संबंधित खबरें
चल रही है शनि की महादशा? इस तरीके से शनि महाराज से मांगें माफी, कट जाएंगे सारे कष्ट…दिखेगा शनि का अलग रूप
घर में शराब रखना होता है शुभ? आचार्य ने बताया रखने का सही तरीका…अचानक मिलने लगेंगी ये 3 अनमोल चीजें
आखिर क्या है वजह जो गर्भवती महिलाओं को नहीं काटते सांप, देखते ही क्यों पलट लेते हैं रास्ता? ब्रह्मवैवर्त पुराण में छुपे हैं इसके गहरे राज!
क्या आपके घर का मेन गेट भी है गलत दिशा में? तो हो जाएं सतर्क वरना पड़ सकता है आपकी जिंदगी पर बूरा असर!
अगर श्री कृष्ण चाहते तो चुटकियों में रोक सकते थे महाभारत का युद्ध, क्यों नही उठाए अपने अस्त्र? इस वजह से बने थे पार्थ के सारथी!
आखिर क्या वजह आन पड़ी कि भगवान शिव को लेना पड़ा भैरव अवतार, इन कथाओं में छुपा है ये बड़ा रहस्य, काशी में आज भी मौजूद है सबूत!
इंडिया न्यूज, अंबाला:
The Banana Tree इस समय हिंदू पंचांग का नौवां महीना अगहन (मार्गशीर्ष ) चल रहा है जो 19 दिसंबर तक रहेगा। पुराणों में अगहन को पवित्र महीना बताया गया है। ये श्री कृष्ण का प्रिय महीना है। इसलिए मार्गशीर्ष मास में भगवान विष्णु और केले के पेड़ की पूजा करने की परंपरा बताई गई है। वृक्षों में केले का पेड़ भी पूजनीय है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसमें भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए अगहन में केले की जड़ में पूजा करने से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं।
पौराणिक कथा और धार्मिक मान्यताओं में भी पेड़-पौधों को पूजने का बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केले के पेड़ में साक्षात देव गुरु बृहस्पति वास करते हैं तो कि भगवान विष्णु के ही अंश माने जाते हैं। इसलिए अगहन में भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद भक्त केले की जड़ में फूल, चंदन और जल चढ़ाकर केले की पूजा करते हैं। नवंबर माह की 21 तारीख से देव गुरु बृहस्पति का राशि परिवर्तन हो चुका है। गुरु, मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश कर चुके हैं। इसलिए सर्वकार्य सिद्धि के लिए इस पूजा का भी महत्व है।
* अगहन महीने में एकादशी या गुरुवार को सूर्योदय से पहले मौन व्रत का पालन करते हुए स्नान करें।
* इसके बाद जहां भी केले का वृक्ष हो वहां उसे प्रणाम कर जल चढ़ाएं।
* ध्यान रखें कि घर के आंगन में यदि केले का वृक्ष लगा हो तो उस पर जल ना चढ़ाएं। बाहर के केले के वृक्ष में ही जल चढ़ाएं।
* केले के वृक्ष पर हल्दी की गांठ, चने की दाल और गुड़ अर्पित करें।
* अक्षत और पुष्प चढ़ाकर केले के पेड़ की परिक्रमा करें और क्षमा प्रार्थना करें।
कहते हैं कि ऋषियों में दुवार्सा ऋषि बहुत क्रोधी ऋषि थे। ऋषि अंबरीष की बेटी कंदली से उनका विवाह हुआ था। एक बार कंदली से ऋषि दुवार्सा की आज्ञा की अवहेलना हो गई। इससे वे कंदली पर बहुत क्रोधित हुए और उन्हें भस्म होने का श्राप दे दिया। शाप से कंदली राख बन गईं। बाद में ऋषि भी इस घटना पर दुखी हुए। जब कंदली के पिता ऋषि अंबरीश आए तो अपनी पुत्री को राख बना देखकर बहुत दुखी हुए। तब दुवार्सा ऋषि ने कंदली की राख को वृक्ष में बदल दिया और वरदान दिया कि अब से हर पूजा व अनुष्ठान में इसका विशेष महत्व होगा। इस तरह केले के वृक्ष का जन्म हुआ और केले का फल हर पूजा का प्रसाद बना। वृक्ष पूजनीय मान्य हुआ।
Read Also : Benefits Of Medicine Pills दवाई की गोली से मिल सकेगा एक्सरसाइज जितना फायदा
Read Also : Health Benefits of Drinking Neem Leaf Juice नीम के पत्ते का जूस पीने का गुणकारी फायदा
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.