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फूंक दें शनिदेव के ये मंत्र दूर हो जाएंगे सभी संकट, न्याय के देवता की बरसेगी अपरंपार कृपा भर जाएगी झोली!

Shani dev mantra: शनिवार न्याय के देवता शनिदेव का प्रिय दिन है। इस दिन कर्मफलदाता शनिदेव की पूजा की जाती है। उनके लिए व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत को रखने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही करियर और कारोबार से जुड़ी समस्याओं का भी समाधान होता है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में शनिदेव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, अगर कुंडली में शनि कमजोर हो या शनि की बुरी नजर हो तो व्यक्ति को जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

BY: Preeti Pandey • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज),Shani dev mantra: शनिवार न्याय के देवता शनिदेव का प्रिय दिन है। इस दिन कर्मफलदाता शनिदेव की पूजा की जाती है। उनके लिए व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत को रखने से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही करियर और कारोबार से जुड़ी समस्याओं का भी समाधान होता है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में शनिदेव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, अगर कुंडली में शनि कमजोर हो या शनि की बुरी नजर हो तो व्यक्ति को जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं मजबूत शनि व्यक्ति को धनवान बनाता है। साथ ही भक्त को हर तरह का सुख मिलता है। अगर आप भी शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं तो शनिवार के दिन पूजा के दौरान शनिदेव के नामों का जाप करें और दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करें।

शनैश्चरस्तोत्रम्

कोणोऽन्तको रौद्रयमोऽथ बभ्रुः कृष्णः शनिः पिंगलमन्दसौरिः।
नित्यं स्मृतो यो हरते च पीडां तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥

क्यों सिर्फ एक रात के लिए शादी रचाते है किन्नर, श्री कृष्ण को भी करना पड़ा था इस प्रथा के लिए इतना बड़ा त्याग!

Shani dev mantra: फूंक दें शनिदेव के ये मंत्र दूर हो जाएंगे सभी संकट

सुरासुराः किंपुरुषोरगेन्द्रा गन्धर्वविद्याधरपन्नगाश्च।
पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥

नरा नरेन्द्राः पशवो मृगेन्द्रा वन्याश्च ये कीटपतंगभृङ्गाः।
पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥

देशाश्च दुर्गाणि वनानि यत्र सेनानिवेशाः पुरपत्तनानि।
पीड्यन्ति सर्वे विषमस्थितेन तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥

तिलैर्यवैर्माषगुडान्नदानैर्लोहेन नीलाम्बरदानतो वा।
प्रीणाति मन्त्रैर्निजवासरे च तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥

प्रयागकूले यमुनातटे च सरस्वतीपुण्यजले गुहायाम्।
यो योगिनां ध्यानगतोऽपि सूक्ष्मस्तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥

अन्यप्रदेशात्स्वगृहं प्रविष्टस्तदीयवारे स नरः सुखी स्यात्।
गृहाद् गतो यो न पुनः प्रयाति तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥

स्रष्टा स्वयंभूर्भुवनत्रयस्य त्राता हरीशो हरते पिनाकी।
एकस्त्रिधा ऋग्यजुःसाममूर्तिस्तस्मै नमः श्रीरविनन्दनाय॥

शन्यष्टकं यः प्रयतः प्रभाते नित्यं सुपुत्रैः पशुबान्धवैश्च।
पठेत्तु सौख्यं भुवि भोगयुक्तः प्राप्नोति निर्वाणपदं तदन्ते॥

कोणस्थः पिङ्गलो बभ्रुः कृष्णो रौद्रोऽन्तको यमः।
सौरिः शनैश्चरो मन्दः पिप्पलादेन संस्तुतः॥

एतानि दश नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्।
शनैश्चरकृता पीडा न कदाचिद्भविष्यति॥

शनिदेव के 108 नाम

  1. ऊँ शनैश्चराय नमः
  2. ऊँ शान्ताय नमः
  3. ऊँ सर्वाभीष्टप्रदायिने नमः
  4. ऊँ शरण्याय नमः
  5. ऊँ वरेण्याय नमः
  6. ऊँ सर्वेशाय नमः
  7. ऊँ सौम्याय नमः
  8. ऊँ सुरवन्द्याय नमः
  9. ऊँ सुरलोकविहारिणे नमः
  10. ऊँ सुखासनोपविष्टाय नमः
  11. ऊँ सुन्दराय नमः
  12. ऊँ घनाय नमः
  13. ऊँ घनरूपाय नमः
  14. ऊँ घनाभरणधारिणे नमः
  15. ऊँ घनसारविलेपाय नमः
  16. ऊँ खद्योताय नमः
  17. ऊँ मन्दाय नमः
  18. ऊँ मन्दचेष्टाय नमः
  19. ऊँ महनीयगुणात्मने नमः
  20. ऊँ मर्त्यपावनपदाय नमः
  21. ऊँ महेशाय नमः
  22. ऊँ छायापुत्राय नमः
  23. ऊँ शर्वाय नमः
  24. ऊँ शततूणीरधारिणे नमः
  25. ऊँ चरस्थिरस्वभा वाय नमः
  26. ऊँ अचञ्चलाय नमः
  27. ऊँ नीलवर्णाय नम:
  28. ऊँ नित्याय नमः
  29. ऊँ नीलाञ्जननिभाय नमः
  30. ऊँ नीलाम्बरविभूशणाय नमः
  31. ऊँ निश्चलाय नमः
  32. ऊँ वेद्याय नमः
  33. ऊँ विधिरूपाय नमः
  34. ऊँ विरोधाधारभूमये नमः
  35. ऊँ भेदास्पदस्वभावाय नमः
  36. ऊँ वज्रदेहाय नमः
  37. ऊँ वैराग्यदाय नमः
  38. ऊँ वीराय नमः
  39. ऊँ वीतरोगभयाय नमः
  40. ऊँ विपत्परम्परेशाय नमः
  41. ऊँ विश्ववन्द्याय नमः
  42. ऊँ गृध्नवाहाय नमः
  43. ऊँ गूढाय नमः
  44. ऊँ कूर्माङ्गाय नमः
  45. ऊँ कुरूपिणे नमः
  46. ऊँ कुत्सिताय नमः
  47. ऊँ गुणाढ्याय नमः
  48. ऊँ गोचराय नमः
  49. ऊँ अविद्यामूलनाशाय नमः
  50. ऊँ विद्याविद्यास्वरूपिणे नमः
  51. ऊँ आयुष्यकारणाय नमः
  52. ऊँ आपदुद्धर्त्रे नमः
  53. ऊँ विष्णुभक्ताय नमः
  54. ऊँ वशिने नमः
  55. ऊँ विविधागमवेदिने नमः
  56. ऊँ विधिस्तुत्याय नमः
  57. ऊँ वन्द्याय नमः
  58. ऊँ विरूपाक्षाय नमः
  59. ऊँ वरिष्ठाय नमः
  60. ऊँ गरिष्ठाय नमः
  61. ऊँ वज्राङ्कुशधराय नमः
  62. ऊँ वरदाभयहस्ताय नमः
  63. ऊँ वामनाय नमः
  64. ऊँ ज्येष्ठापत्नीसमेताय नमः
  65. ऊँ श्रेष्ठाय नमः
  66. ऊँ मितभाषिणे नमः
  67. ऊँ कष्टौघनाशकर्त्रे नमः
  68. ऊँ पुष्टिदाय नमः
  69. ऊँ स्तुत्याय नमः
  70. ऊँ स्तोत्रगम्याय नमः
  71. ऊँ भक्तिवश्याय नमः
  72. ऊँ भानवे नमः
  73. ऊँ भानुपुत्राय नमः
  74. ऊँ भव्याय नमः
  75. ऊँ पावनाय नमः
  76. ऊँ धनुर्मण्डलसंस्थाय नमः
  77. ऊँ धनदाय नमः
  78. ऊँ धनुष्मते नमः
  79. ऊँ तनुप्रकाशदेहाय नमः
  80. ऊँ तामसाय नमः
  81. ऊँ अशेषजनवन्द्याय नमः
  82. ऊँ विशेशफलदायिने नमः
  83. ऊँ वशीकृतजनेशाय नमः
  84. ऊँ पशूनां पतये नमः
  85. ऊँ खेचराय नमः
  86. ऊँ खगेशाय नमः
  87. ऊँ घननीलाम्बराय नमः
  88. ऊँ काठिन्यमानसाय नमः
  89. ऊँ आर्यगणस्तुत्याय नमः
  90. ऊँ नीलच्छत्राय नमः
  91. ऊँ नित्याय नमः
  92. ऊँ निर्गुणाय नमः
  93. ऊँ गुणात्मने नमः
  94. ऊँ निरामयाय नमः
  95. ऊँ निन्द्याय नमः
  96. ऊँ वन्दनीयाय नमः
  97. ऊँ धीराय नमः
  98. ऊँ दिव्यदेहाय नमः
  99. ऊँ दीनार्तिहरणाय नमः
  100. ऊँ दैन्यनाशकराय नमः
  101. ऊँ आर्यजनगण्याय नमः
  102. ऊँ क्रूराय नमः
  103. ऊँ क्रूरचेष्टाय नमः
  104. ऊँ कामक्रोधकराय नमः
  105. ऊँ कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारणाय नमः
  106. ऊँ परिपोषितभक्ताय नमः
  107. ऊँ परभीतिहराय नमः
  108. ऊँ भक्तसंघमनोऽभीष्टफलदाय नमः

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