डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
India News (इंडिया न्यूज), Shri Ram Maa Sita: वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड में सीता जी के वनवास और भगवान श्री राम के शासनकाल का वर्णन एक अत्यंत मार्मिक और प्रेरणादायक कथा है। यह कथा न केवल भगवान श्री राम और सीता जी के चरित्र को उजागर करती है, बल्कि उनके जीवन के आदर्शों और त्याग की गहराई को भी दर्शाती है।
लंका विजय के बाद भगवान श्री राम और सीता जी अयोध्या लौटे, जहाँ उनका भव्य स्वागत हुआ। लेकिन कुछ समय बाद, अयोध्या के लोगों के बीच सीता जी की पवित्रता को लेकर संदेह उत्पन्न हुआ। भगवान राम ने राज्य की मर्यादा और लोकमान्यताओं का पालन करते हुए, अत्यंत कष्ट के साथ लक्ष्मण जी को आदेश दिया कि वे सीता जी को वन में छोड़ आएं। यह निर्णय श्री राम के त्याग और धर्मपालन की पराकाष्ठा को दर्शाता है।
Shri Ram Maa Sita: मां सीता की मृत्यु के कितने साल बाद श्री राम ने त्यागे थे अपने प्राण
वन में सीता जी ने महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में शरण ली। वहाँ उन्होंने अपने पुत्रों लव और कुश को जन्म दिया और उनका पालन-पोषण किया। वाल्मीकि जी ने लव-कुश को वेद, शास्त्र और धनुर्विद्या का ज्ञान प्रदान किया।
कुछ वर्षों बाद, लव-कुश ने अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को रोका और भगवान श्री राम के साथ उनका संवाद हुआ। जब यह बात सामने आई कि वे सीता जी के पुत्र हैं, तो महर्षि वाल्मीकि ने स्वयं सीता जी को अयोध्या लाकर उनकी पवित्रता को प्रमाणित करने का आग्रह किया।
अयोध्या में, सीता जी ने अपने चरित्र की शुद्धता को प्रमाणित करने के लिए धरती माता से प्रार्थना की। उन्होंने कहा, “यदि मैं पवित्र हूं और भगवान राम के अतिरिक्त किसी और के विषय में कभी नहीं सोचा, तो हे धरती माता, मुझे अपने अंदर समा लो।” यह कहते ही धरती फट गई और सीता जी उसमें समा गईं। यह दृश्य अत्यंत हृदय विदारक था और भगवान श्री राम सहित समस्त अयोध्या निवासियों को गहरे शोक में डाल गया।
सीता जी के पृथ्वी में विलीन होने के बाद, भगवान श्री राम ने स्वयं इस संसार को छोड़ने की इच्छा प्रकट की। लेकिन महर्षि वाल्मीकि, माता कौशल्या और अन्य बुजुर्गों के परामर्श पर उन्होंने अपने पुत्रों लव और कुश का पालन-पोषण किया और अयोध्या पर शासन किया।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान राम ने 30 वर्ष और 6 महीने तक अयोध्या पर शासन किया। यह शासनकाल धर्म, न्याय और आदर्शों का प्रतीक था। जब वे 70 वर्ष के हुए, तो उन्होंने सरयू नदी में जल समाधि लेकर इस संसार को त्याग दिया।
वाल्मीकि रामायण की यह कथा भगवान श्री राम और सीता जी के त्याग, धर्मपालन और आदर्श जीवन को दर्शाती है। यह हमें सिखाती है कि व्यक्तिगत कष्टों के बावजूद, लोक कल्याण और धर्म का पालन सर्वोपरि है। भगवान राम और माता सीता के जीवन के ये आदर्श आज भी हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.