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क्या आप भी यूं ही फेंक देते हैं शादी का कार्ड? जानें Premanand Maharaj से कार्ड को नष्ट करने का सही तरीका!

Prachi Jain • LAST UPDATED : August 8, 2024, 6:33 pm IST

India News(इंडिया न्यूज), Premanand Maharaj: कुछ समय पहले तक, जब भी किसी समारोह या फंक्शन का आयोजन होता था, तो घर-घर में निमंत्रण कार्ड भेजने की प्रथा थी। ये कार्ड्स बड़े स्नेह और सम्मान के साथ भेजे जाते थे, और लोग इन्हें पाकर बेहद खुश होते थे। आज के दौर में, डिजिटल आमंत्रण का चलन बढ़ गया है, लेकिन फिर भी कई परिवारों में कार्ड्स को विशेष महत्व दिया जाता है। आपके घर में भी, किसी न किसी आयोजन का निमंत्रण कार्ड जरूर आता होगा। तो आप उसका क्या करते हैं? क्या आप उसे फेंक देते हैं या किसी नदी में प्रवाहित कर देते हैं? अगर हां, तो आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह तरीका सही नहीं है।

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य जैसे शादी, मुंडन, या अन्य मांगलिक अवसर के लिए शुभ मुहूर्त देखकर तिथि तय की जाती है। इसके बाद, रिश्तेदारों और मित्रों को बुलाने के लिए सुंदर निमंत्रण कार्ड्स भेजे जाते हैं, जिनमें विवाह या आयोजन से जुड़ी हर जानकारी दी जाती है। समय के साथ, कार्ड्स के डिज़ाइन बदलते जा रहे हैं, लेकिन इनका महत्व अब भी बरकरार है।

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हालांकि, अधिकतर घरों में समारोह के बाद इन कार्ड्स का जमावड़ा लग जाता है। कुछ लोग इन्हें कूड़े में फेंक देते हैं, तो कुछ इन्हें पवित्र नदियों में प्रवाहित कर देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा करना सही है या नहीं? दरअसल, प्रेमानंद महाराज जी ने अपने एक वीडियो में इस विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी दी है।

प्रेमानंद महाराज ने बताया सही तरीका?

महाराज जी बताते हैं कि हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से होती है। इसलिए, निमंत्रण कार्ड्स में गणेश जी की तस्वीर, स्वास्तिक, कलश, नारियल, और अन्य देवी-देवताओं के चित्र होते हैं। इन्हें फेंकना या पैरों के नीचे रखना धार्मिक दृष्टि से अनुचित माना जाता है।

तो फिर, इन कार्ड्स का सही तरीके से निपटारा कैसे किया जाए? महाराज जी के अनुसार, इन कार्ड्स को आग में अर्पित करना सबसे सही तरीका है। अग्नि को हिंदू धर्म में सबसे शुद्ध और पवित्र माना जाता है, और इसे भगवान का स्वरूप समझा जाता है। अग्नि में हवन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, इसलिए कार्ड्स को अग्नि में अर्पित करने से धार्मिक दोष नहीं लगता।

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पूरे मन से करें कामना

जब आप कार्ड्स को अग्नि में डालें, तो मन में यह भावना रखें कि “हे अग्नि देव, मैं आपको भगवान स्वरूप मानकर यह वस्तुएं अर्पित कर रहा हूँ।” इस प्रक्रिया के बाद, जो भस्म (राख) बने, उसे गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से न केवल आप धार्मिक दृष्टि से सही रहेंगे, बल्कि आपके मन में भी शांति और संतोष की भावना उत्पन्न होगी।

इस प्रकार, अगली बार जब आपके घर में पुराने निमंत्रण कार्ड्स जमा हों, तो उन्हें सही तरीके से निपटाने के लिए इस विधि का पालन करें। इससे आप अपने धर्म और संस्कृति के प्रति सम्मान प्रकट करेंगे और किसी भी प्रकार के दोष से बचेंगे।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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