India News (इंडिया न्यूज), Temple Bell: लगभग सभी लोग अपने दिन की शुरुआत मंदिर जाकर या अपने घर में भी प्रभु का नाम लेकर ही अपने दिन की शुरुआत करना पसंद करते हैं। लेकिन कई लोग जो मंदिर जाते होंगे वो मंदिर में घुसते ही सबसे पहले मंदिर का घंटा बजाकर ही उसमे परवेश करते होंगे। लेकिन वही जब वो लोग मंदिर से निकलते हैं तो घंटी को नहीं बजाते लेकिन ऐसा क्यों? जब आते समय मंदिर की घंटी बजाई जाती हैं तो जाते समय क्यों नहीं? क्या आपके मन में कभी ये सवाल नहीं उठा? चलिए आज हम आपको इस बात का जवाब दे देते हैं।
भारत में मंदिर की पूजा विधियों और परंपराओं का गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। मंदिर से वापस आते समय घंटी नहीं बजाने की परंपरा के पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण हो सकते हैं:
मंदिर के अंदर घंटी बजाने का एक प्रमुख कारण यह होता है कि यह भगवान को समर्पित होता है और पूजा की शुरुआत को इंगित करता है। जब पूजा की प्रक्रिया पूरी हो जाती है और भक्त मंदिर से लौट रहे होते हैं, तो घंटी बजाना धार्मिक दृष्टि से उपयुक्त नहीं माना जाता है। ऐसा करने से पूजा के दौरान की गई धार्मिक क्रियाओं और सम्मान को प्रभावित किया जा सकता है।
मेष से लेकर मीन राशि तक जानें 6 सितंबर को किन राशियों को मिलेगा लाभ, और सफलता के नए मौके?
मंदिर में घंटी बजाना पूजा की शुरुआत का संकेत होता है और पूजा के दौरान भगवान की उपस्थिति को बुलाने का एक तरीका होता है। जब पूजा समाप्त हो जाती है और भक्त मंदिर से बाहर निकलते हैं, तो घंटी बजाना पूजा की समाप्ति को प्रदर्शित नहीं करता। ऐसा करने से पूजा की समाप्ति के प्रति सम्मान का अभाव प्रतीत हो सकता है।
मंदिर के भीतर घंटी बजाने से वहां एक पवित्र और धार्मिक वातावरण बना रहता है। जब भक्त मंदिर से बाहर जाते हैं, तो घंटी बजाने से मंदिर के भीतर की शांति और पवित्रता को नष्ट किया जा सकता है। धार्मिक परंपराओं के अनुसार, मंदिर के बाहर घंटी बजाना उस पवित्रता और शांति को बनाए रखने के लिए उचित नहीं होता।
रात को श्मशान जाने से क्या होता है? जानें क्यों डर से कांप जाता है इंसान
धार्मिक अनुशासन और आदर्शों के अनुसार, मंदिर में घंटी बजाने का समय और स्थान निश्चित होते हैं। मंदिर से बाहर आते समय घंटी बजाना अनुशासन का उल्लंघन माना जा सकता है। यह धार्मिक मान्यताओं के प्रति एक सम्मान और अनुशासन को दर्शाता है, जिससे भक्त अपनी धार्मिक प्रक्रियाओं का सही ढंग से पालन कर सकें।
गर्भगृह में घंटी बजाने का एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी होता है, जो भक्तों को ध्यान केंद्रित करने और आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है। पूजा समाप्त होने के बाद घंटी बजाना इस मनोवैज्ञानिक प्रभाव को बनाए रखने के लिए भी उपयुक्त नहीं माना जाता।
इन सभी कारणों से, मंदिर से वापस आते समय घंटी नहीं बजाई जाती है। यह धार्मिक अनुशासन और परंपराओं का पालन करने का एक तरीका है, जो मंदिर की पवित्रता और पूजा की प्रक्रिया के प्रति सम्मान को दर्शाता है।
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.