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कलियुग की सबसे जाग्रत देवी मां, रूप देखना इंसानों के बस की बात नहीं, जानें क्या है रक्त टपकने का रहस्य

PUBLISHED BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : October 8, 2024, 9:28 am IST
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कलियुग की सबसे जाग्रत देवी मां, रूप देखना इंसानों के बस की बात नहीं, जानें क्या है रक्त टपकने का रहस्य

Untold Secrets Of Maa Kali: मां काली का यह रूप केवल एक शक्ति और आतंक का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह उनके अदम्य साहस और निडरता का भी प्रतिनिधित्व करता है। मूंढों की माला पहनना एक संदेश है कि जब अत्याचार बढ़ता है, तब मां काली जैसी शक्तिशाली देवी की आवश्यकता होती है जो दुष्टों का नाश करती हैं और धर्म की स्थापना करती हैं।

India News (इंडिया न्यूज), Untold Secrets Of Maa Kali: मां काली का नाम सुनते ही मन में एक भयंकर और प्रचंड देवी का चित्र उभरता है, जो मूंढों की माला पहने हुए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मां काली का यह रूप कैसे प्रकट हुआ और इसके पीछे की कथा क्या है? यह कथा देवी दुर्गा और दैत्यों के बीच हुए संघर्ष से जुड़ी हुई है।

शुम्भ-निशुम्भ का आतंक

श्रीदुर्गा सप्तशती में वर्णित है कि शुम्भ और निशुम्भ नामक दैत्यों ने धरती पर आतंक का प्रकोप फैला रखा था। उन्होंने बल, छल, और महाबली असुरों के द्वारा देवराज इन्द्र और सभी देवताओं को निष्कासित कर दिया था। देवताओं को अपने प्राणों की रक्षा के लिए भटकना पड़ा, और इस संकट के समय उन्हें महिषासुर के इन्द्रपुरी पर अधिकार करने की याद आई। तब देवी दुर्गा ने उनकी मदद की थी।

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देवी दुर्गा का आह्वान

जब देवताओं ने मां दुर्गा का आह्वान किया, तब देवी प्रकट हुईं। मां दुर्गा ने शक्तिशाली दैत्यों के खिलाफ युद्ध का आरंभ किया। इस युद्ध में शुम्भ और निशुम्भ के अति शक्तिशाली असुर चंड और मुंड का सामना करते हुए देवी ने उन्हें नष्ट कर दिया।

काली का प्रकट होना

चंड और मुंड के मारे जाने के बाद, दैत्यराज शुम्भ अत्यधिक क्रोधित हुआ। उसने अपनी संपूर्ण सेना को युद्ध में भेजने का आदेश दिया। इस घमासान युद्ध में मां काली ने दुष्ट दैत्यों का संहार किया और उनकी जीत को सुनिश्चित किया। युद्ध के अंत में, मां काली ने अपने शत्रुओं के सिरों को काटकर उन्हें अपनी गर्दन में पहन लिया, जिससे उनकी शक्ति और महिमा को दर्शाया गया।

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काली का प्रतीकात्मक अर्थ

मां काली का यह रूप केवल एक शक्ति और आतंक का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह उनके अदम्य साहस और निडरता का भी प्रतिनिधित्व करता है। मूंढों की माला पहनना एक संदेश है कि जब अत्याचार बढ़ता है, तब मां काली जैसी शक्तिशाली देवी की आवश्यकता होती है जो दुष्टों का नाश करती हैं और धर्म की स्थापना करती हैं।

निष्कर्ष

मां काली का यह भयानक रूप उनके अद्वितीय बल और भक्ति का प्रतीक है। उनकी पूजा केवल भक्ति या भयानकता के लिए नहीं, बल्कि जीवन में संतुलन और शक्ति प्राप्त करने के लिए की जाती है। जब हम मां काली की आराधना करते हैं, तो हमें उनके साहस, निडरता और दुष्टता के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा मिलती है। यह कथा हमें सिखाती है कि अच्छाई की जीत हमेशा होती है, चाहे कितनी भी दुष्टता क्यों न हो।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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