Hindi News / Dharam / The Warrior Of Mahabharata Who First Started Shraddha Pleased The Ancestors Who Came To Earth In This Way Know The History Of This Hindu Tradition

महाभारत का वो योद्धा जिसने सबसे पहले शुरू किया था श्राद्ध, धरती पर आए पितरों को ऐसे किया था खुश, जानें इस हिन्दू परंपरा का इतिहास

India News (इंडिया न्यूज),Pitru Paksha 2024: हर साल एक बार 15 दिनों के लिए पितृपक्ष आता है। जिसकी शुरुआत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा में होता है, इससे पितर यानी पूर्वजों को निमित्त कर्मकांड जैसे श्राद्ध पिंडदान, तर्पण दिए जाते हैं। इसे करने से पितृदोष से आजादी मिलती है। इसके साथ ही अपनो […]

BY: Ritesh Mishra • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज),Pitru Paksha 2024: हर साल एक बार 15 दिनों के लिए पितृपक्ष आता है। जिसकी शुरुआत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा में होता है, इससे पितर यानी पूर्वजों को निमित्त कर्मकांड जैसे श्राद्ध पिंडदान, तर्पण दिए जाते हैं। इसे करने से पितृदोष से आजादी मिलती है। इसके साथ ही अपनो पतिरों से आशीर्वाद मिलता है। भाद्रपद माह में आश्विन अमावस्या को पितृ पक्ष समाप्त होता है। इस बार पितृ पक्ष 17 सितंबर 2024 से शुरू होगा। ज्योतिषी के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान पूर्वज धरती पर आए हैं। वह अपने परिवार के पास जाता है। ऐसे में पिंडदान और तर्पण से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। पितृ पक्ष की यह परंपरा द्वापर युग के समय से चली आ रही है। कहा जाता है कि इसकी शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। आइए जानते हैं कैसे शुरू हुआ था पितृ पक्ष और तर्पण…

दानवीर कर्ण ने की थी शुरूआत

पितृ पक्ष की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि पिएत्रो पक्ष महान योद्धा और महाभारत के संस्थापक कर्ण के वंशज थे। यह आज भी जारी है। महाभारत में कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध के 17वें दिन अर्जुन कर्ण का वध कर देते हैं। मृत्यु के बाद कर्ण की आत्मा उसकी दानवीरता के कारण यमलुक पहुँची। यहां उनके कार्यों के कारण उन्हें स्वर्ग में स्थान दिया गया। कारण यह था कि कर्ण ने अंत तक दान दिया था।

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भोजन में मिले बहुमूल्य आभूषण

जब कर्ण स्वर्ग पहुंचा तो उसे भोजन की जगह रत्न दिए गए। कर्ण इस बात से परेशान था कि उसकी इस तरह सेवा की जा रही थी। कर्ण इंद्र के सिंहासन तक पहुंच गया। उन्होंने इंद्र से पूछा कि उन्होंने इतनी भिक्षा क्यों दी और फिर भी उन्हें भोजन क्यों नहीं मिला। क्योंकि मैं भूखा हूँ, वे मुझे मोती और अन्य बहुमूल्य आभूषण दे रहे हैं। इंद्र ने कर्ण से कहा कि तुमने धन, रत्न और मणियों का दान किया है। कभी अन्न दान नहीं किया। इसके अलावा, उन्होंने कभी भी अपने पूर्वजों का श्राद्ध नहीं किया। इसीलिए स्वर्ग में भोजन के स्थान पर मोती और रत्न दिये जाते हैं। कर्ण कहता है कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है।

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ऐसे हुई थी शुरू हुई थी पितृपक्ष की शुरुआत

इसके बाद कर्ण ने इंद्र से कहा कि मैं अपने पितरों का श्राद्ध करना चाहता हूं लेकिन कैसे करूं? मुझे इसके बारे में ज्ञान दीजिये। फिर इंद्र के आदेश पर कर्ण की आत्मा को 15 दिनों के लिए पृथ्वी पर भेज दिया। जब कर्ण पृथ्वी पर आए तो उन्होंने अपने पूर्वजों के नाम पर नियमित रूप से 15 दिनों तक भोजन दान किया। उन्होंने लोगों को भोजन उपलब्ध कराया। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन पितृ पक्ष की शुरुआत हुई थी।

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