Hindi News / Dharam / Where Do Naga Sadhus Seen In Kumbh Disappear For Whole Year What Are Secrets Of Their Lives

पूरे साल क्या करते हैं रहस्यमयी नागा साधू, जंगलों में करते हैं ये काम, क्या है गायब होने का राज?

Naga Sadhu: कुंभ में दिखने वाले नागा साधु कहां गायब हो जाते हैं क्या करते हैं, क्या है रहस्य? आपको आश्चर्य हो सकता है कि कुंभ के बाद ये नागा साधु कहां गायब हो जाते हैं।

BY: Preeti Pandey • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Naga Sadhu: कुंभ में दिखने वाले नागा साधु कहां गायब हो जाते हैं क्या करते हैं, क्या है रहस्य? आपको आश्चर्य हो सकता है कि कुंभ के बाद ये नागा साधु कहां गायब हो जाते हैं। उन्हें अपने समूह के साथ शायद ही कभी किसी सार्वजनिक या धार्मिक स्थल पर देखा जाता है। कोई नहीं जानता कि वे उन दिनों कहां रहते हैं या क्या खाते हैं और यह काफी हद तक एक रहस्य है।

अपने समूहों में आते हैं नजर

हर अर्ध कुंभ और महाकुंभ में नागा साधु अपने समूहों में नजर आते हैं। इनका रूप अलग होता है। शरीर पर भस्म लपेटे, नाचते-गाते और डमरू ढपली बजाते ये नागा साधु अलग ही नजर आते हैं। अक्सर ये सवाल उठता है कि कुंभ के दिनों में दिखने वाला नागा साधुओं का हुजूम कुंभ खत्म होने के बाद कहां गायब हो जाता है। ये नागा साधु कहां चले जाते हैं, जो फिर कहीं नजर नहीं आते। ये कहां से आते हैं? इनकी रहस्यमयी दुनिया क्या है?

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Naga Sadhu: ये नागा साधु होते हैं सभी से अलग

तपस्या में हो जाते हैं लीन

माना जाता है कि इन दिनों नागा संन्यासी हिमालय और दूसरे पहाड़ों और सुनसान जंगलों की गुफाओं में बैठकर तपस्या में लीन हो जाते हैं। ये आमतौर पर कुछ साल एक गुफा में रहते हैं और फिर दूसरी गुफा में चले जाते हैं। कोई नहीं जानता कि ये इन दिनों कहां और क्या कर रहे होंगे। कई बार कई नागा बाबा इन दिनों में संन्यासी वेश धारण कर घूमने लगते हैं। वहीं कुछ नंगे बाबा गुप्त स्थानों पर जाकर तपस्या करने लगते हैं। ये इन दिनों जड़ी-बूटियों और कंद-मूल के साथ-साथ जंगलों और पहाड़ों में मिलने वाले खाद्य पदार्थों से अपना पेट भरते हैं। वे घूमते भी रहते हैं लेकिन यह सब इतने गुप्त तरीके से होता है कि किसी को पता नहीं चलता।

नहीं देते दिखाई

नागा साधु जंगल के रास्तों से ही यात्रा करते हैं। आमतौर पर ये लोग देर रात को चलना शुरू करते हैं। यात्रा के दौरान ये लोग किसी गांव या शहर में नहीं जाते, बल्कि जंगल और सुनसान रास्तों में ही डेरा जमा लेते हैं। ये किसी को दिखाई नहीं देते, क्योंकि ये रात में यात्रा करते हैं और दिन में जंगल में आराम करते हैं। कुछ नागा साधु समूह में निकलते हैं, तो कुछ अकेले यात्रा करते हैं। कई बार जिस तरह से ये गुफाओं में बैठते हैं, उससे कई दिनों तक भूखे-प्यासे रहते हैं।

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साधन का नहीं कर सकते उपयोग

नागा साधु सोने के लिए बिस्तर, खाट या किसी अन्य साधन का इस्तेमाल नहीं कर सकते। यहां तक ​​कि नागा साधुओं को कृत्रिम बिस्तर या बिस्तर पर सोने की भी मनाही होती है। नागा साधु जमीन पर ही सोते हैं। यह बहुत सख्त नियम है, जिसका हर नागा साधु को पालन करना होता है। आमतौर पर ये नागा संन्यासी अपनी पहचान छिपाए रखते हैं। हर अखाड़े का होता है एक कोतवाल: साधुओं के अखाड़ों की परंपरा के अनुसार, इस अखाड़े का एक कोतवाल होता है। दीक्षा पूरी करने के बाद जब नागा साधु अखाड़े से निकलकर साधना करने के लिए जंगल या पहाड़ों पर जाते हैं, तब ये कोतवाल नागा साधुओं और अखाड़ों के बीच कड़ी का काम करते हैं।

पहाड़ो में रहते हैं नागा साधु

जब भी कुंभ और अर्धकुंभ जैसे बड़े पर्व आते हैं, तो कोतवाल की सूचना पर ये नागा साधु रहस्यमय तरीके से वहां पहुंच जाते हैं। हालांकि कोई नहीं जानता कि उन्हें कुंभ कहां और कब हो रहा है, इसकी जानकारी कैसे मिलती है। लेकिन वे जहां भी होते हैं, इस मौके पर अपनी मौजूदगी जरूर दर्ज कराते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि उनके पास कोई ऐसा रहस्यमय ज्ञान या शक्ति होती है, जिसके कारण वे अपने साथियों द्वारा भेजे गए संदेश प्राप्त कर लेते हैं। अखाड़ों के ज्यादातर नागा साधु हिमालय, काशी, गुजरात और उत्तराखंड में रहते हैं। अगर आप पहाड़ी राज्यों में भ्रमण पर जाते हैं, तो आपको कई आश्रम या रास्ते भी दिखेंगे। उदाहरण के लिए, अगर आप ऋषिकेश से नीलकंठ जाते हैं, तो आपको वहां कई अन्य मंदिर और मठ दिखेंगे…इन पहाड़ियों पर भी नागाओं का वास होता है।

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