शनि की साढ़ेसाती के तीन चरण
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चढ़ती साढ़ेसाती (First Phase)
शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण तब शुरू होता है, जब शनि जातक की राशि से द्वादश (12वीं) स्थिति में प्रवेश करता है। इस दौरान जातकों को मानसिक और शारीरिक तनाव हो सकता है। उन्हें आर्थिक समस्याएं भी आ सकती हैं। यह चरण 29 मार्च से शुरू होगा और मेष राशि के जातकों के लिए यह शुरुआत से ही कड़ी चुनौती होगी।Shani ki Sadhesati: 29 मार्च लगते ही शनि की साढ़ेसाती करेगी इस 1 राशि का बेड़ागरक
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मध्यमा साढ़ेसाती (Second Phase)
शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण सबसे खतरनाक होता है, और यह 3 जून 2027 से शुरू होगा। इस दौरान शनि मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। इस समय जातकों के जीवन में और भी जटिलताएँ आ सकती हैं। नौकरी या व्यापार में नुकसान, आर्थिक तंगी, मानसिक दबाव और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उभर सकती हैं। -
उतरती साढ़ेसाती (Third Phase)
शनि की साढ़ेसाती का तीसरा और अंतिम चरण तब शुरू होता है, जब शनि जातक की राशि से दशम (10वीं) स्थान में पहुंचता है। इस समय तक कुछ समस्याएं कम हो सकती हैं, लेकिन जातकों को सतर्क रहने की आवश्यकता होती है।संबंधित खबरें
मेष राशि पर शनि की साढ़ेसाती का नकारात्मक प्रभाव
शनि की साढ़ेसाती का असर मेष राशि के जातकों पर कई रूपों में देखा जा सकता है:
- नौकरी और व्यवसाय में परेशानी: इस दौरान नौकरीपेशा जातकों को ऑफिस में दिक्कतें हो सकती हैं। वरिष्ठों से तनाव बढ़ सकता है और कोई महत्वपूर्ण कार्य विफल हो सकता है। व्यवसाय में घाटा या नुकसान हो सकता है।
- आर्थिक संकट: पैसों की तंगी हो सकती है, और यह स्थिति इस समय बहुत नकारात्मक हो सकती है। कर्ज लेने की नौबत तक आ सकती है।
- स्वास्थ्य समस्याएं: स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है, खासकर सिर से जुड़ी समस्याएं (जैसे सिरदर्द, माइग्रेन आदि)। इसके अलावा, शारीरिक थकान और मानसिक तनाव भी हो सकता है।
- रिश्तों में तनाव: इस दौरान घर का माहौल नकारात्मक हो सकता है। पार्टनर से हर छोटी बात पर झगड़े हो सकते हैं, और परिवार में सामंजस्य बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
शनि की साढ़ेसाती के नकारात्मक प्रभाव से बचने के उपाय
शनि की साढ़ेसाती को पूरी तरह से खत्म करना संभव नहीं है, लेकिन इसके नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं:
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दान करें: शनि की साढ़ेसाती के दौरान गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना लाभकारी होता है। विशेष रूप से शनिवार को शनि देव को तेल का दान करना शुभ माना जाता है।
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शनि देव की पूजा: शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करें और उन्हें तेल चढ़ाएं। पूजा में काले तिल, लोहा, या तेल का दान करना शनि के प्रभाव को कम करने में मदद करता है।
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महादेव की पूजा: भगवान शिव की पूजा करने से भी शनि की साढ़ेसाती का असर कम हो सकता है। विशेष रूप से शनिवार को शिवलिंग पर जल अर्पित करें और मंत्रोच्चारण करें।
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आलस्य से बचें: इस समय आलस्य को खुद पर हावी न होने दें। खुद को व्यस्त रखें और किसी भी कार्य में जल्दबाजी से बचें। धैर्य रखकर किसी भी निर्णय को लें, क्योंकि शनि के प्रभाव में जल्दबाजी से नुकसान हो सकता है।
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सतर्कता रखें: अपनी सेहत का ध्यान रखें और किसी भी प्रकार की बीमारी से बचने के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं। मानसिक तनाव से बचने के लिए योग और ध्यान का अभ्यास करें।
शनि की साढ़ेसाती मेष राशि के जातकों के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है, लेकिन यदि सही उपाय किए जाएं तो इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। शनि के कड़े समय को सहजता से पार करने के लिए धैर्य और सही दिशा में प्रयास करना आवश्यक है। शनि देव के प्रति श्रद्धा और नियमित पूजा से उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, जो आपके जीवन को बेहतर बना सकता है।