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The Banana Tree अगहन में केले की जड़ की करें पूजा, भगवान विष्णु होते हैं प्रसन्न

India News Editor • LAST UPDATED : December 9, 2021, 4:36 pm IST
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The Banana Tree अगहन में केले की जड़ की करें पूजा, भगवान विष्णु होते हैं प्रसन्न

The Banana Tree

इंडिया न्यूज, अंबाला:

The Banana Tree इस समय हिंदू पंचांग का नौवां महीना अगहन (मार्गशीर्ष ) चल रहा है जो 19 दिसंबर तक रहेगा। पुराणों में अगहन को पवित्र महीना बताया गया है। ये श्री कृष्ण का प्रिय महीना है। इसलिए मार्गशीर्ष मास में भगवान विष्णु और केले के पेड़ की पूजा करने की परंपरा बताई गई है। वृक्षों में केले का पेड़ भी पूजनीय है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसमें भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए अगहन में केले की जड़ में पूजा करने से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न होते हैं।

पौराणिक कथा और धार्मिक मान्यताओं में भी पेड़-पौधों को पूजने का बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केले के पेड़ में साक्षात देव गुरु बृहस्पति वास करते हैं तो कि भगवान विष्णु के ही अंश माने जाते हैं। इसलिए अगहन में भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद भक्त केले की जड़ में फूल, चंदन और जल चढ़ाकर केले की पूजा करते हैं। नवंबर माह की 21 तारीख से देव गुरु बृहस्पति का राशि परिवर्तन हो चुका है। गुरु, मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश कर चुके हैं। इसलिए सर्वकार्य सिद्धि के लिए इस पूजा का भी महत्व है।

ध्यान रखने वाली बातें  The Banana Tree

* अगहन महीने में एकादशी या गुरुवार को सूर्योदय से पहले मौन व्रत का पालन करते हुए स्नान करें।
* इसके बाद जहां भी केले का वृक्ष हो वहां उसे प्रणाम कर जल चढ़ाएं।
* ध्यान रखें कि घर के आंगन में यदि केले का वृक्ष लगा हो तो उस पर जल ना चढ़ाएं। बाहर के केले के वृक्ष में ही जल चढ़ाएं।
* केले के वृक्ष पर हल्दी की गांठ, चने की दाल और गुड़ अर्पित करें।
* अक्षत और पुष्प चढ़ाकर केले के पेड़ की परिक्रमा करें और क्षमा प्रार्थना करें।

दुवार्सा ऋषि से जुड़ी है पौराणिक कथा  The Banana Tree

कहते हैं कि ऋषियों में दुवार्सा ऋषि बहुत क्रोधी ऋषि थे। ऋषि अंबरीष की बेटी कंदली से उनका विवाह हुआ था। एक बार कंदली से ऋषि दुवार्सा की आज्ञा की अवहेलना हो गई। इससे वे कंदली पर बहुत क्रोधित हुए और उन्हें भस्म होने का श्राप दे दिया। शाप से कंदली राख बन गईं। बाद में ऋषि भी इस घटना पर दुखी हुए। जब कंदली के पिता ऋषि अंबरीश आए तो अपनी पुत्री को राख बना देखकर बहुत दुखी हुए। तब दुवार्सा ऋषि ने कंदली की राख को वृक्ष में बदल दिया और वरदान दिया कि अब से हर पूजा व अनुष्ठान में इसका विशेष महत्व होगा। इस तरह केले के वृक्ष का जन्म हुआ और केले का फल हर पूजा का प्रसाद बना। वृक्ष पूजनीय मान्य हुआ।

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