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India News (इंडिया न्यूज), Sankashti Chaturthi 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है। इस खास दिन पर भगवान गणेश की विधिवत पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है और परेशानियां दूर होती हैं, तो चलिए जानते हैं भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा शुभ मुहूर्त और विधि को..
वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 28 मार्च को शाम 06:55 बजे शुरू होगी। इस दिन स्वाति नक्षत्र बन रहा है, जो शाम 06:38 बजे तक रहेगा। संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त सबसे अच्छा माना जाता है। इस दिन पूजा का समय दोपहर 12:01 बजे से 12:51 बजे तक रहेगा। शाम को पूजा का शुभ समय शाम 06:35 बजे से 07:35 बजे के बीच रहेगा।
बता दें कि, संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें, भगवान गणेश का स्मरण करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद शाम को दोबारा स्नान करके एक चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति की तस्वीर स्थापित करें और विधि-विधान से षोडशोपचार पूजा करें। इस दौरान भगवान गणेश को मोदक, सुपारी, मूंग-दूर्वा आदि चढ़ाएं। संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन चंद्र देव की पूजा करने की भी सलाह दी जाती है। इसलिए चंद्रोदय के समय गंध, पुष्प, धूप, दीप आदि से चंद्र देव की पूजा करें।
वैदिक शास्त्रों में कहा गया है कि भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन पूजा-पाठ और स्नान-दान करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और व्यक्ति को बल, बुद्धि, विद्या, धन और ऐश्वर्य का आशीर्वाद मिलता है। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत के लिए चंद्रोदय का समय महत्वपूर्ण होता है। इस दिन चंद्र देव के निकट रहने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और व्यक्ति को आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही जीवन में आने वाली कई तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं।
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