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अपनी मृत्यु को आता देख भी नहीं रुका था जब रावण, ये 5 लोग भी बने थे रक्षक लेकिन नहीं हुआ कोई फायदा?

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : September 27, 2024, 11:47 am IST
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अपनी मृत्यु को आता देख भी नहीं रुका था जब रावण, ये 5 लोग भी बने थे रक्षक लेकिन नहीं हुआ कोई फायदा?

Ravan’s Well Wisher: इन शुभचिंतकों ने रावण को चेतावनी दी, लेकिन उसकी अहंकार और शक्ति के चलते उसने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।

India News (इंडिया न्यूज़), Ravan’s Well Wisher: रावण, जिसे हम रामायण के संदर्भ में एक अत्याचारी राक्षस के रूप में जानते हैं, वास्तव में उससे कहीं अधिक जटिल और बहुआयामी व्यक्तित्व था। उसे विद्वान, योद्धा, राजनीतिज्ञ, और शिव का परम भक्त माना जाता है। हालांकि, उसके अहंकार और अधर्म के कारण उसकी विनाशकारी भूमिका भी महत्वपूर्ण है। रावण के जीवन की विभिन्न घटनाओं को जानकर यह स्पष्ट होता है कि वह केवल एक दैत्य नहीं था, बल्कि उसमें ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों के गुण विद्यमान थे।

रामायण में रावण को एक कुशल योद्धा, राजनीतिज्ञ और विद्वान के रूप में वर्णित किया गया है। लेकिन उसके विनाश के पीछे कुछ ऐसे शुभचिंतक थे, जिन्होंने उसके अंत का संकेत दिया। आइए जानते हैं उन पांच शुभचिंतकों के बारे में:

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इन 5 लोगों के समझाने पर भी जब नहीं रुका था रावण?

  1. मंदोदरी (रावण की पत्नी): मंदोदरी, रावण की पत्नी, भगवान राम के बारे में पहले से जानती थी कि वह भगवान विष्णु के अवतार हैं। उसने रावण और उसके परिवारवालों को राम से युद्ध न करने की सलाह दी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मंदोदरी के ज्ञान और समझदारी के कारण ही रावण का वध संभव हुआ।
  2. कुंभकर्ण (रावण का भाई): कुंभकर्ण, जो रावण का भाई था, ने रावण के कार्यों को देखकर दुख प्रकट किया। उसने कहा कि रावण ने जगत जननी का हरण किया है और अब वह अपना कल्याण चाहता है। कुंभकर्ण का राम और सीता के प्रति प्रेम ही रावण के विनाश का कारण बना।
  3. विभीषण (रावण का छोटा भाई): विभीषण ने रावण को कई बार चेताया कि राम से युद्ध न करें। उसने समझाया कि यह न केवल रावण, बल्कि लंका के लिए भी गलत होगा। विभीषण ने भगवान राम को रावण के अंत की जानकारी दी, जिससे रावण की हार सुनिश्चित हुई।
  4. सुमाली (रावण का नाना): सुमाली, रावण के नाना, यक्षों से खोई लंका को वापस पाने के लिए अपनी पुत्री कैकसी को ऋषि विश्रवा के पास भेजा। सुमाली ने रावण को प्रोत्साहित किया, लेकिन यह लंका ही अंततः रावण के विनाश का कारण बनी।
  5. कैकसी (रावण की माता): रावण की माता कैकसी ने रावण के जन्म के समय ही उसके अंत का संकेत दिया था। उसने रावण में असुरों के गुण भरे, जो उसकी विनाशकारी प्रवृत्तियों का कारण बने।

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निष्कर्ष

इन शुभचिंतकों ने रावण को चेतावनी दी, लेकिन उसकी अहंकार और शक्ति के चलते उसने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। इनकी भविष्यवाणियां रावण के विनाश में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो यह दर्शाती हैं कि ज्ञान और समझदारी हमेशा शक्ति से महत्वपूर्ण होते हैं।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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