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कैसी भी हो स्थिती, त्याग चुके हैं सारे सुख, फिर भी इन पांच कड़े नियमों का करना पड़ता है पालन!

BY: Preeti Pandey • LAST UPDATED : January 20, 2025, 9:18 am IST
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कैसी भी हो स्थिती, त्याग चुके हैं सारे सुख, फिर भी इन पांच कड़े नियमों का करना पड़ता है पालन!

Naga Sadhu: कैसी भी हो स्थिती, त्याग चुके हैं सारे सुख

India News(इंडिया न्यूज), Naga Sadhu: महाकुंभ में बड़ी संख्या में नागा साधु पहुंचे हैं। लोग इन्हें देखकर हैरान हैं, लेकिन इनके जैसा जीवन जीना किसी आम इंसान के लिए संभव नहीं है। ये जीवनभर कड़े नियमों का पालन करते हैं और अगर किसी नियम का पालन करने में ये कोई गलती कर देते हैं तो गुरु के आशीर्वाद से वंचित हो जाते हैं। गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद ही नागा साधु संन्यास के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं नागा साधुओं को किन नियमों का पालन करना होता है।

आचरण और व्यवहार के नियम

नागा साधु को जीवन भर आचरण के नियमों का पालन करना होता है। हिंसा का मार्ग तभी अपनाया जाता है, जब धर्म खतरे में हो। चोरी करना, झूठ बोलना और धन के बारे में सोचना भी नागा साधु के लिए वर्जित है। सभी लोगों को समान भाव से देखना नागा साधु की प्रारंभिक शर्त है।

त्याग और संयम

नागा साधुओं को न केवल अपने घर और परिवार का बल्कि अपने वस्त्र और शरीर का भी त्याग करने की शिक्षा दी जाती है। नागा साधु को शरीर के प्रति किसी भी तरह की आसक्ति नहीं रखनी चाहिए। नागा साधु को जीवन भर कठोर ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। नागा साधु दिन में केवल एक बार ही भोजन कर सकते हैं।

ध्यान और साधना से जुड़े नियम

नागा साधु की दिनचर्या तय होती है कि उसे घंटों योग और साधना करनी होती है। कठोर तपस्या नागा साधु के जीवन का अभिन्न अंग है। साथ ही साधना के दौरान नागा साधु को कई दिनों तक उपवास भी करना होता है।

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सहनशीलता

मौसम कैसा भी हो, नागा साधु को हर परिस्थिति के हिसाब से खुद को ढालना होता है। हर परिस्थिति को सहने की क्षमता नागा साधु के लिए जरूरी शर्तों में से एक है। यानी नागा साधु को शारीरिक कष्ट सहने के लिए हमेशा तैयार रहना पड़ता है। योग और ध्यान के जरिए नागा साधु को अपने शरीर को इस तरह ढालना होता है कि वह हर परिस्थिति में जी सके।

दूसरे साधुओं से संवाद

हम सभी जानते हैं कि नागा साधु एक अखाड़े से जुड़े होते हैं। अखाड़े का नियम है कि कोई भी नागा साधु किसी दूसरे नागा साधु से दुश्मनी नहीं रखता। सहयोग और सम्मान की परंपरा ही नागा साधुओं का नियम है। इसके साथ ही हर नागा साधु को धर्म की रक्षा के लिए दीक्षा दी जाती है।

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