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India News (इंडिया न्यूज़), Blood Stained Ceilings of Kyoto Temples: जापान के क्योटो में पांच मंदिर हैं, जिनकी दीवारों में एक खूनी रहस्य छिपा है। ये मंदिर जापान के अलग अलग हिस्सों में है जिसमें – योगेन-इन, गेन्को-एन, शोडेन-जी, होसेन-इन और म्योशिनजी मंदिर शामिल है। कहा जाता है की इनकी छतों पर सदियों पुराना खून लगा हुआ है, जो इतिहास के सबसे क्रूर समुराई संघर्षों में से एक के दौरान बहा था।
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एक रिपोर्ट की मानें तो मंदिरों की छतें 16वीं सदी के किले फुशिमी कैसल के फर्श से बनी हैं। जहां जापानी समुराई जनरल तोरी मोटोटाडा और उनके 380 योद्धाओं ने दुश्मन की 40 हजार सैनिकों को 11 दिनों तक रोका हुआ था। कहा जाता है की उस समय दो सबसे बड़े कुलों के बीच लड़ाई चल रही थी। एक का नेतृत्व जापान के सरदार तोकुगावा इयासु कर रहे थे जबकि दूसरे कुल का नेतृत्व इशिदा मित्सुनारी कर रहे थे। इशिदा मित्सुनारी ने 40 हजार सैनिकों की सेना के साथ फुशिमा कैसल पर कब्जा करने के लिए किले पर हमला किया था।
इयासु की सेना ने इस हमले का बहादुरी से मुकाबला किया था। समुराई जनरल तोरी मोटोटाडा में इयासु की सेना ने इशिदा मित्सुनारी की मांगों को मानने से इनकार कर दिया था जिसकी वजह से दोनों सेनाओं के बीच भयंकर युद्ध हुआ। मोटोटाडा और उसके सभी 380 समुराई सैनिकों ने 11 दिनों तक दुश्मनों का मुकाबला किया, लेकिन जब दुश्मनों को रोकना उनके लिए मुश्किल हो गया, तो हार स्वीकार करने और हमलावर सेना के पकड़े जाने के बजाय, सभी 380 समुराई सैनिकों ने आत्महत्या कर ली। किले के दालान की लकड़ी उनके शरीर से बहते खून से रक्तरंजित हो गई।
कहा जाता है की बाद में, किले के दालान की इन्हीं लकड़ियों का इस्तेमाल मंदिरों की छतों में किया गया। ताकि मोटोटाडा और बाकी सभी 380 समुराई सैनिकों के बलिदान को सम्मान कर याद दिया जा सके और उनकी आत्मा को शांति मिल सके।
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