Hindi News / Dharam / Who Were Those Brave Warriors Of Mahabharata Who Remained Alive Only For One Night After Death

कौन थे महाभारत के वो शूरवीर योद्धा जो मरने के बाद सिर्फ एक रात के लिए हुए थे जिंदा?

Mahabharat Yoddha Punarjanam: धृतराष्ट्र, गांधारी, और कुंती ने अपने मृत परिजनों को एक बार फिर से देखने की इच्छा व्यक्त की। महर्षि वेदव्यास ने उन्हें गंगा नदी के किनारे ले जाकर उनके इस मनोकामना को पूरा किया।

BY: Prachi Jain • UPDATED :
Advertisement · Scroll to continue
Advertisement · Scroll to continue

India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat Yoddha Punarjanam: महाभारत का युद्ध, भारतीय इतिहास और साहित्य का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें अद्वितीय पराक्रम और बलिदानों की गाथाएं हैं। इस महासंग्राम में कई वीर योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए, जिनमें कौरव और पांडव पक्ष के कई पराक्रमी योद्धा शामिल थे। युद्ध समाप्त होने के बाद, हस्तिनापुर के राजा युधिष्ठिर बने और धृतराष्ट्र, गांधारी, कुंती, विदुर, और संजय वन में निवास करने चले गए।

कुछ समय बाद, पांडवों को अपनी माता कुंती और अन्य परिजनों से मिलने की इच्छा हुई। वे वन पहुंचे जहां विदुर ने युधिष्ठिर को देखा और तुरंत ही अपने प्राण त्याग दिए। विदुर, जो धर्मराज के रूप में भी जाने जाते थे, युधिष्ठिर में समाहित हो गए। इस घटना के पीछे की वजह महर्षि वेदव्यास ने समझाई, जो बाद में वहां आए। वेदव्यास ने सभी को मनचाहा वरदान मांगने का अवसर दिया।

साल 2025 में होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया, छोटी सी गलती बन सकती है अपशकुन, जानें शुभ मुहूर्त बचाव के उपाय!

Mahabharat Yoddha Punarjanam: धृतराष्ट्र, गांधारी, और कुंती ने अपने मृत परिजनों को एक बार फिर से देखने की इच्छा व्यक्त की। महर्षि वेदव्यास ने उन्हें गंगा नदी के किनारे ले जाकर उनके इस मनोकामना को पूरा किया।

द्रौपदी की इस एक सब्जी में छिपा था पांडवों की सम्पूर्ण ताकत का राज…खाते ही किसी बलवान हाथी के समान आ जाती थी ताकत!

महाभारत योद्धा पुनर्जन्म

धृतराष्ट्र, गांधारी, और कुंती ने अपने मृत परिजनों को एक बार फिर से देखने की इच्छा व्यक्त की। महर्षि वेदव्यास ने उन्हें गंगा नदी के किनारे ले जाकर उनके इस मनोकामना को पूरा किया। उन्होंने गंगा नदी में प्रवेश कर पांडव और कौरव पक्ष के सभी योद्धाओं को पुकारा, जिनमें भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण, दुर्योधन, दुशासन, अभिमन्यु, धृतराष्ट्र के सभी पुत्र, घटोत्कच, द्रौपदी के पांचों पुत्र, राजा द्रुपद, धृष्टद्युम्न, शकुनि, शिखंडी आदि प्रमुख योद्धा जल से बाहर प्रकट हुए।

क्रोध या अहंकार

इन सभी मृत योद्धाओं के मन में किसी भी प्रकार का क्रोध या अहंकार नहीं था। अपने परिजनों को देख धृतराष्ट्र, गांधारी, कुंती और अन्य लोगों के दिलों में हर्ष और संतोष छा गया। पूरी रात अपने परिजनों के साथ समय बिताकर उनके मन से संताप दूर हो गया।

दुर्योधन के दामाद के भद्धे मजाक की वजह से हुई थी श्रीकृष्ण की मृत्यु, जानें श्राप से लेकर देह त्याग तक की कहानी

महर्षि वेदव्यास पूरी की मनोकामनाएं

इस तरह महर्षि वेदव्यास ने सभी की मनोकामनाएं पूरी कर उनके मन में शांति स्थापित की। यह कथा हमें यह संदेश देती है कि मृत्यु केवल शरीर का अंत है, आत्मा अमर रहती है, और जीवन का वास्तविक उद्देश्य आत्मा की शांति और मुक्ति प्राप्त करना है।

पांडव पुत्रों की पत्नी होने के बावजूद भी महाभारत के इस योद्धा को पसंद करती थी द्रौपदी…कृष्ण के आगे बोला था सच?

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Tags:

DevotionalDharamKaramdharmDharmikDharmkiBaatDharmNewsindianewslatest india newsMahabharatMahabharat GathaMahabharat PandavasPaathKathayespritualSpritualitytoday india newsइंडिया न्यूज

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

Advertisement · Scroll to continue

लेटेस्ट खबरें

Advertisement · Scroll to continue