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Sankashti Chaturthi, March 2024: जानिए संकष्टी चतुर्थी की पौराणिक कथा और इसकी पूजा विधि

BY: Shalu Mishra • LAST UPDATED : March 26, 2024, 1:47 pm IST
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Sankashti Chaturthi, March 2024: जानिए संकष्टी चतुर्थी की पौराणिक कथा और इसकी पूजा विधि

Sankashti Chaturthi

India News(इंडिया न्यूज), Sankashti Chaturthi, March 2024: हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी को बेहद खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। हर महीने पूर्णिमा का बाद आने वाली चतुर्थी ही संकष्टी चतुर्थी कही जाती है। इस महीने ये पर्व 28 मार्च को मनाया जाएगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश ती पूजा करने से सभी की इच्छा भगवान गणेश जरूर पूरी करते हैं। चलिए जानते हैं इस महीने यानी कि मार्च में संकष्टी चतुर्थी किस दिन मनाई जाने वाली है।

संकष्टी चतुर्थी की पौराणिक कथा

एक समय की बात है, जैसा कि हिंदू पौराणिक कथाओं में देखने को मिलता है, कि भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश पर्वत पर बैठे हुए थे, अचानक से माता की इच्छा होती है कि लह प्रभु के साथ चौपड़ खेलें। प्रभु भी मान जाते हैं लेकिन ऐसा कोई व्यक्ति वहां मौजूद नहीं होता, जो ये घोषित कर सके कि कौन विजेता है। इस समस्या का हल निकालते हुए, भगवान शिव और माता पार्वती ने एक मिट्टी के पुतले का निर्माण किया और उसी में जान डाल दी ताकि वह सही निर्णय ले सके,कि कौन विजेता है।

खेल में माता पार्वती, भगवान शिव को हरा रही थी और लगातार माता ही जीत रही थी, जब उस पुतले से पूछा गया कि बताओ कौन विजता है तो उसने भगवान शिव का नाम लिया , जबकि जीत मां पार्वती की हुई थी । इस झूठ को सुन कर मां पार्वती उस पुतले पर काफी क्रोधित हुई औरक उसे श्राप दे दिया, जिससे वह लंगड़ा होगया। उस बालक रूपी पुतले ने माता से बहुत क्षमा मांगी लेकिन श्राप वापस नहीं हुआ। लेकिन माता ने उसे एक उपाय बताया था कि संकष्टी के दिन यहां कुछ कन्या आती हैं, उनकी सेवा मन से करना और उनके बताए हुए कार्यों को करना।

उसने विधिवत सारे कार्य किए जिससे भगवान गणपति प्रसन्न हुए और उनसे उनकी इच्छा पूछी, तब उन्होंने वापस भगवान शिव और माता पार्वती के पास कैलाश पर्वत पर जाने की इच्छा प्रकट की। जब वो बालक वहां पहुंचा तो वहां सिर्फ शिव थे माता नहीं, बाद में पता चला कि माता शिव जी से नाराज होकर कैलाश पर्वत से दूर चली जाती हैं। भगवान शिव ने भी ये उपाय पूछकर संकष्टी के दिन नियम का पालन किया जिसके बाद मां वापस आ गई।

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संकष्टी चतुर्थी की पूजन-विधि

  1. भगवान गणपति में आस्था रखने वाले लोग संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखकर उन्हें प्रसन्न करके मनचाहे फल की कामना करते हैं और इस दिन व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी भी होती हैं।

2. ऐसी मान्यता है कि स्नान करके साफ हल्के लाल या पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।

3. भगवान गणपति के चित्र को लाल रंग का कपड़ा बिछाकर रखें।

4. भगवान गणेश की पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह रखें।

5. भगवान गणपति के सामने दीया जलाएं और लाल गुलाब के फूलों से भगवान गणपति को सजाना चाहिए।

6. पूजा में तिल के लड्डू गुड़ रोली, मोली, चावल, फूल तांबे के लौटे में जल, धूप, प्रसाद के तौर पर केला और मोदक चढ़ाएं

7. भगवान गणपति के सामने धूप दीप जलाकर उनको मंत्रों का जाप करें, इससे भगवान बहुत प्रसन्न होते हैं और जीवन से हर प्रकार के कष्ट को दूर करते हैं।

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