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Ramayan: कैसे माता सीता ने एक ही साड़ी में गुजारा था पूरा वनवास? इस आर्शीवाद का था फल

Simran Singh • LAST UPDATED : July 20, 2024, 8:16 am IST

Ramayan

India News(इंडिया न्यूज), Ramayan: श्री राम के साथ वन में रहने का निर्णय लिया। उनके छोटे भाई लक्ष्मण ने भी उनके साथ वन जाने का निर्णय लें चुके थे। इस प्रकार तीनों ने ऋषियों से प्राप्त पीले वस्त्र धारण किए और चल पड़े।

  • माता सीता की साड़ी का ये है महत्व
  • मां अनुसूया का है आर्शीवाद

इस तरह किया था वनवास के दौरान सफर 

श्रृंगवेरपुर में नाव द्वारा गंगा पार कर वे प्रयाग राज पहुंचे। वहां से भगवान श्री राम ने प्रयाग संगम के पास यमुना नदी पार की और फिर चित्रकूट पहुंचे। चित्रकूट वह स्थान है, जहां भरत अपनी सेना के साथ राम को मनाने पहुंचते हैं। तब दशरथ की मृत्यु हो जाती है। भरत यहां से राम के पदचिह्न ले जाते हैं और उनके पदचिह्नों को रखकर राज करते हैं। चित्रकूट के पास सतना यानी मध्य प्रदेश में स्थित अत्रि ऋषि का आश्रम था। यद्यपि अनुसूया के पति महर्षि अत्रि चित्रकूट के तपोवन में रहते थे, लेकिन श्री राम सतना में ‘रामवन’ नामक स्थान पर भी रुके थे, जहां ऋषि अत्रि का एक और आश्रम था। Ramayan

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माता ने दिया सीता को वरदान Ramayan

इसी आश्रम में माता अनुसूया ने सीताजी को पतिव्रत धर्म का ज्ञान दिया था। सती अनसूया को सतीत्व का सर्वोच्च दर्जा प्राप्त था। वे भगवान दत्तात्रेय, चंद्रदेव और दुर्वासा ऋषि की माता थीं। उन्होंने श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी का आतिथ्य किया था। इसके साथ ही उन्होंने माता सीता को एक पुत्री की तरह अत्यंत प्रेम से पत्नी का कर्तव्य निभाने का मार्ग दिखाया था।

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इसके अलावा माता अनुसूया ने माता सीता को एक दिव्य साड़ी भी भेंट की थी। कहा जाता है कि यह साड़ी माता अनुसूया को उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर स्वयं अग्नि देव ने दी थी। इस साड़ी की विशेषता यह थी कि यह कभी फटती नहीं थी और न ही गंदी होती थी। इस पर किसी भी प्रकार का कोई दाग नहीं लगा था। इस साड़ी में अग्नि देव का तेज समाहित था। जब माता सीता ऋषि अत्रि के आश्रम में आईं तो माता अनुसूया ने उन्हें यह साड़ी भेंट की थी। माता सीता ने अपने पूरे वनवास के दौरान इस साड़ी को पहना था। यही कारण है कि माता सीता के वस्त्र कभी गंदे नहीं हुए। Ramayan

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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