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India News (इंडिया न्यूज), Facts About Ramayana: महर्षि वाल्मिकी को आदि कवि और रामायण के रचयिता के रूप में जाना जाता है। उनके जीवन और रामायण की रचना के पीछे कई महत्वपूर्ण घटनाएँ हैं, जिनका पौराणिक कथाओं में वर्णन मिलता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी एक बार महर्षि वाल्मिकी के आश्रम पर पहुंचे और उन्हें श्रीराम के संपूर्ण जीवन और चरित्र की काव्यात्मक व्याख्या करने को कहा। ब्रह्मा जी ने महर्षि वाल्मिकी से श्रीराम के जीवन की कथा को एक महान महाकाव्य के रूप में लिखने की प्रेरणा दी। इसके बाद, महर्षि वाल्मिकी ने रामायण की रचना की।
रामायण महर्षि वाल्मिकी द्वारा संस्कृत में लिखी गई थी, जो आज भी एक अद्भुत महाकाव्य के रूप में विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसे विश्व साहित्य का महानतम काव्य माना जाता है।
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एक अन्य कथा के अनुसार, पहले रामायण का लेखन हनुमान जी ने किया था। लेकिन जब महर्षि वाल्मिकी ने अपनी रामायण रचना प्रारंभ की, तो हनुमान जी ने अपनी लिखी हुई रामायण को नदी में प्रवाहित कर दिया था। यह दिखाता है कि महर्षि वाल्मिकी द्वारा रचित रामायण को एक विशेष स्थान प्राप्त था और हनुमान जी ने उसकी पवित्रता और महत्ता को मान्यता दी।
महर्षि वाल्मिकी का नाम पहले रत्नाकर था। ऋषि बनने से पहले वह एक डाकू थे। उनके जीवन में एक बहुत महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब वे एक दिन तमसा नदी के किनारे टहल रहे थे। उसी समय उन्होंने प्रेम में लीन दो पक्षियों के जोड़े को देखा। इनमें से एक शिकारी ने एक नर पक्षी को मार डाला, जिससे मादा पक्षी अत्यंत शोकाकुल हो गई।
मादा पक्षी के विलाप को सुनकर महर्षि वाल्मिकी का हृदय बेहद व्यथित हो गया। इस दृश्य ने उनके भीतर वैराग्य और आध्यात्मिकता का जागरण किया। यह घटना उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, जिसके बाद उन्होंने साधना शुरू की और ऋषि बनने का मार्ग अपनाया। इस घटना के बाद ही वाल्मिकी ने अपने जीवन का लक्ष्य आत्मज्ञान और धर्म के मार्ग पर चलने का तय किया।
महर्षि वाल्मिकी का जीवन और उनकी रामायण की रचना न केवल भारतीय साहित्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि एक व्यक्ति अपने जीवन के किसी भी मोड़ पर आत्मज्ञान की प्राप्ति कर सकता है। उनका जीवन एक प्रेरणा है कि आध्यात्मिक जागरूकता और धर्म के मार्ग पर चलने के लिए किसी विशेष स्थिति या समय की आवश्यकता नहीं होती।
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