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Ratan Tata की कुंडली में था एक ऐसा योग जिसके कारण बने इतने अमीर, भरती गईं तिजोरियां

Nishika Shrivastava • LAST UPDATED : October 11, 2024, 5:18 pm IST
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Ratan Tata की कुंडली में था एक ऐसा योग जिसके कारण बने इतने अमीर, भरती गईं तिजोरियां

Ratan Tata Kundli

India News (इंडिया न्यूज़), Ratan Tata Kundli: रतन टाटा देश के एक सफल व्यवसायी और कुशल उद्यमी थे। उससे भी बढ़कर, वो एक नेक इंसान भी थे जो भारत को मजबूत देखना चाहते थे। रतन टाटा सादगी और शालीनता की मिसाल थे। बता दें कि रतन टाटा का निधन बुधवार, 9 अक्टूबर, 2024 को रात करीब 11:30 बजे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ। रतन टाटा के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। रतन टाटा पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। रतन टाटा ने अपने जीवन से जुड़ी कई बातें कई इंटरव्यू में शेयर की थी।

रतन टाटा ने अपने जीवन में खूब सफलता हासिल की। ​​उन्होंने टाटा समूह को ऊंचाइयों पर पहुंचाया। इसके साथ ही उन्होंने अपने सरल स्वभाव और व्यवहार से सभी के दिलों में जगह बनाई। लेकिन एक बात हमेशा लोगों के मन में रही कि इतना सफल होने के बाद भी उन्होंने शादी क्यों नहीं की। सोशल मीडिया पर रतन टाटा की कुंडली में कई शुभ योग मौजूद थे, जिसकी वजह से वो एक सफल उद्योगपति बने। लेकिन कुछ ग्रहों की युति ऐसी थी, जिसके कारण उनकी शादी नहीं हो पाई। इसी कारण उनकी शादी नहीं हो पाई।

जानें रतन टाटा की कुंडली

जानकारी के अनुसार, रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में सुबह 06:30 बजे हुआ था। इस प्रकार उनकी जन्म कुंडली धनु लग्न और तुला राशि की है। लग्न में सूर्य, बुध और शुक्र बहुत शुभ स्थिति में हैं। बृहस्पति धनु राशि में है और मंगल तीसरे भाव में है। चौथे भाव में शनि, ग्यारहवें भाव में चंद्रमा और बारहवें और छठे भाव में राहु-केतु की स्थिति एक अच्छा समीकरण बनाती है।

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रतन टाटा के जीवन में इन ग्रहों का प्रभाव रहा

  • रतन टाटा का जन्म बृहस्पति की महादशा में हुआ था
  • शनि की महादशा के 19 वर्ष
  • बुध की महादशा के 17 वर्ष
  • केतु की महादशा के 7 वर्ष
  • शुक्र की महादशा के 20 वर्ष
  • सूर्य की महादशा के 6 वर्ष
  • वर्तमान में रतन टाटा की कुंडली में चंद्रमा की महादशा चल रही थी, जो 15 अप्रैल 2025 तक थी।

रतन टाटा की लग्न कुंडली में बुधादित्य योग

ज्योतिषाचार्य के अनुसार बताया गया कि रतन टाटा की लग्न कुंडली में बुधादित्य योग था। ज्योतिष शास्त्र में इसे पारस पत्थर जैसा योग कहा जाता है। इस योग का स्वामी अगर मिट्टी को छू दे तो वो पत्थर बन जाती है। यानी व्यक्ति जो भी काम करता है, उसमें उसे दोगुनी सफलता मिलती है।

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प्यार हुआ फिर शादी के योग क्यों नहीं बने?

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, रतन टाटा की कुंडली में दांपत्य जीवन के स्वामी बुध पर शनि की टेढ़ी दृष्टि होने के कारण शादी के योग नहीं बन रहे थे। साथ ही सूर्य की दृष्टि भी कुंडली के सप्तम भाव पर थी। ग्रहों की ऐसी स्थिति को ज्योतिष शास्त्र में अलगाव का कारण माना जाता है। ग्रहों की ऐसी स्थिति में अगर शादी हो भी जाती तो किसी न किसी कारण से शादी टूट जाती या तलाक जैसी स्थिति बन जाती। नवमांश कुंडली के सप्तम भाव पर शनि की टेढ़ी दृष्टि तथा उसी भाव में शुक्र पर मंगल की दृष्टि के कारण रतन टाटा जी का विवाह नहीं हुआ।

 

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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