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पितरों को विदाई देने का आ गया समय, पितृ पक्ष के इस आखिरी दिन ये काम करने से हमेशा रहेंगे खुश!

Preeti Pandey • LAST UPDATED : October 1, 2024, 2:40 pm IST
पितरों को विदाई देने का आ गया समय, पितृ पक्ष के इस आखिरी दिन ये काम करने से हमेशा रहेंगे खुश!

Pitru Paksha 2024: पितरों को विदाई देने का आ गया समय

India News (इंडिया न्यूज़), Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष में पितरों को याद कर उनके निमित्त तर्पण-श्राद्ध किया जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित शशिशेखर त्रिपाठी के अनुसार जो लोग 15 दिनों में श्राद्ध-तर्पण नहीं कर पाए हैं, उन्हें पितृ अमावस्या पर अपने पितरों को अवश्य याद करना चाहिए और उनके नाम पर दान-पुण्य करना चाहिए। साथ हीं सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितृ पक्ष समाप्त हो जाता है और पितर प्रसन्नतापूर्वक अपने लोक चले जाते हैं। इस साल सर्वपितृ अमावस्या 2 अक्टूबर 2024 को है और इस दिन गंगा स्नान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पितृ अमावस्या का है बहुत महत्व

कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है और अमावस्या तिथि पर पितरों का आधिपत्य होता है। ऐसे में पितृ पक्ष अमावस्या का महत्व कई गुना बढ़ जाता है, क्योंकि इस दिन उन सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध किया जा सकता है, जिनकी मृत्यु तिथि आपको नहीं पता। पितृ पक्ष अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या और मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस साल यह 2 अक्टूबर 2024, बुधवार को है।

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शांति के लिए करें ये काम

पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए उनका खुश रहना बहुत जरूरी है। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका पितृ पक्ष के दौरान उनका श्राद्ध करना है। वैसे तो तिथि के अनुसार मृत माता-पिता का श्राद्ध करना अच्छा होता है, लेकिन अगर किसी कारणवश आपको उनकी मृत्यु तिथि पता नहीं है तो आप सर्वपितृ अमावस्या के दिन उनका तर्पण, श्राद्ध भी कर सकते हैं। पितरों की आत्मा की शांति के लिए भोजन, वस्त्र दान करना और श्राद्ध करना बेहतर होता है। इससे पितृ देवता प्रसन्न होते हैं और वंश वृद्धि के लिए संतान और धन का आशीर्वाद देते हैं।

जरूरतमंदों की मदद करें

पितृ पक्ष और खास तौर पर अमावस्या पर अगर कोई जरूरतमंद व्यक्ति आपके पास आता है तो अपनी क्षमता के अनुसार उसकी मदद करें, कोशिश करें कि वह व्यक्ति आपसे निराश होकर न लौटे।

दान करना शुभ होता है 

इस दिन पितरों को अर्घ्य देने और उनके नाम पर दान करने से पितृ तर्पण का फल मिलता है। ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ ही उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार भोजन, वस्त्र, बर्तन, तिल, चांदी के बर्तन या कोई अन्य सामान और दक्षिणा दें।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

 

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