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रावण की वो 6 अजीब लालसाएं जो रह गई थीं अधूरी, इच्छाएं जान कर फटी रह जाएंगी आंखे!

Preeti Pandey • LAST UPDATED : October 21, 2024, 8:43 am IST
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रावण की वो 6 अजीब लालसाएं जो रह गई थीं अधूरी, इच्छाएं जान कर फटी रह जाएंगी आंखे!

Secrets Of Ravana: रावण की वो 6 अजीब लालसाएं जो रह गई थीं अधूरी

India News (इंडिया न्यूज), Secrets Of Ravana: रावण इतना शक्तिशाली था कि यह सोचना थोड़ा अविश्वसनीय लगता है कि उसे वह नहीं मिला होगा जो वह चाहता था। लेकिन यह सच है कि रावण की कुछ इच्छाएँ थीं जिन्हें पाने के लिए वह बहुत उत्सुक था लेकिन वे इच्छाएँ अधूरी रह गईं और वह अपनी मृत्यु तक उन्हें प्राप्त नहीं कर सका। लेकिन यह जानना दिलचस्प है कि रावण जैसे महान राक्षस की इच्छाएँ क्या रही होंगी।

खून का रंग सफ़ेद होना चाहिए

रावण ने कई युद्ध लड़े और उसने बहुत खून भी बहाया। इसलिए उसके मन में एक इच्छा थी कि खून का रंग सफ़ेद होना चाहिए, ताकि जब खून बहे तो खून को देखकर कोई विचलित न हो।

विश्व विजय की महत्वाकांक्षा

रावण की एक अधूरी इच्छा थी कि वह पूरी दुनिया पर विजय पाना चाहता था। इसके लिए रावण ने कई यज्ञ और युद्ध किए साथ हीं कई राजाओं और कई योद्धाओं को भी हराया, लेकिन वह पूरी दुनिया का सर्वश्रेष्ठ शासक बनने का अपना सपना पूरा नहीं कर सका।

अजेयता और अमरता की इच्छा

जिस युग में रावण एक महादैत्य था, उस समय कई शक्तिशाली योद्धा अमरता का वरदान चाहते थे और उन्होंने इसके लिए घोर तपस्या भी की थी। रावण की सबसे बड़ी इच्छा अमरता प्राप्त करना था। रावण को ब्रह्मा से यह वरदान भी मिला था कि उसे देवता, राक्षस और अन्य जीव नहीं मार सकते, लेकिन वह मनुष्यों को भूल गया। उसकी सबसे बड़ी भूल थी मनुष्यों को तुच्छ समझना क्योंकि उसकी मृत्यु एक मनुष्य यानी भगवान राम के हाथों हुई थी।

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स्वर्ग की सीढ़ियाँ

वह स्वर्ग तक जाने के लिए सीढ़ियाँ बनाना चाहता था और रावन ने इसके लिए कई प्रयास किए, लेकिन स्वर्ग की सीढ़ियाँ बनाते समय में ही रावण को नींद आ गई और उसका सपना पूरा नही हो पाया।

अपने बच्चों के सुरक्षित भविष्य की चिंता

रावण के बच्चे थे और वह चाहता था कि वे सुरक्षित और समृद्ध जीवन जिएं। लेकिन भगवान राम के साथ युद्ध के कारण उसके कई बच्चे मारे गए।

कैलाश पर विजय

रावण को भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त माना जाता था। एक बार तो वह कैलाश पर्वत को भी अपने निवास लंका ले जाना चाहता था और जिसके लिए उसने पूरा पर्वत ही उठाने की कोशिश की, लेकिन भगवान शिव ने रावण की इच्छा को अस्वीकार कर दिया।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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