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मणिपुर की राजकन्या चित्रांगदा ने अर्जुन संग विवाह रचाने से पहले रख दी थी ये शर्त…कि पांडव वंश पर भी आ गई थी ऐसी बात?

Prachi Jain • LAST UPDATED : October 1, 2024, 5:16 pm IST
मणिपुर की राजकन्या चित्रांगदा ने अर्जुन संग विवाह रचाने से पहले रख दी थी ये शर्त…कि पांडव वंश पर भी आ गई थी ऐसी बात?

Chitrangada’s Marriage with Arjun: अर्जुन जब मणिपुर पहुंचे, तब उनकी मुलाकात चित्रांगदा से हुई। उनकी आकर्षक सुंदरता और गुणों ने अर्जुन को प्रभावित किया, और उन्होंने चित्रांगदा से विवाह का प्रस्ताव रखा।

India News (इंडिया न्यूज), Chitrangada’s Marriage with Arjun: चित्रांगदा महाभारत की एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण पात्र हैं, जो मणिपुर की राजकुमारी थीं। उनका विवाह अर्जुन से तब हुआ जब अर्जुन अपने वनवास के दौरान विभिन्न स्थानों की यात्रा कर रहे थे। चित्रांगदा न केवल अपनी अद्वितीय सुंदरता के लिए जानी जाती थीं, बल्कि उनकी बुद्धिमत्ता और प्रज्ञा भी उतनी ही प्रसिद्ध थी।

अर्जुन और चित्रांगदा का विवाह

अर्जुन जब मणिपुर पहुंचे, तब उनकी मुलाकात चित्रांगदा से हुई। उनकी आकर्षक सुंदरता और गुणों ने अर्जुन को प्रभावित किया, और उन्होंने चित्रांगदा से विवाह का प्रस्ताव रखा। हालांकि, चित्रांगदा ने एक महत्वपूर्ण शर्त रखी—उनका पुत्र मणिपुर में ही रहेगा और वहीं राज्य की परंपरा और संस्कृति को आगे बढ़ाएगा। इस शर्त का कारण यह था कि मणिपुर की राज्य परंपरा में एक महिला शासक के उत्तराधिकारी के रूप में उनके बेटे का मणिपुर में रहना आवश्यक था। अर्जुन ने इस शर्त को स्वीकार कर लिया और दोनों का विवाह संपन्न हुआ।

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बभ्रुवाहन: मणिपुर का उत्तराधिकारी

अर्जुन और चित्रांगदा के पुत्र का नाम बभ्रुवाहन था। बभ्रुवाहन को मणिपुर का राजा नियुक्त किया गया और उन्होंने मणिपुर की परंपरा और संस्कृति को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महाभारत के युद्ध के बाद अर्जुन और बभ्रुवाहन के बीच एक महत्वपूर्ण घटना घटी, जब दोनों के बीच युद्ध हुआ और बभ्रुवाहन ने अपने पिता अर्जुन को युद्ध में परास्त कर दिया। हालांकि, बाद में इस घटना का समाधान हुआ और अर्जुन व बभ्रुवाहन के बीच संबंध फिर से सामान्य हो गए।

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चित्रांगदा का महत्व

चित्रांगदा न केवल महाभारत की कथा में एक महत्वपूर्ण पात्र हैं, बल्कि उनके माध्यम से मणिपुर की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का भी चित्रण होता है। उनका चरित्र यह दर्शाता है कि कैसे महिलाएं भी अपने राज्य और परिवार के भविष्य के प्रति जागरूक थीं और उन्होंने राजनीतिक और सामाजिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया।

इस प्रकार, चित्रांगदा का चरित्र महाभारत में एक सशक्त और प्रेरणादायक महिला के रूप में उभरता है, जो अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करती हैं।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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