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India News( इंडिया न्यूज) : सावन मास में कांवरिया पथ पर हर रोज अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। इन दिनों शिव भक्त अपने अपने रंग में बाबा धाम पहुंच रहे हैं। ऐसे में ही एक कांवरिया का जत्था जो पूर्णिया जिला के भवानीपुर से बाबा को जल चढ़ाने के लिए जा रहे हैं। कावरियों में दो दोस्त शिव और कृष्ण का रूप धारण किए हुए हैं। जो कच्ची कांवरिया पथ पर आकर्षण का केंद्र बन रही है। वहीं भोले बाबा का भेष धारण किए हुए एक व्यक्ति ने बताया कि करीब 51 वर्षों से इस तरह से हम लोग बाबा नगरी जा रहे हैं। विश्व का कल्याण हो और देश में सुख शांति बनी रहे। इस लिए भोले बाबा का दर्शन करने हम लोग हर साल जाते हैं। उन्होंने कहा कि अनेकों तरह की भेषभूषा बनाकर जाने में बहुत अच्छा लगता है।मन को संतुष्टि मिलता है बाबा का आशीर्वाद है तो बाबा नगरी जा रहे हैं। हम लोग करीब 84 लोग बाबा नगरी जा रहे है। वहीं यह नजारा को देख पूरा कच्ची कांवरिया पथ भक्ति मय में हो गया।
सनातन धर्म के मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने सबसे पहले कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी। परशुराम गढ़मुक्तेश्वर धाम से गंगाजल लेकर आए थे और यूपी के बागपत के पास स्थित ‘पुरा महादेव’ का गंगाजल से अभिषेक किया था। उस समय सावन मास ही चल रहा था, इसी के बाद से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई। यही करण है कि सनातन धर्म को मनाने वाले लोग हर सावन के महिने में कांवड़ यात्रा पर जाते हैं। कहा जाता है कि सावन में शिव को प्रसन्न करना और भी ज्यादा आसान होता है. यही वजह है कि भक्त पूरे माह भगवान की विशेष उपासना करते हैं इस बार 19 साल बाद ऐसे संयोग बने हैं कि सावन का महीना दो महीने तक चलने वाला है. सावन का महीना 4 जुलाई, 2023 से 31 अगस्त तक यानी 58 दिन तक चलने वाला है.
सावन के महीने में भूलकर भी मांस, मदिरा, प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए. सावन में इन चीजों के सेवन से भक्तों को पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है मान्यताओं के अनुसार, सावन के पवित्र माह में शिवलिंग पर दूध अर्पित किया जाता है.सावन भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना है, अतः सावन भर शिव-पूजा-आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। हिन्दू धर्म में श्रावण मास की बहुत महत्व है।
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