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कलियुग के अंत तक चुकाएंगे मां लक्ष्मी से विवाह करने का कर्ज भगवान विष्णु, आज भी इस अवतार में पूरी कर रहे हैं किश्तें?

Bhagwan Vishnu & Maa Lakshmi Vivah: कलियुग के अंत तक चुकाएंगे मां लक्ष्मी से विवाह करने का कर्ज भगवान विष्णु

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Bhagwan Vishnu & Maa Lakshmi Vivah: हमारे पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं में भगवान विष्णु से जुड़ी कई दिलचस्प और रहस्यमयी कथाएँ मिलती हैं। एक ऐसी कथा है जो भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के विवाह से संबंधित है, जिसमें भगवान विष्णु को कुबेर से कर्ज़ लेने की आवश्यकता पड़ी थी। यह कहानी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह तिरुपति बालाजी के मंदिर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को भी दर्शाती है।

विष्णु और लक्ष्मी का विवाह

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु जी और देवी लक्ष्मी का विवाह हुआ था, लेकिन इस विवाह के लिए भगवान विष्णु को कुबेर से कर्ज़ लेना पड़ा था। कुबेर, जो धन और संपत्ति के देवता माने जाते हैं, ने भगवान विष्णु को राममुद्रा सिक्कों में 1.4 मिलियन का कर्ज़ दिया। इस कर्ज़ को चुकाने के लिए भगवान विष्णु ने वचन लिया कि वह कलयुग के अंत तक इसे चुकाएंगे।

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Bhagwan Vishnu & Maa Lakshmi Vivah: कलियुग के अंत तक चुकाएंगे मां लक्ष्मी से विवाह करने का कर्ज भगवान विष्णु

इसके बाद, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर अवतरित हुए और राजकुमारी पद्मावती के रूप में देवी लक्ष्मी और भगवान वेंकटेश्वर के रूप में भगवान विष्णु ने इस धरती पर जन्म लिया। पद्मावती एक धनी राजा की बेटी थीं और उनके विवाह की तैयारी बहुत धूमधाम से की जा रही थी। इस विवाह के लिए भगवान विष्णु ने कुबेर से कर्ज लिया था, जो कि एक महत्वपूर्ण धार्मिक घटना मानी जाती है।

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तिरुपति बालाजी का महत्व

तिरुपति बालाजी मंदिर, जो भगवान विष्णु के अवतार वेंकटेश्वर को समर्पित है, श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। कहा जाता है कि इस कर्ज़ को चुकाने के लिए श्रद्धालु आज भी सोना-चांदी, हीरे-मोती, और गहने भगवान विष्णु को अर्पित करते हैं। इस प्रकार, तिरुपति बालाजी के दर्शन करने और वहां चढ़ावा चढ़ाने से श्रद्धालु भगवान विष्णु के कर्ज को चुकाने में सहायता कर रहे हैं, और यह एक प्रकार से धार्मिक परंपरा बन गई है।

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कुबेर का कर्ज और बदरीनाथ

इस कर्ज़ को चुकाने के लिए न केवल तिरुपति बालाजी के दर्शन होते हैं, बल्कि बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद भी हर साल कुबेर भगवान विष्णु से अपना कर्ज़ वसूलने के लिए बदरीश पंचायत में आते हैं। यह परंपरा भी इस कथा से जुड़ी है, और इस प्रकार भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के विवाह के समय लिया गया कर्ज़ आज भी श्रद्धालुओं के माध्यम से चुकाया जा रहा है।

भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के विवाह के समय लिया गया कर्ज़ एक दिलचस्प और रहस्यमयी कथा है, जो धार्मिक परंपराओं, आस्थाओं और विश्वासों से जुड़ी हुई है। आज भी तिरुपति बालाजी और अन्य धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालु भगवान विष्णु के कर्ज़ को चुकाने के लिए अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं। यह कथा न केवल भगवान विष्णु के महत्व को दर्शाती है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्थाओं के गहरे संबंध को भी उजागर करती है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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