India News(इंडिया न्यूज), Mahabharata: महाभारत की कहानी में श्री कृष्ण का किरदार काफी अहम था। वह पांडवों के रिश्तेदार होने के साथ उनके सलाहकार भी थे और अर्जुन के प्रिय मित्र के तौर पर भी महाभारत की कथा में देखे गए हैं। ऐसे में कई बार महाभारत में कई ऐसे सवाल है जो मनुष्य को परेशान करते हैं। जिसमें से एक सवाल यह भी होता है कि श्री कृष्ण को जब सब कुछ पता था तो उन्होंने युधिष्ठिर को जुआ खेलने से क्यों नहीं रोका।
महाभारत पढ़ने के बाद कई लोगों के दिमाग में यह सवाल जरूर आता है कि श्री कृष्ण को जब सब कुछ पता था कि महाभारत का युद्ध कैसा होगा। इसमें कितना सर्वनाश होगा तो उन्होंने युधिष्ठिर को जुआ खेलने से क्यों नहीं रोका। तो इसके पीछे की कथा के बारे में बताया जाता है कि यदि श्री कृष्णा चाहती है तो युधिष्ठिर को जुआ खेलने से रोक सकते थे। जिसके बाद महाभारत का युद्ध कभी होता ही नहीं और इतना बड़ा विनाश किसी को देखना ही नहीं पड़ता।
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उद्धव गीता और उद्धव भागवत के अनुसार अगर हम आपको बताएं तो जुआ खेलने का निर्णय युधिष्ठिर ने खुद लिया था और इस दौरान उन्होंने श्री कृष्ण से सलाह नहीं ली थी। उद्धव गीता में बताया गया है कि भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि सृष्टि का नियम है की जीत हमेशा विवेकमान की ही होती है और जुआ खेलने के समय दुर्योधन में विवेक था जबकि युधिष्ठिर में अहंकार भरा हुआ था।
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उसके साथ यह भी बताया जाता है कि जुआ खेलने की जब बात चल रही थी। तो उसे दौरान युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से वादा किया था कि वह सभा में बिना बुलाए ना जाए यही वजह थी कि श्री कृष्ण ने द्रौपदी के पुकारे जाने के बाद भी सभा में आकर नहीं पर सभा के बाहर से ही उनकी रक्षा की थी।
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