Hindi News / Dharam / Premanand Maharaj Told The Correct Way Of Taking Bhandara Or Prasad Today

अबतक जिस भी तरह से लिया भंडारा हमेशा किया ये पाप…Premanand Maharaj ने बताया भंडारा या प्रसाद पाने का सही तरीका आज?

Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज ने भंडारा या प्रसाद पाने का सही तरीका यही बताया

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज़), Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज ने भंडारा या प्रसाद पाने के सही तरीके के बारे में जो उपदेश दिया है, वह जीवन में सच्चे और पवित्र मार्ग पर चलने की महत्वपूर्ण सीख देता है। उनके अनुसार, भंडारा या प्रसाद केवल एक धार्मिक अनुष्ठान या परंपरा नहीं है, बल्कि यह आस्था, समर्पण और सच्चे प्रेम का प्रतीक है।

प्रेमानंद महाराज के अनुसार भंडारा या प्रसाद पाने का सही तरीका:

1. सच्चे श्रद्धा और भक्ति से प्राप्त करें

भंडारा और प्रसाद को कभी भी केवल भूख या स्वाद के लिए न लें। प्रेमानंद महाराज ने कहा कि भंडारा और प्रसाद को प्राप्त करने के लिए सच्ची श्रद्धा और भक्ति का होना अनिवार्य है। यह एक दिव्य आशीर्वाद होता है, और इसका उद्देश्य केवल शारीरिक भूख को शांत करना नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति और परमात्मा से एक गहरे संबंध को स्थापित करना है।

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Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज ने भंडारा या प्रसाद पाने का सही तरीका यही बताया

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2. समर्पण और निःस्वार्थ भाव से लें

भंडारा या प्रसाद प्राप्त करते समय निःस्वार्थ भाव और समर्पण का भाव होना चाहिए। किसी भी प्रकार का स्वार्थ या अहंकार नहीं होना चाहिए। प्रेमानंद महाराज का मानना था कि प्रसाद तभी सही मायने में प्राप्त होता है जब हम ईश्वर के प्रति निष्ठा और समर्पण के साथ उसे ग्रहण करते हैं, न कि किसी दिखावे या आदर्श के तहत।

3. प्रसाद को सम्मान से ग्रहण करें

भंडारा या प्रसाद को कभी भी अनादर या तुच्छ भाव से न लें। प्रेमानंद महाराज के अनुसार, प्रसाद एक ईश्वर का आशीर्वाद होता है, और इसे बड़े सम्मान और आदर के साथ ग्रहण करना चाहिए। अगर हम इसे आदर से नहीं लेंगे, तो यह हमारे जीवन में किसी भी प्रकार का आशीर्वाद या पुण्य लाने में सक्षम नहीं हो सकता।

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4. प्रसाद को अपनी इच्छाओं के बजाय कृतज्ञता के साथ लें

भंडारा या प्रसाद लेने से पहले अपनी सभी इच्छाओं और अपेक्षाओं को छोड़ दें। हमें यह समझना चाहिए कि यह केवल हमारे भौतिक शरीर की संतुष्टि के लिए नहीं है, बल्कि यह हमारे आध्यात्मिक विकास और ईश्वर के प्रति आभार को व्यक्त करने का माध्यम है। प्रेमानंद महाराज ने यह भी कहा कि ईश्वर का प्रसाद हमें हमारी आध्यात्मिक यात्रा में मदद करता है।

5. प्रसाद का उद्देश्य केवल शारीरिक सुख नहीं, आत्मिक शांति होना चाहिए

भंडारा और प्रसाद को ग्रहण करते समय यह न सोचें कि यह सिर्फ शारीरिक भरण पोषण के लिए है। यह एक आध्यात्मिक उपहार है जो हमारे जीवन को सच्ची शांति और संतुष्टि प्रदान करता है। प्रेमानंद महाराज के अनुसार, प्रसाद को आध्यात्मिक उन्नति के साधन के रूप में देखें, ताकि हमारे जीवन में सच्ची खुशी और संतोष का संचार हो।

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6. परिवार और समाज की भलाई के लिए प्रसाद का उपयोग करें

प्रेमानंद महाराज ने यह भी कहा कि प्रसाद को केवल स्वयं तक सीमित न रखें, बल्कि इसे अपने परिवार और समाज के लाभ के लिए भी प्रयोग करें। यदि आपके पास कोई विशेष आशीर्वाद है या यदि आप किसी प्रकार का भंडारा या प्रसाद प्राप्त करते हैं, तो उसे समाज में वितरित करें ताकि दूसरों को भी इसका लाभ मिले। सामाजिक सेवा और दान में यह प्रसाद उपयोगी हो सकता है, और यह हमें समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी को समझने में मदद करता है।

प्रेमानंद महाराज ने भंडारा या प्रसाद पाने का सही तरीका यही बताया कि इसे सच्चे मन से, श्रद्धा और निःस्वार्थ भाव से ग्रहण करना चाहिए। केवल शारीरिक भूख को शांत करने के बजाय, हमें इसे आत्मिक और दिव्य आशीर्वाद के रूप में स्वीकार करना चाहिए। जब हम प्रसाद को सम्मान और समर्पण के साथ लेते हैं, तभी वह हमारे जीवन में सच्ची शांति और समृद्धि लाता है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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