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हस्तिनापुर के इस व्यक्ति के आत्मा ने युधिष्ठिर के शरीर में घुस मचाया तांडव, जानिए शव से सुदर्शन चक्र बनने की अनोखी कहानी?

BY: Preeti Pandey • LAST UPDATED : November 29, 2024, 10:29 am IST
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हस्तिनापुर के इस व्यक्ति के आत्मा ने युधिष्ठिर के शरीर में घुस मचाया तांडव, जानिए शव से सुदर्शन चक्र बनने की अनोखी कहानी?

Lies of Yudhishthira: युधिष्ठिर के इस झूठ ने लेली थी द्रौपदी के पांचो बेटो की जान

India News (इंडिया न्यूज़), Mahabharat Yudhishthir: सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन यह सच है कि महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठिर के एक रिश्तेदार की आत्मा उनके शरीर में प्रवेश कर गई थी। जब ऐसा हो रहा था तो युधिष्ठिर को बहुत अजीब लगा। फिर बाद में उन्हें पता चला कि उनके शरीर में किसी और आत्मा ने प्रवेश कर लिया है। ऐसा तब हुआ जब उनके पिता के तीसरे भाई की मृत्यु हो गई।

हालांकि महाभारत युद्ध के बाद पांडु और धृतराष्ट्र के इस तीसरे भाई को इतनी ग्लानि हुई कि उसने साफ कह दिया कि वह अपनी मृत्यु के बाद दाह संस्कार नहीं चाहता। इतना ही नहीं उसने यह भी कहा कि उसके शव को न तो पानी में विसर्जित किया जाए और न ही जमीन में दफनाया जाए।

फिर उनके शव का क्या हुआ?

इस सवाल का जवाब देने से पहले आपको बता दें कि यह व्यक्ति कौन था। वह विदुर था। जो धृतराष्ट्र और पांडु का तीसरा भाई था। लेकिन दासी का पुत्र होने के कारण उसे राजगद्दी के योग्य नहीं समझा गया लेकिन वह महाभारत का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति था और सही-गलत को समझता था।

उनका जन्म कैसे हुआ

विदुर का जन्म महर्षि वेद व्यास और रानी अंबिका के घर एक दासी के गर्भ से हुआ था। इस कारण उन्हें दासी का पुत्र माना गया। उन्हें राजा नहीं बनाया गया। हालांकि वे धृतराष्ट्र और पांडु के बड़े भाई थे। वे अपने दोनों भाइयों से कहीं अधिक बुद्धिमान और विद्वान थे। उनकी नीतियां हमेशा समय की कसौटी पर खरी उतरीं।

वे हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री थे

विदुर को हस्तिनापुर का प्रधानमंत्री बनाया गया था। उनकी सलाह ने कई बार पांडवों को संकट से बचाया। उन्होंने महाभारत युद्ध का खुलकर विरोध किया। उन्होंने धृतराष्ट्र को समझाने की कोशिश की कि युद्ध विनाशकारी होगा, लेकिन अपने पुत्र प्रेम के कारण धृतराष्ट्र ने उनकी सलाह को नज़रअंदाज़ कर दिया। इस युद्ध में हुई अपार तबाही और लोगों की मौत ने उन्हें दुखी कर दिया।

वह अपने मृत शरीर के बारे में क्या चाहता था

इस युद्ध के बाद उसने तय किया कि वह मरने के बाद अपने शरीर का कोई भी हिस्सा इस धरती पर नहीं छोड़ना चाहेगा। इसलिए उसने किसी भी तरह के अंतिम संस्कार से इनकार कर दिया। फिर उसके मृत शरीर का क्या हुआ।

तो युधिष्ठिर को अजीब क्यों लगा

युद्ध के बाद विदुर ने जंगल में एक साधारण जीवन व्यतीत किया। जब उसका अंतिम समय आया तो पांडव उससे मिलने गए। जैसे ही उसने उनके सामने अंतिम सांस ली, युधिष्ठिर को बहुत अजीब लगा। उसे लगा जैसे कोई और भी उसके शरीर में प्रवेश कर गया हो। वह खुद नहीं समझ पा रहा था कि उसके साथ क्या हुआ है।

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युधिष्ठिर के शरीर में विदुर की आत्मा प्रवेश कर गई

दरअसल विदुर की आत्मा युधिष्ठिर के शरीर में प्रवेश कर गई थी। कृष्ण ने यह बात युधिष्ठिर को बताई। उन्होंने यह भी बताया कि विदुर स्वयं धर्मराज के अवतार थे, इसलिए उनकी आत्मा युधिष्ठिर के शरीर में विलीन हो गई। युधिष्ठिर स्वयं धर्मराज के पुत्र माने जाते थे। इसलिए युधिष्ठिर ने अपना शेष जीवन विदुर की आत्मा के साथ बिताया।

उनकी अंतिम इच्छा क्या थी?

युद्ध के दौरान विदुर ने भगवान कृष्ण से अपनी अंतिम इच्छा व्यक्त की। उन्होंने अनुरोध किया कि उनके मृत शरीर को सुदर्शन चक्र में बदल दिया जाए। इसलिए भगवान कृष्ण ने वैसा ही किया। इस तरह विदुर का अंतिम संस्कार नहीं किया गया। शरीर को रूपांतरित कर दिया गया।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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