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इंसानों के लाखों पाप धोने के बावजूद गंगा का पानी क्यों नहीं होता गंदा? जो काम मनुष्य नहीं कर पाए वो ये छोटा सा जीव करता है

Ganga Nadi: हिमालय से निकलने वाली गंगा नदी हिंदुओं के लिए पूजा स्थल है। इसका जिक्र कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। हिंदुओं के लिए गंगा का पानी बहुत पवित्र है।

BY: Shivani • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Ganga Nadi :हिमालय से निकलने वाली गंगा नदी हिंदुओं के लिए पूजा स्थल है। इसका जिक्र कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। हिंदुओं के लिए गंगा का पानी बहुत पवित्र है। गंगा का पानी कभी भी खराब नहीं होता।हर साल धार्मिक त्योहारों पर लाखों श्रद्धालु नदी में स्नान करते हैं। ‘राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी एवं शोध संस्थान’ (निरी) के शोधकर्ताओं ने गंगा के पानी पर 12 साल तक रिसर्च की और इसके पीछे के कारणों का पता लगाया। इसमें पता चला कि गंगा के पानी में कुछ ऐसे तत्व मौजूद हैं, जो पानी को खराब नहीं होने देते और ये तत्व हर नदी में नहीं होते। गंगा का पानी कभी खराब नहीं होता, लेकिन सवाल ये है कि हर साल लाखों श्रद्धालुओं के गंगा में स्नान करने के बावजूद गंगा का पानी साफ कैसे रहता है?

गंगा में मौजूद है ‘बैक्टीरियोफेज’ वायरस

राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी एवं अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने गंगा पर शोध किया। इसमें पाया गया कि गंगा के पानी में स्वयं को साफ रखने का गुण है। गंगा के पानी में बड़ी मात्रा में ‘बैक्टीरियोफेज’ मौजूद है, जो गंगा के पानी को प्रदूषित होने से बचाता है। ‘बैक्टीरियोफेज’ एक प्रकार का वायरस है जो बैक्टीरिया को संक्रमित करता है। यह शोध केंद्र सरकार के ‘स्वच्छ गंगा मिशन’ के तहत एनआईआरआई के शोधकर्ता डॉ. कृष्ण खैरनार के नेतृत्व में किया गया। इस शोध के लिए गंगा को तीन चरणों में बांटा गया। इनमें पहला चरण गोमुख से हरिद्वार, दूसरा हरिद्वार से पटना और तीसरा चरण पटना से गंगासागर तक है।

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Ganga Nadi( गंगा का पानी क्यों नहीं होता गंदा)

50 अलग-अलग जगहों से लिए सैंपल

एनआईआरआई के शोधकर्ता डाक्टर कृष्ण खैरनार ने जवाब दिया है। शोधकर्ताओं ने 50 अलग-अलग जगहों से गंगा के पानी और नदी तल की रेत और मिट्टी के नमूने लिए। उन्होंने कहा कि हमने पाया कि गंगा नदी में खुद को शुद्ध करने का गुण है। शोधकर्ताओं ने पिछले कुंभ मेले के दौरान भी नमूने एकत्र किए थे। हमें गंगा के पानी में बैक्टीरियोफेज मिले, जो पानी में मौजूद कीटाणुओं को नष्ट कर देते हैं। शोधकर्ता कृष्ण खैरनार ने कहा कि गंगा के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा काफी है। ऑक्सीजन का स्तर 20 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पाया गया। इसके साथ ही टेरपिन नामक फाइटोकेमिकल भी पाया गया। ये तीनों सिद्धांत गंगा के पानी को शुद्ध रखते हैं।

सिर्फ गंगा नदी में ही पानी को साफ रखने के गुण

शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया है कि क्या ये सिद्धांत केवल गंगा नदी में मौजूद हैं, जिसमें अपने पानी को शुद्ध करने का गुण है, या अन्य नदियों में भी मौजूद हैं। इसके लिए यमुना और नर्मदा नदियों के पानी पर भी शोध किया गया। हालांकि, यह बात सामने आई कि गंगा के पानी में मौजूद तत्व इन नदियों के पानी में बहुत कम मात्रा में मौजूद हैं।

गंगा पर 12 साल तक चली रिसर्च

इस समय उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आयोजन हो रहा है। महाकुंभ में पहुंचकर लाखों श्रद्धालु प्रतिदिन गंगा में स्नान कर रहे हैं, लेकिन स्नान स्थल से पांच किलोमीटर दूर जाने पर ही गंगा का पानी शुद्ध हो जाता है। गंगा नदी में खुद को शुद्ध करने का गुण है। इसीलिए गंगा का पानी खराब नहीं होता। इस बात का पता नागपुर के शोधकर्ताओं ने 12 साल की मेहनत और शोध के बाद लगाया है।

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