Hindi News / Dharam / Shirdi Sai Baba Which Customs Did The Last Rituals Why Hindu Muslim Phogat Did

जो जिंदगीभर करते रहे एकता की बात, उन साईं बाबा के आखिरी वक़्त पर खून के प्यासे हो गए थे हिंदू-मुस्लिम…फिर किस रीति-रिवाज से हुआ अंतिम संस्कार

Sai Baba's Funeral: साईं बाबा के पार्थिव शरीर को बूटीवाड़ा ले जाया गया। वहां उनके शरीर का स्नान किया गया, चंदन का लेप किया गया और आरती की गई। इसके बाद उन्हें महासमाधि दिलाई गई।

BY: Prachi Jain • UPDATED :
Advertisement · Scroll to continue
Advertisement · Scroll to continue

India News (इंडिया न्यूज), Sai Baba’s Funeral: शिरडी साईं बाबा की पहचान को लेकर विवाद वर्षों से चल रहा है। उनके जन्मस्थान और जन्मतिथि पर भी मतभेद हैं; कुछ लोग उनका जन्म 1836 में मानते हैं, जबकि अन्य 1838 का उल्लेख करते हैं। साईं बाबा ने अपना अधिकांश जीवन शिरडी में बिताया, और 18 अक्टूबर 1918 को उनके निधन ने एक नया विवाद उत्पन्न किया।

साईं बाबा का स्वास्थ्य और अंतिम दिन

डॉ. सीबी सतपति अपनी पुस्तक ‘शिरडी साईं बाबा: एन इन्स्पायरिंग लाइफ’ में साईं बाबा के अंतिम दिनों का विस्तृत वर्णन करते हैं। उनका कहना है कि साईं बाबा को पहले से ही एहसास था कि उनकी महासमाधि का समय आ गया है। 28 सितंबर को उन्हें तेज बुखार हुआ, जो तीन दिनों तक चला। बुखार के कारण उन्होंने खाना-पीना छोड़ दिया और उनकी सेहत बहुत बिगड़ गई।

साल 2025 में होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया, छोटी सी गलती बन सकती है अपशकुन, जानें शुभ मुहूर्त बचाव के उपाय!

Sai Baba’s Funeral: साईं बाबा के पार्थिव शरीर को बूटीवाड़ा ले जाया गया। वहां उनके शरीर का स्नान किया गया, चंदन का लेप किया गया और आरती की गई। इसके बाद उन्हें महासमाधि दिलाई गई।

15 अक्टूबर को उनके निधन से कुछ दिन पहले ही उनकी दिनचर्या में परिवर्तन आया। वे अपने नियमित स्थान, लेंडीबाग और चावड़ी, नहीं जा रहे थे। उसी दिन, दोपहर में द्वारकामाई में आरती के बाद, उन्होंने अपने अनुयायियों को घर भेज दिया। करीब पौने तीन बजे, बाबा ने अपने करीबी अनुयायियों से कहा कि उन्हें बूटीवाड़ा ले जाया जाए, क्योंकि वहां उन्हें अच्छा महसूस होने की उम्मीद थी।

इन 5 राशियों का शुरू होगा शुभ समय…मंगलवार को प्रदोष साथ ही सूर्य का तुला राशि में गोचर, बनेंगे हर बिगड़े काम!

अंतिम संदेश और नौ रुपये

साईं बाबा ने लक्ष्मी बाई को एक-एक रुपए के नौ सिक्के दिए और कहा, “मुझे यहां अच्छा नहीं लग रहा है। मुझे बूटीवाड़ा ले चलो।” इसके बाद, उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। यह दिन हिंदू और मुस्लिम दोनों कैलेंडरों में महत्वपूर्ण था, क्योंकि इस दिन एक ओर विजयादशमी थी, वहीं दूसरी ओर इस्लामिक कैलेंडर में रमजान का नौंवा दिन था।

अंतिम संस्कार का संघर्ष

साईं बाबा की मृत्यु की खबर फैलते ही हजारों अनुयायी शिरडी में एकत्र होने लगे। उनके अनुयायियों में हिंदू और मुस्लिम दोनों थे। जबकि हिंदू उन्हें भगवान मानते थे, मुस्लिम उन्हें मौलवी के रूप में पूजा करते थे। निधन के बाद, उनके अंतिम संस्कार के लिए दोनों पक्षों में मतभेद उत्पन्न हुआ। हिंदू पक्ष ने बूटीवाड़ा में समाधि बनाने का प्रस्ताव रखा, यह मानते हुए कि बाबा का अंतिम इच्छा वहीं जाने की थी।

हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने अपनी मांग पर अडिग रहते हुए विरोध किया। 15 अक्टूबर की शाम रहाटा पुलिस स्टेशन के सब इंस्पेक्टर ने विवाद में हस्तक्षेप किया और हिंदू पक्ष की राय का समर्थन किया। विवाद बढ़ता गया, और अंततः शिरडी के मामलातदार को स्थिति को संभालने के लिए आगे आना पड़ा। उन्होंने हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच वोटिंग कराने का सुझाव दिया।

महिलाओं से बेराग, नमक का त्याग फिर 41 दिन की कड़ी तपस्या’…कौन है ये पानीपत के अद्भुद हनुमान?

जब वोटिंग हुई, तो हिंदू पक्ष को भारी बहुमत मिला, लेकिन मुस्लिम पक्ष ने फिर भी अपने रुख में कोई बदलाव नहीं किया। यह मामला अहमद नगर के कलेक्टर के पास पहुंचा, जहां अंततः हल निकाला गया।

समाधि का निर्माण

आखिरकार, विवाद समाप्त होने के बाद, साईं बाबा के पार्थिव शरीर को बूटीवाड़ा ले जाया गया। वहां उनके शरीर का स्नान किया गया, चंदन का लेप किया गया और आरती की गई। इसके बाद उन्हें महासमाधि दिलाई गई।

निष्कर्ष

साईं बाबा की पहचान और उनके अंतिम संस्कार के इस संघर्ष ने न केवल उनके अनुयायियों को प्रभावित किया, बल्कि एक सामाजिक और धार्मिक एकता का प्रतीक भी बन गया। उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों को एकजुट करती हैं, और उनका जीवन विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के बीच प्यार और भाईचारे का संदेश देता है। साईं बाबा का विरासत आज भी जीवित है, और उनकी महिमा आज भी भक्तों के दिलों में बसी हुई है।

महिलाओं से बेराग, नमक का त्याग फिर 41 दिन की कड़ी तपस्या’…कौन है ये पानीपत के अद्भुद हनुमान?

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Tags:

DevotionalDharamKaramdharmDharmikDharmkiBaatDharmNewsIndia newsindianewslatest india newsPaathKathayesai babaShirdispritualSpritualitytoday india newsइंडिया न्यूज

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

Advertisement · Scroll to continue

लेटेस्ट खबरें

Advertisement · Scroll to continue