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India News (इंडिया न्यूज़), Ramadan 2024, दिल्ली: इस्लाम धर्म में रमजान का महीना काफी पाक माना जाता है और इस महीने में चांद की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। रमजान एक पाक महीना है इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हर नौवां महीना माह ए रमजान के लिए होता है। इस दौरान मुस्लिम कम्युनिटी के लोग रोजा रखते हैं। जिसमें वह सूरज निकलने से लेकर डूबने तक कुछ भी खाते पीते नहीं है।
रोजा के दौरान लोग सहरी करते हैं। जो सुबह सूरज उगने से पहले और शाम को इफ्तारी के साथ उपवास तोड़ते हैं। इसके साथ ही महीना भर इबादत करते हुए अपनी गुनाहों की माफी मांगते हैं। रमजान के महीने में रोजा रखना रात में तरावीह की नमाज पढ़ना और कुरान पढ़ना बहुत जरूरी होता है। ऐसे में आज की रिपोर्ट में हम बताएंगे कि रोजा कब और कैसे रखना है। Ramadan 2024
रमजान का महीना चांद को देखकर शुरू होता है। सबसे पहले सऊदी अरब में रमजान का चांद दिखाई देता है और उसके बाद पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस हिसाब से बताएं तो सऊदी अरब में रमजान का चांद 10 मार्च को दिखाई दिया था। तो वही पहला रोजा 11 मार्च को रखा जाएगा। भारत और पाकिस्तान में रमजान का चांद सऊदी अरब के चांद के 1 दिन बाद दिखता है। इसलिए इन देशों में रोजा की शुरुआत सऊदी अरब की एक दिन बाद होती है। ऐसे में भारत इस साल रमजान की शुरुआत 11 या 12 मार्च से करने की उम्मीद है। 11 मार्च को चांद नजर आता है। तो 12 मार्च को पहला रोजा रखा जाएगा।
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रोजा रखने के नियम की बात की जाए तो वह कुछ इस तरीके से है कि आप को ये जरूर फॉलो करना चाहिए और आप उन्हें बीच में नहीं छोड़ सकते।
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रमजान की खासियत के बारे में बात करें तो रोजा 29 या 30 दिनों तक रखा जाता है। इस्लाम धर्म के मुताबिक रमजान के दौरान रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं और दुआ कबूल करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना ज्यादा रमजान के महीने में मिलता है। इस दौरान चांद निकलने के बाद से लेकर सूरज निकलने से पहले सहरी खाकर इबादत का सिलसिला शुरू किया जाता है। सूरज निकलने से पहले खाया गया खाना सहरी कहलाता है और सूरज ढलने के बाद रोजा खोलने को इफ्तारी कहा जाता है।
रोजी की शुरुआत सूरज निकलने से पहले फज्र की अजान से होती है। इस दौरान सहरी ली जाती है। रमजान में रोजाना सूर्य उगने से पहले खाना खाया जाता है। इस सहरी का नाम दिया गया है। सहरी करने का समय पहले से ही तय होता है। जिसमें सभी मुसलमान लोग रोजा रखना अनिवार्य समझते हैं, लेकिन बच्चों और शरीर से अस्वस्थ्य लोगों को रोजा न रखने की छूट होती है।
इफ्तारी के बारे में बताया तो दिन भर भूखे प्यासे रहने के बाद शाम को नमाज पढ़ कर खजूर खाकर रोजा खोला जाता है। यह शाम को सूरज ढलने के बाद किया जाता है। मगरिब की अजान होने के बाद उसे खोला जाता है। इसको इफ्तारी का नाम दिया गया है। जिसके बाद सुबह सहरी से पहले व्यक्ति कुछ भी नहीं खा सकता।
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