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कौन थे महाभारत के वो शूरवीर योद्धा जो मरने के बाद सिर्फ एक रात के लिए हुए थे जिंदा?

Prachi Jain • LAST UPDATED : September 15, 2024, 8:32 pm IST

Mahabharat Yoddha Punarjanam: धृतराष्ट्र, गांधारी, और कुंती ने अपने मृत परिजनों को एक बार फिर से देखने की इच्छा व्यक्त की। महर्षि वेदव्यास ने उन्हें गंगा नदी के किनारे ले जाकर उनके इस मनोकामना को पूरा किया।

India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat Yoddha Punarjanam: महाभारत का युद्ध, भारतीय इतिहास और साहित्य का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें अद्वितीय पराक्रम और बलिदानों की गाथाएं हैं। इस महासंग्राम में कई वीर योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए, जिनमें कौरव और पांडव पक्ष के कई पराक्रमी योद्धा शामिल थे। युद्ध समाप्त होने के बाद, हस्तिनापुर के राजा युधिष्ठिर बने और धृतराष्ट्र, गांधारी, कुंती, विदुर, और संजय वन में निवास करने चले गए।

कुछ समय बाद, पांडवों को अपनी माता कुंती और अन्य परिजनों से मिलने की इच्छा हुई। वे वन पहुंचे जहां विदुर ने युधिष्ठिर को देखा और तुरंत ही अपने प्राण त्याग दिए। विदुर, जो धर्मराज के रूप में भी जाने जाते थे, युधिष्ठिर में समाहित हो गए। इस घटना के पीछे की वजह महर्षि वेदव्यास ने समझाई, जो बाद में वहां आए। वेदव्यास ने सभी को मनचाहा वरदान मांगने का अवसर दिया।

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महाभारत योद्धा पुनर्जन्म

धृतराष्ट्र, गांधारी, और कुंती ने अपने मृत परिजनों को एक बार फिर से देखने की इच्छा व्यक्त की। महर्षि वेदव्यास ने उन्हें गंगा नदी के किनारे ले जाकर उनके इस मनोकामना को पूरा किया। उन्होंने गंगा नदी में प्रवेश कर पांडव और कौरव पक्ष के सभी योद्धाओं को पुकारा, जिनमें भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण, दुर्योधन, दुशासन, अभिमन्यु, धृतराष्ट्र के सभी पुत्र, घटोत्कच, द्रौपदी के पांचों पुत्र, राजा द्रुपद, धृष्टद्युम्न, शकुनि, शिखंडी आदि प्रमुख योद्धा जल से बाहर प्रकट हुए।

क्रोध या अहंकार

इन सभी मृत योद्धाओं के मन में किसी भी प्रकार का क्रोध या अहंकार नहीं था। अपने परिजनों को देख धृतराष्ट्र, गांधारी, कुंती और अन्य लोगों के दिलों में हर्ष और संतोष छा गया। पूरी रात अपने परिजनों के साथ समय बिताकर उनके मन से संताप दूर हो गया।

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महर्षि वेदव्यास पूरी की मनोकामनाएं

इस तरह महर्षि वेदव्यास ने सभी की मनोकामनाएं पूरी कर उनके मन में शांति स्थापित की। यह कथा हमें यह संदेश देती है कि मृत्यु केवल शरीर का अंत है, आत्मा अमर रहती है, और जीवन का वास्तविक उद्देश्य आत्मा की शांति और मुक्ति प्राप्त करना है।

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