India News (इंडिया न्यूज़), Ram-Bharat: भगवान राम की जीवन गाथा के बारे में हर भारतीय जानता है। उनके जीवन की हर घटना से हमें सीख मिलती है, राम कथा सुनने से ह्रदय भावुक हो जाता है। उनके जीवन की हर घटना से हमें सीख मिलती है, राम कथा सुनने से ह्रदय भावुक हो जाता है। आज हम जानेंगे एक ऐसी घटना के बारे में जिसे जानने के बाद कोई भी अपने आप को भावुक होने से रोक नहीं सकता है। भरत रामायण का एक ऐसा पात्र है जिस पर महर्षि वालमीकि ने सबसे कम लिखा गया है। भरत 14 वर्षों तक उस गलती की सज़ा पाते रहे जो उन्हें कभी की ही नहीं।

  • भरत के लिए रोए राम
  • वनदेवी से की आग्रह

भरत के लिए फूट-फूट कर रोने लगे राम

माता कैकेयी ने श्री राम के लिये वनवास मांग लिया था, राम वन को चल दिये थे। जब राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ गंगा पार करने के लिये पुरोहित से पूजा करायी तो, वहां कुछ ऐसा हुआ जिसे देख वहां मौजूद सभी की आंखें नम हो गईं, जहां ऋषि भारद्वाज भी मौजूद थे। जब पुरोहित ने श्लोक पढ़ना शुरू किया “जम्बूद्वीपे भरतखंडे”, भरत शब्द सुनते ही राम के हाथ से थाली छूट गई और फूट-फूट कर रोने लगे।
वहीं अयोध्या से भरत पूरे परिवार के साथ राम के पास आ रहे थे, भरत राम को मनाने के लिए अकेले भी आ सकते थे। लेकिन, वो पूरे परिवार को साथ लेकर आये, कि अगर उनसे राम न माने वापस चलने के लिए तो कोई और मना लेगा, किसी की तो भैया सुनेंगे ही।

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भरत पहली रात ऋषि भारद्वाज के आश्रम में रुके, ऋषि ने देखा भरत उदास हैं जैसे कौन सा घोर पाप हो गया हो। ऋषिवर ने भरत से पूछा, क्या हुआ राजा? भरत ने कहा, ऋषिवर मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई है, क्या भैया राम मुझसे अभी भी प्रेम करते होंगे? ऋषि ने कहा मुझे ये तो नहीं मालूम कि वो आपसे प्रेम करते हैं या नहीं। लेकिन जब राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ गंगा पार करने के लिये पुरोहित से स्वस्तीवाचन कराया तो राम के हाथ से थाली छूट गई और फूट-फूट कर रोने लगे और “हाय भरत, हाय मेरा भरत” चिल्लाने लगे।

भरत के लिए वनदेवी से किया निवेदन

जब राम को ये बात मालूम चली कि भरत उनसे मिलने चित्रकूट आ रहे हैं तो उन्होंने वन देवी से निवेदन किया कि हे वनदेवी कृपया मैं जिस मार्ग से आया हूँ, उस मार्ग से कांटे और पत्थर हटा दें। वन देवी ने पूछा, क्या आपका भाई इतना कमज़ोर है कि वो छोटे-छोटे कांटो को सह नहीं सकता? राम ने उत्तर देते हुए कहा, हे वनदेवी मेरा भाई भरत तो इतना शक्तिशाली है कि उसकी छाती से टकराकर इंद्र का वज्र भी टूट जाये। लेकिन जब उसे पता चलेगा कि इस मार्ग से उसके बड़े भैया आये हैं, जिसपर इतने कांटे हैं तो वो सह नहीं पायेगा और फूट फूट कर रोने लगेगा। कुछ ऐसा था दोनों भाइयों का प्रेम। अगर राम और भरत की प्रेम कथा हर घर में सुनाई जाए तो किसी भी घर में भाईयों के बीच कलह नहीं होगा।

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