखकर उन्हें अर्पित किया जाता है। सबसे पहले कुछ पूड़ियां कौवे के लिए निकाली जाती हैं, जिन्हें पितरों का प्रतीक माना जाता है। इसके बाद, गाय, कुत्ता, और चींटियों के लिए भी पूड़ियां निकाली जाती हैं। माना जाता है कि इन सभी जीवों को भोजन अर्पित करने से पितरों तक भोजन पहुंचता है और उनकी आत्मा तृप्त होती है।
पितृ पक्ष को विशेष रूप से पितरों की स्मृति और उनके लिए तर्पण और श्राद्ध करने का समय माना जाता है। इस समय में विवाह, गृह प्रवेश या अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते, क्योंकि यह काल पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान का है। इसे धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण समय माना जाता है, जिसमें पितरों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं।
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पितृ पक्ष पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा व्यक्त करने का महत्वपूर्ण समय है। इस अवधि में श्राद्ध और तर्पण से न केवल पितरों को तृप्ति मिलती है, बल्कि परिवार को भी उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। सर्वपितृ अमावस्या विशेष रूप से उन पितरों के लिए समर्पित है, जिनका श्राद्ध किसी कारणवश न हो पाया हो। इस दिन किए गए अनुष्ठान से पितर प्रसन्न होकर परिवार के लिए सुख-समृद्धि और शांति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
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