Hindi News / Dharam / What Was The Relationship Of The Kinnar Deity And How Did It Develop With The Mahabharat Warrior Arjuna

किन्नरों के देवता का क्या और कैसे बना महाभारत के योद्धा अर्जुन संग रिश्ता?

Mahabharat Arjun: भारत में किन्नरों का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इरावन की कथा और किन्नरों का देवता मानना इस समुदाय की धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं को प्रकट करता है।

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat Arjun: भारत में किन्नर समुदाय का महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक स्थान है। यह समुदाय न केवल धार्मिक अवसरों पर आशीर्वाद देने के लिए जाना जाता है, बल्कि यह भारतीय पौराणिक कथाओं और लोकमान्यताओं से भी गहरा जुड़ा हुआ है। विशेष रूप से होली, दिवाली, संतान के जन्म जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर किन्नर घरों में आकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस लेख में, हम किन्नरों की पौराणिक मान्यता और उनके धार्मिक महत्व पर एक विस्तृत दृष्टिकोण प्रस्तुत करेंगे।

किन्नरों की पौराणिक मान्यता

किन्नर समुदाय की धार्मिक मान्यता भारतीय पौराणिक कथाओं और लोक मान्यताओं से जुड़ी हुई है। इस संदर्भ में, इरावन (अरावन) का उल्लेख विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इरावन को किन्नरों का देवता माना जाता है, और यह मान्यता महाभारत से जुड़ी हुई है।

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इरावन की कथा

इरावन की कहानी महाभारत के अंशों में प्रकट होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इरावन अर्जुन का पुत्र था। अर्जुन, जो कि महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे, गंगा तट पर नागकन्या उलूपी से मिले। उलूपी ने अर्जुन को देखकर उन्हें अपने पाताललोक ले जाने का प्रस्ताव दिया, जिसे अर्जुन ने स्वीकार कर लिया। इस संबंध से इरावन का जन्म हुआ।

इरावन का जन्म एक विशेष पौराणिक कथा से जुड़ा है। उलूपी और अर्जुन के मिलन से उत्पन्न हुए इरावन को धनुर्विद्या और मायावी अस्त्रों का गहन ज्ञान था। इरावन के गुण और शक्तियों के कारण वह अपने पिता अर्जुन की तरह बलवान, रूपवान और सत्य पराक्रमी था।

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इरावन और भगवान कृष्ण

पौराणिक मान्यता के अनुसार, इरावन की विशेष इच्छा के कारण भगवान कृष्ण ने एक अनूठा रूप धारण किया। भगवान कृष्ण ने औरत का रूप धारण कर इरावन से विवाह किया। यह कथा किन्नर समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक पहलू है और उनके लिए एक विशेष स्थान रखती है।

किन्नरों का आशीर्वाद और सामाजिक भूमिका

भारत में किन्नर समुदाय का आशीर्वाद देने की परंपरा गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता से जुड़ी हुई है। यह मान्यता है कि किन्नरों द्वारा दिया गया आशीर्वाद कभी खाली नहीं जाता और यह सदैव फलदायी होता है। यही कारण है कि किन्नर समुदाय को समाज में एक विशिष्ट सम्मान और स्थान प्राप्त है।

किन्नर त्योहारों और विशेष अवसरों पर आशीर्वाद देने के लिए घरों में आते हैं, जो उनके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है। उनकी उपस्थिति को सकारात्मक मानते हुए, लोग उनके आशीर्वाद को स्वीकार करते हैं और इसे अपने जीवन की सुख-समृद्धि का संकेत मानते हैं।

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निष्कर्ष

भारत में किन्नरों का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इरावन की कथा और किन्नरों का देवता मानना इस समुदाय की धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं को प्रकट करता है। किन्नर समुदाय की सामाजिक भूमिका और उनके आशीर्वाद की मान्यता भारतीय समाज में गहराई से व्याप्त है। यह एक ऐसा पहलू है जो भारतीय सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक मान्यताओं की समृद्धि को दर्शाता है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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