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India News(इंडिया न्यूज), Luv-Kush Kaand: जब घरों में अक्सर रामायण का पाठ बैठता हैं तो लोग उसके अंतिम भाग में जोड़े गए लव-कुश काण्ड का पाठ नहीं किया जाता है। इसका एक पहलू यह भी हैं की रामभक्त इसे तुलसीदास जी द्वारा उत्तर रामायण का ज़िक्र ना होना भी मानते हैं। जैसा कि सब जानते भी हैं कि उत्तर रामायण का वर्णन वाल्मीकि जी की रामायण में था। रामायण के अंतिम भाग, जिसे उत्तर काण्ड के नाम से जाना जाता है, का पाठ कुछ लोग नहीं करते क्योंकि इसके पीछे कुछ धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं हैं। मुख्य कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:
उत्तर काण्ड में कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं जो विवादित मानी जाती हैं। जैसे, सीता का वनवास और अग्नि परीक्षा। ये घटनाएं कई भक्तों के लिए कष्टकारी और असुविधाजनक होती हैं।
रामायण का मुख्य कथा भाग बाल काण्ड से लेकर युद्ध काण्ड तक माना जाता है, जो राम के जीवन के मुख्य घटनाओं का वर्णन करता है। उत्तर काण्ड में घटनाओं का स्वरुप बदलता है और यह राम के जीवन के बाद की घटनाओं का वर्णन करता है।
कुछ धार्मिक परंपराओं में केवल बाल काण्ड से लेकर युद्ध काण्ड तक का ही पाठ करने का निर्देश होता है। उत्तर काण्ड को एक अलग और पूर्णतः विशिष्ट भाग माना जाता है।
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कुछ लोग मानते हैं कि उत्तर काण्ड का पाठ करने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए वे इसे नहीं पढ़ते या सुनते हैं।
ये कारण भले ही सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण पर आधारित हों, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि उत्तर काण्ड का पाठ कुछ भक्तों के लिए महत्वपूर्ण और पूजनीय भी हो सकता है।
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
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